जानें - भारत में आखिर क्‍यों आई थी महामारी की दूसरी लहर, कोरोना के किस नए वैरिएंट पर चल रही रिसर्च

भारत में डेल्‍टा और डेल्‍टा प्‍लस वैरिएंट दोनों के ही मामले सामने आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि भारत में आई दूसरी लहर के पीछे डेल्‍टा वैरिएंट ही था। सरकार के पैनल के शीर्ष अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 02:21 PM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 02:21 PM (IST)
जानें - भारत में आखिर क्‍यों आई थी महामारी की दूसरी लहर, कोरोना के किस नए वैरिएंट पर चल रही रिसर्च
डेल्‍टा वैरिएंट बना था महामारी की दूसरी लहर का बड़ा कारण

नई दिल्‍ली (पीटीआई)। भारत में आई महामारी की दूसरी लहर की सबसे बड़ी वजह डेल्‍टा वैरिएंट ही था। इस दौरान सामने आए करीब 80 फीसद मामलों के लिए यही वैरिएंट जिम्‍मेदार था। भारतीय SARS-CoV-2 जिनोमिक कंसोर्टियम के सह अध्‍यक्ष डॉक्‍टर एनके अरोड़ा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा हे कि यदि अब देश में मामले बढ़ते हैं तो ये किसी दूसरे अधिक खतरनाक और अधिक संक्रमित वैरिएंट की वजह से होंगे।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक उनका ये भी कहना है कि ये वैरिएंट एल्‍फा वैरिएंट से 40-60 फीसद अधिक संक्रामक हो सकता है। ये अब तक दुनिया के 80 देशों में अब तक दस्‍तक दे चुका है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर शामिल हैं। डेल्‍टा प्‍लस वैरिएंट एवाई-1 के बाद एवाई.2 भी सामने आ चुका है जिसको अब तक देश के करीब 11 राज्‍यों से सामने आए 55-60 मामलों में पाया गया है।

इन राज्‍यों में महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु शामिल हैं। मध्‍य प्रदेश से सामने आए मामलों को फिलहाल स्‍टडी किया जा रहा है। इसके पूरा होने के बाद पता चलेगा कि ये कितना संक्रामक है और वैक्‍सीन पर इसका क्‍या असर होता है। साथ ही ये भी पता चलेगा कि इसका व्‍यवहार कैसा है और ये कितना अधिक संक्रामक है।

इसमें बताया गया है कि डेल्‍टा वैरिएंट अपने स्‍पाइक प्रोटीन में बदलाव लाता है जो एसीई2 रिसेप्‍टर के साथ मिलकर अधिक संक्रामक बनता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। कोरोना के B.1.617.2 वैरिएंट जिसको हम सभी डेल्‍टा वैरिएंट के नाम से जानते हैं, भारत में पहली बार अक्‍टूबर 2020 में सामने आया था। ये भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्‍मेदार था। ये महाराष्‍ट्र से बढ़ा और देश के पूर्व और पश्चिम समेत दक्षिण के कई हिस्‍सों में फैल गया। डॉक्‍टर अरोड़ा पूर्व और मध्‍य भारत में आने से पहले ये इन सभी जगहों पर फैल चुका था।

बयान में डॉक्‍टर अरोड़ा के हवाले से बताया गया है कि ये अब से पहले मिले सभी वैरिएंट से अधिक घातक, अधिक संक्रामक भी था। उनका ये भी कहना है कि इस वैरिएंट पर की गई अब तक की गई स्‍टडी बताती है कि इसमें भी कुछ बदलाव आए हैं। ये मानव कोशिकाओं पर तेजी से हमला करता है। फैंफड़ों पर इसका वार अधिक घातक होता है। हालांकि उन्‍होंने ये भी माना कि फिलहाल ये कहना काफी मुश्किल है कि डेल्‍टा वैरिएंट अधिक घातक या गंभीर है। उन्‍होंने बताया है कि महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान मरने वालों की उम्र की बात करें तो ये लगभग समान ही थी।

उनके मुताबिक देश के करीब 11 राज्‍यों में से अब तक डेल्‍टा और डेल्टा प्‍लस के 55-60 मामले सामने आए हैं। डेल्‍टा वैरिएंट दुनिया के कई देशों में भी दस्‍तक दे चुका है। इसमें नेपाल, पुर्तगाल, स्विटजरलैंड, पोलैंड, जापान का नाम भी शामिल है। डेल्‍टा प्‍लस की तुलना में एवाई.2 कम प्रचलित है। इसके बारे में जानने के लिए फिलहाल इस पर शोध चल रहा है। अब तक सामने आए शोध के मुताबिक डेल्‍टा वैरिएंट पर सामने आ चुकी वैक्‍सीन प्रभावी हैं।

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