'आरटीआइ की अवहेलना करने वाले दलों की बंद हो सरकारी सुविधा'

आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने सीआइसी को पत्र लिखकर सरकारी सहायता का निलंबन संबंधित सुझाव दिया है।

By Kishor JoshiEdited By: Publish:Thu, 22 Feb 2018 07:46 PM (IST) Updated:Thu, 22 Feb 2018 07:46 PM (IST)
'आरटीआइ की अवहेलना करने वाले दलों की बंद हो सरकारी सुविधा'
'आरटीआइ की अवहेलना करने वाले दलों की बंद हो सरकारी सुविधा'

नई दिल्ली (पीटीआई)। सूचना के अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के तहत केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) का आदेश नहीं मानने पर छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को मिलने वाली सरकारी सहायता अस्थायी रूप से निलंबित कर दी जानी चाहिए। इसके लिए आयोग को नियामक निकायों समेत विभिन्न पक्षों से सुझाव आमंत्रित करने चाहिए।

राजनीतिक दलों के खिलाफ शिकायतकर्ताओं में शामिल आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने मुख्य सूचना आयुक्त आरके माथुर को पत्र लिखकर उक्त सुझाव दिया है। उनका कहना है कि राजनीतिक दलों को आरटीआइ अधिनियम के दायरे में मानने के लिए सीआइसी ने जिन विभिन्न पहलुओं पर विचार किया था उनमें दलों को मिलने वाली प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सरकारी मदद एक बड़ी वजह थी।

बता दें कि केंद्रीय सूचना आयोग की पूर्ण पीठ ने 3 जून, 2013 को छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को लोक प्राधिकरण घोषित किया था। इसका कारण बताते हुए आयोग का कहना था कि ये दल करों में छूट, कार्यालयों व हवाई यात्रा के लिए सब्सिडी और कई अन्य सरकारी सुविधाएं एवं सहायता अप्रत्यक्ष रूप से हासिल करते हैं। इन छह दलों में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, भाकपा और माकपा शामिल हैं। आयोग को इस तरह की कई शिकायतें मिली हैं कि राजनीतिक दल उसके आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं लिहाजा उन पर जुर्माना लगाया जाए।

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