थम गई 'जंग' के खिलाफ उठी आवाजें

सूबे में बीते फरवरी में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से उपराज्यपाल नजीब जंग की जोरदार मुखालफत करने वाले भाजपा नेता अब चुप हैं। केंद्र में अपनी सरकार आने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह से जंग को पद से हटाने तक की पुरजोर मांग करने वालों ने अपने सुर बदल लिए हैं। इसे उपराज्यपाल जंग की राजनीतिक सूझ-बूझ

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Thu, 09 Oct 2014 10:35 AM (IST) Updated:Thu, 09 Oct 2014 10:42 AM (IST)
थम गई 'जंग' के खिलाफ उठी आवाजें

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सूबे में बीते फरवरी में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से उपराज्यपाल नजीब जंग की जोरदार मुखालफत करने वाले भाजपा नेता अब चुप हैं। केंद्र में अपनी सरकार आने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह से जंग को पद से हटाने तक की पुरजोर मांग करने वालों ने अपने सुर बदल लिए हैं।

इसे उपराज्यपाल जंग की राजनीतिक सूझ-बूझ कहें या भाजपा के आला नेताओं की हिदायत कि दिल्ली के भाजपा नेताओं व उपराज्यपाल के बीच के संबंधों में गरमाहट महसूस की जा रही है। जंग के विरोध की सियासत थम सी गई है। यह दीगर बात है कि सूबे के कांग्रेसी नेताओं को उपराज्यपाल जंग और भाजपा नेताओं के बीच मधुर हुए रिश्ते रास नहीं आ रहे। शायद यही वजह है कि जंग द्वारा सूबे में भाजपा को सरकार बनाने के लिए निमंत्रित किए जाने संबंधी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजे जाने के बाद कांग्रेसी यह आरोप लगा रहे हैं कि राजनिवास भाजपा कार्यालय की तरह काम कर रहा है।

बता दें कि पिछले साल जुलाई में कांग्रेस की हुकूमत वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के जमाने में जंग की नियुक्ति की गई थी। उन्हें दिल्ली का उपराज्यपाल बनाए जाने के बाद सूबे की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित उन्हें बधाई देने जामिया विश्वविद्यालय भी पहुंची थीं, जहां जंग कार्यरत थे।

तब से लेकर केंद्र में भाजपा सरकार के आने तक उपराज्यपाल और दिल्ली के कांग्रेसी नेताओं के बीच ताल्लुकात गर्मजोशी भरे रहे। लेकिन केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के आने के बाद से सूबे का सियासी गणित बदल गया है। खासकर, उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली में सरकार बनाने के लिए भाजपा को निमंत्रित किए जाने संबंधी सिफारिश राष्ट्रपति से किए जाने के बाद कांग्रेसी नेताओं की राय उनको लेकर बदलने लगी है।

जंग को पद से हटाने की कोशिश की थी

दिलचस्प यह है कि शुरुआती दिनों में भाजपा नेताओं ने भी खुलकर उपराज्यपाल का विरोध किया ओर अपनी ओर से यह पूरी कोशिश भी की कि जंग को उनके पद से हटा दिया जाए। उनका यह आरोप था कि जंग दिल्ली सरकार में कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के प्रति सहानुभूति रखने वाले अधिकारियों के तबादले नहीं कर रहे और ये अधिकारी भाजपा की नेताओं की सुनने को तैयार नहीं हैं। लेकिन बीते कुछ दिनों में स्थितियां बदली हैं और कांग्रेसी हुकूमत के जमाने में राज्यपाल व उपराज्यपाल की कुर्सी पर बैठाए गए कई लोगों को हटाए जाने के बावजूद जंग की कुर्सी नहीं हिलने पाई है।

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हुकूमत पर जारी सियासी हमलों से बेपरवाह नजीब जंग

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