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बांग्लादेश के साथ समझौता, भाजपा के दोनों हाथ में लड्डू

बांग्लादेश के साथ भूमि समझौते को भाजपा अपने दोनों हाथ में लड्डू की तरह देख रही है। एक तरफ जहां विदेश नीति के मोर्चे पर एक और उपलब्धि के साथ-साथ घरेलू मोर्चे पर समस्या का निदान किए जाने के लिए पीठ ठोकी जाएगी।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 05 May 2015 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2015 08:21 PM (IST)
बांग्लादेश के साथ समझौता, भाजपा के दोनों हाथ में लड्डू

नई दिल्ली । बांग्लादेश के साथ भूमि समझौते को भाजपा अपने दोनों हाथ में लड्डू की तरह देख रही है। एक तरफ जहां विदेश नीति के मोर्चे पर एक और उपलब्धि के साथ-साथ घरेलू मोर्चे पर समस्या का निदान किए जाने के लिए पीठ ठोकी जाएगी। वहीं असम की जमीन बांग्लादेश में जाने का जिम्मा कांग्रेस पर थोपकर स्थानीय संवेदना हासिल करने की भी कोशिश है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव तक भाजपा जगह-जगह कांग्रेस विरोधी प्रदर्शन कर स्थानीय लोगों को समझाने की कोशिश करेगी कि कांग्रेस के कारण ही असम की जमीन बांग्लादेश को गई।

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संप्रग काल के स्वरूप में ही समझौते को दी मंजूरी

सोमवार देर रात भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर हुई वरिष्ठ नेताओं और असम के प्रतिनिधियों की बैठक में पूरी रणनीति तैयार हो गई। उसके बाद ही मंगलवार को संप्रग काल के स्वरूप में ही भूमि समझौते को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि पूर्वोत्तर में असम के जरिये ही भाजपा अपना कदम मजबूत करना चाहती है।

शुरू में रहा विरोध

शुरुआती विरोध के बाद यूं तो भाजपा में शीर्ष स्तर पर यह मान्यता बन गई थी कि बांग्लादेश से घुसपैठ समेत दूसरे मुद्दों के निदान के लिए समझौता को अमली जामा पहनाना जरूरी है। लेकिन असम में इसकी राजनीतिक कीमत से पार्टी आशंकित थी। भाजपा की पूरी असम इकाई राज्य की भूमि बांग्लादेश को देने के खिलाफ थी। यहां तक कि इसके विरोध में पाटी के कुछ नेताओं ने बगावत भी कर दी थी। यही कारण था कि भाजपा मे भी इस विधेयक में संशोधन कर असम को इससे बाहर रखने और सिर्फ पश्चिम बंगाल, मेघालय और त्रिपुरा की सीमा पर इसे अमलीजामा पहनाने का मन बनने लगा था।

गोगोई ने की राह आसान

लेकिन कांग्रेस ने भाजपा को राह दे दी। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने जहां पत्र लिखकर इसका विरोध किया था। वहीं संसद में भी कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया था कि असम को समझौते से बाहर रखा गया तो वह विरोध करेगी। सूत्रों की मानी जाए तो भाजपा की दोनों चाहत पूरी हो गई। अब चुनाव में जहां घुसपैठ से मुक्ति, सुरक्षा, गायों की तस्करी जैसे मामलों से निपटने की श्रेय लिया जाएगा। वहीं जमीन पर यह भी बताया जाएगा कि असम की जमीन में कटौती के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। यह प्रदर्शन असम में शुरू हो चुका है। आने वाले समय में इसे और तेज किया जाएगा।

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