मोदी के बांग्‍लादेश दौरे से आस लगाए छींटमहल के लोग

भारत-बांग्लादेश के बीच बहुप्रतीक्षित भूमि सीमा समझौता (एलबीए) पूरा होने की उम्मीद में छींटमहल के लोग खासे उत्साहित हैं। प्रधानमंत्री की अगले माह बांग्लादेश यात्रा के दौरान इस पर अंतिम मुहर लगने के बाद सीमा पर रहने वाले इन लोगों को स्थायी नागरिकता व घर मिलने की उम्मीद है। पश्चिम

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 29 May 2015 07:34 PM (IST) Updated:Fri, 29 May 2015 07:47 PM (IST)
मोदी के बांग्‍लादेश दौरे से आस लगाए छींटमहल के लोग

कोलकाता। भारत-बांग्लादेश के बीच बहुप्रतीक्षित भूमि सीमा समझौता (एलबीए) पूरा होने की उम्मीद में छींटमहल के लोग खासे उत्साहित हैं। प्रधानमंत्री की अगले माह बांग्लादेश यात्रा के दौरान इस पर अंतिम मुहर लगने के बाद सीमा पर रहने वाले इन लोगों को स्थायी नागरिकता व घर मिलने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश सीमा पर रहने वाले ये लोग दशकों से उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी छह जून से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बांग्लादेश दौरे पर जाएंगे। इसे लेकर छींटमहल के लोगों को लगता है कि सालों का इंतजार अब पूरा होने वाला है। गौरतलब है कि जून की शुरुआत में ही एलबीए बिल को संसद के दोनों सदनों में मंजूरी मिल चुकी है। इस समझौते के तहत बांग्लादेश का कुछ भू-भाग भारत में शामिल होगा और पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले का कुछ भाग बांग्लादेश में चला जाएगा। साथ ही इन भू-भागों पर रहने वालों को भी स्थानांतरित कर स्थायी ठिकाना दिया जाएगा, जिसमें करीब 51 हजार लोग शामिल रहेंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारत के क्षेत्र में पड़ने वाले 51 बांग्लादेशी एनक्लेव (छींटमहल) के लोगों को नागरिकता देने का फैसला किया है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की तरफ से की गई 2011 की जनगणना के मुताबिक, दोनों देशों के एनक्लेव में रहने वाले ज्यादातर लोग मुसलमान हैं। नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों को 12 साल का निवास साबित करना होता है। भूमि सीमा समझौते के मद्देनजर एनक्लेव का नियंत्रण लिए जाने के बाद सरकार की योजना सामूहिक आधार पर नागरिकता देने की है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हर शख्स को नागरिकता देने से पहले सहमति ली जाएगी कि वह भारत में रहना चाहता है या बांग्लादेश जाने का इच्छुक है। भूमि सीमा समझौते (एलबीए) के मुताबिक, बांग्लादेश में 17,160 एकड़ में तकरीबन 111 भारतीय एनक्लेव (छींटमहल) हैं, जो बांग्लादेश को हस्तांतरित किए जाएंगे, जबकि 7,110 एकड़ में मौजूद 51 बांग्लादेशी एनक्लेव भारत को मिलेंगे।

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