दो साल पहले परिवार से बिछड़ गई थी ये बुजुर्ग महिला, आधार ने मिलवाया

महाराष्ट्र की रहने वाली 80 वर्षीय महिला दो साल बाद आधार के कारण अपने परिवार से मिल सकीं। 2016 में रेलवे स्टेशन से हो गई थीं गायब।

By Nancy BajpaiEdited By: Publish:Mon, 16 Jul 2018 10:31 AM (IST) Updated:Mon, 16 Jul 2018 11:15 AM (IST)
दो साल पहले परिवार से बिछड़ गई थी ये बुजुर्ग महिला, आधार ने मिलवाया
दो साल पहले परिवार से बिछड़ गई थी ये बुजुर्ग महिला, आधार ने मिलवाया

तिरुवनंतपुरम (जेएनएन)। टेक्नोलॉजी की मदद से आखिरकार दो साल बाद 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला अपने परिवार से मिल सकी। इसके लिए यूआइडीएआइ डेटाबेस को धन्यवाद कहना चाहिए, जिसने लक्ष्मीबाई को अपने खोए हुए परिवार से मिलाया। लक्ष्मीबाई दो साल पहले दुर्भाग्यवश ट्रेन से सफर के दौरान बिछड़ गई थीं।

22 अप्रैल, 2016 सूरत स्टेशन से हुई थीं गायब
लक्ष्मीबाई पानपाटिल अपने आंसुओं को उस वक्त छिपा नहीं सकीं, जब उनकी बेटियां और पोते उन्हें लेने आ रहे थे। वे महाराष्ट्र के जलगांव की रहने वाली हैं। 22 अप्रैल, 2016 को सूरत रेलवे स्टेशन से लक्ष्मीबाई गायब हो गईं थी। वे जलगांव के अमलनेर अपने बच्चों से मिलने जा रही थीं। अपनी बढ़ती उम्र के कारण उनकी याददाश्त भी कमजोर होती जा रही थी, जिस कारण वो गलती से पोरबंदर कोचुवेली एक्सप्रेस ट्रेन में चढ़ गईं।

'हमने उन्हें बहुत ढूंढा'
लक्ष्मीबाई के पोते मेहुल रामराव पानपाटिल ने बताया, 'जब मैं रेलवे स्टेशन पहुंचा, तो वो मुझे कहीं नजर नहीं आईं। पूरा परिवार उनके लिए चिंतित था। हमने उन्हें राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में भी ढूंढा, जहां हमारे कुछ रिश्तेदार रहते हैं। हमारा डर बढ़ता चला गया।'

सरकारी देखभाल गृह में रह रही थीं लक्ष्मीबाई
अपने परिवार से बिछड़ चुकीं लक्ष्मीबाई तिरुवनंतपुरम की सड़कों पर भटकती दिखीं। कुछ वक्त बाद में उन्होंने खुद को पुलायानार्कोत्ता स्थित सरकारी देखभाल गृह में पाया। देखभाल गृह के अधीक्षक एम शिनिमोल ने बताया, 'हमने उन सभी लोगों से संपर्क करने की कोशिश की, जो मराठी, गुजराती और अन्य भाषाओं को अच्छी तरह से जानते थे, ताकि उनसे बातचीत हो सके। लेकिन हमारे सभी प्रयास व्यर्थ थे।'

'आधार' ने परिवार से ऐसे मिलाया
हालांकि उनकी इस खोज में निर्णायक क्षण तक आया, जब सामाजिक न्याय विभाग के विशेष सचिव बिजू प्रभाकर ने सभी पुनर्वास केंद्रों में रहने वाले लोगों के लिए इस साल की शुरुआत में आधार कार्ड के लिए नामांकन कराना अनिवार्य कर दिया। जब लक्ष्मीबाई के आधार बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई तो उनका बायोमीट्रिक डेटा सेव होने की बजाय खारिज हो गया। क्योंकि उनका नाम पहले से ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के डेटाबेस में मौजूद था। इसकी मदद से लक्ष्मीबाई के मूल पता मालूम चल सका।

तिरुवनंतपुरम जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के सचिव और उप-न्यायाधीश सिजू शिक ने कहा कि वे जल्द ही महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव के संपर्क में आए, जिन्होंने जलगांव में डीएलएसए को जानकारी फारवर्ड की। आखिरकार खोज खत्म हुई और रविवार को लक्ष्मीबाई अपनी बेटी साधना, विमल और सविता समेत बहू मंगला, पोता महेंद्र, सुशील और विशाल से मिलीं। उन्होंने बताया कि लक्ष्मीबाई अशिक्षित हैं और वे केवल स्थानीय भाषा अहिराणी में ही बातचीत कर सकती हैं। इस पुनर्मिलन के बाद वे कोचुवेली रेलवे स्टेशन से पोरबंदर एक्सप्रेस पकड़ी और अपनी बुजुर्ग मां को उनके घर ले गए।

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