अफगानिस्तान पर भारत के रूख से फ्रांस सहमत, कहा- देश की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए न हो

अफगानिस्तान संकट को लेकर फ्रांस भारत के रूख से सहमत है। यह बात फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कही है। उन्होंने कहा कि देश में एक समावेशी सरकार होनी चाहिए। इसकी धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए।

By TaniskEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 07:46 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 07:46 PM (IST)
अफगानिस्तान पर भारत के रूख से फ्रांस सहमत, कहा- देश की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए न हो
फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन। (फोटो- एएनआइ)

नई दिल्ली, एएनआइ। अफगानिस्तान संकट को लेकर फ्रांस, भारत के रूख से सहमत है। यह बात फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने कही है। उन्होंने कहा कि देश में एक समावेशी सरकार होनी चाहिए। इसकी धरती का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। उन्होंने तालिबान को चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदायों की किसी भी मांग को पूरा नहीं किया और फ्रांस इसके खिलाफ सख्त होने जा रहा है।

फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने समाचार एजेंसी एएनआइ से कहा कि अफगानिस्तान पर हमने जो शर्त रखी है,उसे लेकर हम भारत के साथ हैं। हम वहां के लोगों के लिए मानवीय पहुंच चाहते हैं, जो लोग देश छोड़ना चाहते हैं वे ऐसा करने में सक्षम हों। मानवाधिकारों का सम्मान होना चाहिए रऔ महिलाओं को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में हम एक समावेशी सरकार चाहते हैं। देश को आतंकवादियों और उनके प्रशिक्षण शिविरों के लिए आश्रय के रूप में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। हमारा आकलन एक जैसा ही है। अभी तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदायों की किसी भी मांग को पूरा नहीं किया है। इसे लेकर हम बहुत सख्त होने जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा, ' मेरे देश का एक पोजिशन है। हम सरकार को नहीं, बल्कि देश को मान्यता देते हैं और यह इस बात पर निर्भर करेगा कि तालिबान हमारी मांगों को कैसे पूरा करता है। अभी तक बिल्कुल भी सही दिशा में नहीं बढ़ा है।'

#WATCH | French Ambassador Emmanuel Lenain speaks to ANI on terror threat from Afghanistan, also speaks on Taliban. He says,"..My country has a position. We never recognise govt but State & it'll depend on how Taliban meets our demands. So far not moved in right direction at all" pic.twitter.com/OLwHvgWFHd

— ANI (@ANI) September 28, 2021

फ्रांस के आकस पर 'तीखी प्रतिक्रिया' पर फ्रांसीसी राजदूत ने कहा, 'मेरा देश इस पद्धति से हैरान था। यह सहयोगियों के बीच विश्वास का उल्लंघन है। जब आप किसी मुद्दे का सामना करना चाहते हैं, तो आप समान विचारधारा वाले देशों को एकजुट करने का प्रयास करते हैं। एक प्रमुख भागीदार को बाहर न करें। मेरा देश, यूरोपीय संघ के भीतर, प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक शामिल है। अगर मैं भारतीय अधिकारियों के बयानों की बात करूं, तो सैन्य गठबंधन आकस और व्यापक देशों के वैश्विक समूह-क्वाड के बीच अंतर है। क्वाड के साथ फ्रांस कैसे बातचीत करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह कैसे विकसित होता है। क्वाड के काम करने के तरीके से अभी हम सहज हैं।'

फ्रांसीसी राजदूत इंडो-पैशिफिक में भारत-फ्रांस के संबंधों पर कहा, 'साझेदारी की नींव विश्वास है, जब आप ऐसी नींव रखते हैं तो आप क्षेत्र में अपने सहयोग का विस्तार कर सकते हैं। हम बहुत सक्रिय रहे हैं। समुद्री सुरक्षा के लिए बहुत कुछ किया है। संयुक्त नौसेना अभ्यास किया है। हम और भी बहुत कुछ करने जा रहे हैं। हम यूरोपीय संघ के साथ भी संबंध विकसित करना चाहते हैं। जैसा कि आपने देखा होगा कि यूरोपीय संघ ने इंडो-पैसिफिक रणनीति को अपनाया है जिसकी घोषणा कुछ दिनों पहले की गई थी और जाहिर है कि फ्रांस इसके लिए बहुत जोर दे रहा है और हम ईयू की अध्यक्षता के दौरान इंडो-पैसिफिक को प्रमुख प्राथमिकता देंगे।'

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