सरस्‍वती नदी के लिए सबसे पहले राजस्थान में शुरू हुई थी खुदाई

सरस्वती शोध संस्थान के अध्यक्ष दर्शन लाल जैन के मुताबिक पूर्व केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जगमोहन ने राजग सरकार के कार्यकाल में सरस्वती नदी के प्रवाह मार्ग की खुदाई और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के अनुसंधान की एक महत्वपूर्ण परियोजना शुरू की थी।

By Sumit KumarEdited By: Publish:Wed, 06 May 2015 02:41 PM (IST) Updated:Wed, 06 May 2015 02:49 PM (IST)
सरस्‍वती नदी के लिए सबसे पहले राजस्थान में शुरू हुई थी खुदाई

कुरुक्षेत्र। सरस्वती शोध संस्थान के अध्यक्ष दर्शन लाल जैन के मुताबिक पूर्व केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जगमोहन ने राजग सरकार के कार्यकाल में सरस्वती नदी के प्रवाह मार्ग की खुदाई और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के अनुसंधान की एक महत्वपूर्ण परियोजना शुरू की थी, लेकिन संप्रग सरकार के सत्ता में आने के बाद उसे भाजपा का गुप्त एजेंडा कहकर रोक दिया गया।

आज तक किसी बड़ी नदी के अचानक विलुप्त होने के बारे में नहीं सुना सिवाय सरस्वती नदी के। इसके पीछे अवश्य ही कोई बड़ा कारण रहा होगा। कहते हैं इसके विलुप्त होने से ही राजस्थान मरुस्थल बना जैसलमेर के अत्यंत रेगिस्तानी क्षेत्र में सरस्वती नदी का छूटा प्रवाह क्षेत्र खोजा गया है।

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रेगिस्तान के सुदूर पश्चिमी भाग में जलोढ़ मिट्टी पाए जाने के पीछे सरस्वती नदी का योगदान है और रेगिस्तान के पश्चिमी भाग में सतह के नीचे का पानी सरस्वती के पुराने प्रवाह के कारण है। ईसा पूर्व 4-5 सहस्ताब्दि में उत्तर-पश्चिमी राजस्थान सरस्वती के कारण कहीं ज्यादा हरा-भरा था।

11 मई 1998 को परमाणु परीक्षण के बाद भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने विस्फोटों का प्रभाव मापने के लिए कई परीक्षण उस क्षेत्र के जल में किए थे। ये परीक्षण बताते थे कि इस क्षेत्र में पानी 8 हजार से 14 हजार साल पुराना और पीने योग्य था।

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यह हिमालय के ग्लेशियरों से आया था और बारिश की कमी के बावजूद उत्तर में कहीं से इसमें जल आता रहता था। ये खोजें लुप्त सरस्वती के बारे में उपरोक्त मतों को बल प्रदान करती हैं। इससे अलग बहुउद्देशीय अध्ययन के अंतर्गत केंद्रीय भूमि जल आयोग ने सूखी नदी सतह के साथ-साथ कई कुएं खोदे। खोदे गए 24 कुओं में से 23 में पीने के योग्य पानी मिला।

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