उत्तराखंड में लोकायुक्त का मामलाः कोर्ट ने कहा 2 हफ्ते में पेश करें एक्ट

उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में ये बताया गया है कि उत्तराखंड में सरकार लोकायुक्त की नियुक्ति करने में नाकाम रही है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट यूपी की ही तरह उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए सख्त

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Wed, 10 Feb 2016 12:00 PM (IST) Updated:Wed, 10 Feb 2016 12:55 PM (IST)
उत्तराखंड में लोकायुक्त का मामलाः कोर्ट ने कहा 2 हफ्ते में पेश करें एक्ट

नई दिल्ली। उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो हफ्ते में लोकायुक्त एक्ट पेश करने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि बिल की बजाए एक्ट दिखाना होगा कि राज्य में लोकायुक्त एक्ट पास हुआ है।

गौरतलब है कि यूपी में अधिकार का इस्तेमाल कर सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त नियुक्त किया था। कोर्ट ने कहा था कि यूपी में लोकायुक्त की नियुक्ति जैसे साधारण मामले में संवैधानिक पदाधिकारी फेल हुए हैं।

अब सुप्रीम कोर्ट उतराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल कर कहा है कि उतराखंड में 2011 में लोकायुक्त बिल पास किया गया था और सितंबर 2013 में राज्यपाल और राष्ट्रपति ने इस पर मुहर लगा दी थी। लेकिन इसके बाद से राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है।

जानिए क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता और भाजपा नेता अश्वनी उपाध्याय से पूछा कि लोकायुक्त की नियुक्ति से आप का क्या लेना देना?

सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की बैंच ने याचिकाकर्ता से उत्तराखंड लोकायुक्त एक्ट पेश करने को कहा है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से ये भी पूछा कि याचिकाकर्ता क्या उत्तराखंड के रहने वाले हैं??

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो हफ्ते के भीतर उत्तराखंड लोकायुक्त एक्ट पेश करने का निर्देश जारी किया है।

न्यायिक सेवाओं के तहत नियुक्त किए जाने वाले पदों को अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा के जरिए भरे जाने वाली मांग की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी मांगे पहले भी देश के तमाम हाईकोर्ट पहले भी खारिज कर चुके हैं। ऐसे में इस याचिका पर सुनवाई का आधार नहीं बनता।

याचिका में मांग की गयी थी कि न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर अलग अलग राज्यों में होने वाली भर्ती परीक्षा को एकीकृत करके आईएएस के तर्ज़ पर परीक्षा करायी जानी चाहिए।

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