डोकलाम विवाद पर चीन ने भारत के खिलाफ अपनाई ये रणनीति

चीन का आइडिया यह है कि इस तरह की खबरों से भारतीय सरकार पर दबाव बढ़ाया जाए ताकि वह डोकलाम से सेना पीछे हटा ले।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Publish:Sun, 13 Aug 2017 02:25 PM (IST) Updated:Sun, 13 Aug 2017 02:25 PM (IST)
डोकलाम विवाद पर चीन ने भारत के खिलाफ अपनाई ये रणनीति
डोकलाम विवाद पर चीन ने भारत के खिलाफ अपनाई ये रणनीति

नई दिल्ली, जेएनएन। क्या चीन दुनिया को भरमाने के लिए 'थ्री वॉरफेयर' की रणनीति भारत के साथ अपना रहा है? डोकलाम विवाद पर भारतीय रणनीति में शामिल लोगों का मानना है पेइचिंग ने डोकलाम विवाद में अपनी इस अवधारणा को पूरी तरह लागू कर दिया है।

थ्री वॉरफेयर में पब्लिक ऑपिनियन/मीडिया, साइकलॉजिकल वॉरफेयर और लीगल वॉरफेयर शामिल है। साउथ चाइना सी और अन्य मामलों में चीन ने थ्री वॉरफेयर का ही इस्तेमाल किया था। अब इसी विचार को भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी अपनाया जा रहा है।

हालांकि चीन का थ्री वॉरफेयर पूरी तरह से स्थापित नहीं है, लेकिन सूत्रों के अनुसार 2003 में चीन मिलिटरी कमिशन (CMC) ने थ्री वॉरफेयर के सिद्धांत को मंजूरी दी थी। 2016 में साउथ चाइना सी पर UNCLOS ट्राइब्यूनल द्वारा चीनी दावे को खारिज करने के बाद पेइचिंग ने थ्री वॉरफेयर का इस्तेमाल किया था।

इस तथ्य के बावजूद कि फिलीपींस ने अपने से कहीं ज्यादा ताकतवर पड़ोसी के खिलाफ बड़ी जंग जीत ली है, चीन ने यहां अपना थ्री वॉरफेयर सिद्धांत लागू किया और सफलतापूर्वक फिलीपींस के राष्ट्रपति को अपने पक्ष में कर लिया। एक साल बाद ही चीन इस मसले पर विजेता बनकर उभरा। किसी ने भी UNCLOS के फैसले का जिक्र तक नहीं किया और फिलीपींस चीन की शक्ति के सामने नतमस्तक हो गया।

डोकलाम के मसले पर चीन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पब्लिक ऑपिनियन को अपने पक्ष में प्रभावित करने के लिए इन्हीं नीतियों का इस्तेमाल कर रहा है। चीन की सरकारी मीडिया, विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और यहां तक कि विदेश मंत्री वेंग यी ने भी भारत के खिलाफ ढेर सारी बयानबाजी, प्रेस ब्रीफिंग कीं।

पूरी भारतीय मीडिया अभी चीनी संदेशों को खूब बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहा है। दरअसल चीन का आइडिया यह है कि इस तरह की खबरों से भारतीय सरकार पर दबाव बढ़ाया जाए ताकि वह डोकलाम से सेना पीछे हटा ले। चीन दबाव बनाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को 'झूठा' कहने से लेकर 'काउंटडाउन हैड बिगन' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से भी नहीं झिझक रहा।

चीन तो यह तक कहने से नहीं झिझका कि वह सिक्किम को भारत के कब्जे से 'फ्री' करने का समर्थन करेगा। चीन ने जम्मू-कश्मीर में हस्तक्षेप करने तक की बात कही। दरअसल चीन ऐसा करके भारतीय सेना को कमतर आंकना चाह रहा है और जवानों को नीचा दिखाना चाहता है। विवाद के बीच में चीनी मीडिया ने 1962 के युद्ध की बात भी छेड़ दी। कई तरह की बातें चीनी मीडिया में प्रचारित की गईं।

चीन के इन तिकड़मों पर भारत का कोई जवाब नहीं देना पेइचिंग के लिए सबसे बुरी स्थिति थी। भारत के चीनी मामलों के विशेषज्ञों ने सरकार का पथ प्रदर्शन किया। यहां तक विपक्षी पार्टियों ने भी चीनी तिकड़म पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।

साउथ चाइना सी पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के बाद भी चीन ने इस नीति को अपनाया था। चीन की सरकारी मीडिया ने इस फैसले को 'मजाक' बताया था। मीडिया ने कहा था कि इस फैसले को नहीं माना जाना चाहिए। कुछ ऐसा ही डोकलाम मुद्दे पर चीन भारत के साथ भी कर रहा है।

इस सप्ताह के शुरुआत में एक चीनी अधिकारी ने दावा किया कि भूटान ने डोकलाम पर चीन का अधिकार मान लिया है। हालांकि भूटान ने चीन के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया।

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