Chhattisgarh: हाथ गंवाकर जवान की बचाई जान, पढ़ें- त्याग, प्रेम, विश्वास और साहस से भरपूर 'ज्योति' की ये कहानी

एक बातचीत के दौरान ज्योती ने कहा कि मुझे नर्सिंग की पढ़ाई के दौरान यह पहला सबक सिखाया गया था कि आपात परिस्थिति में अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरे की जान बचाना नर्स का पहला कर्तव्य होता है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Wed, 09 Dec 2020 02:38 PM (IST) Updated:Wed, 09 Dec 2020 03:55 PM (IST)
Chhattisgarh: हाथ गंवाकर जवान की बचाई जान, पढ़ें- त्याग, प्रेम, विश्वास और साहस से भरपूर 'ज्योति' की ये कहानी
Chhattisgarh: हाथ गंवाकर जवान की बचाई जान, पढ़ें- त्याग, प्रेम, विश्वास और साहस से भरपूर 'ज्योति' की ये कहानी

रायपुर, हिमांशु शर्मा। त्याग, प्रेम, समर्पण, विश्वास और साहस से भरपूर छत्तीसगढ़ की एक लड़की की कहानी में वो सब कुछ है, जो दुनिया में एक बेहतर नजरिया लेकर उतरती है। एक लड़की जिसने नर्सिंग की पढ़ाई के दौरान यह सीखा था कि एक नर्स का सबसे बड़ा दायित्व होता है दूसरे की जिंदगी बचाना। एक सफर ने ज्याेती की जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। इस सफर में घटी एक दुर्घटना में ज्योती को अपना हाथ गंवाना पड़ा, लेकिन कुछ गंवाकर उसने बहुत कुछ हासिल भी किया। उसने सीआईएसएफ के एक जवान की जान बचाई और उसे अपना हमसफर बनाया। ज्याेती अब उसी जवान के साथ शादी कर केरल में बस चुकी हैं और अब वहां से भाजपा के टिकट पर पंचायत का चुनाव लड़ रही हैं।

बस्तर संभाग के उग्रवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिले के बचेली कस्बे में जन्मी और पली- बढ़ी ज्योति कुंडू ने एक नर्स बनकर दूसरों की सेवा करने का फैसला अपनी जिंदगी में लिया था। उसने नर्सिंग की पढ़ाई की और अपना करियर शुरू करने जा रही थी। इसी बीच 3 जनवरी 2010 को बस्तर में एक बस में सफर कर रही थीं, तभी एक दुर्घटना घट गई।

ज्योती ने देखा कि दुर्घटनाग्रस्त बस में सीआपीएफ के एक जवान जो उसी बस में सफर कर रहे थे, बेहोस पड़ेे थे ओर उनका सर बस की खिड़की के बाहर लटक रहा था। तभी सामने से एक ट्रक आता दिखा।

ज्याेती को तुरंत आभाष हो गया कि यदि इस वक्त उसने कुछ नहीं किया तो उस जवान की मौत हो जाएगी। ज्योती ने खिड़की से हाथ बाहर निकाला और जवान के सर को अंदर कर ही रही थी, इसी दौरान ट्रक बाजू से गुजरा और ज्योती का बांया हाथ उसकी चपेट में आ गया। ज्याेती ने जवान विकास की जान तो बचा ली, लेकिन इस घटना में उन्हें अपना हाथ गंवाना पड़ा।

कई महीने अस्पताल में गुजारने के बाद ज्योती स्वस्थ्य हुईं। इस बीच जिस जवान की उन्होंने जान बचाई उनके साथ एक आत्मीय संबंध स्थापित हो गया। दोनों ने आगे साथ रहने का फैसला किया और शादी कर ली।

एक बातचीत के दौरान ज्योती ने कहा कि मुझे नर्सिंग की पढ़ाई के दौरान यह पहला सबक सिखाया गया था कि आपात परिस्थिति में अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरे की जान बचाना नर्स का पहला कर्तव्य होता है। उस दुर्घटना के दौरान मुझे अपना यही कर्तव्य सबसे पहले याद आया। आज ज्योती कुंडू शादी के बाद ज्योती विकास बन चुकी हैं। उनका एक बेटा भी है और वे अब केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लंगोडे ब्लॉक के पंचायत पलाथुलली में रह रही हैं। भाजपा ने उन्हें यहां से पंचायत चुनाव का उम्मीदवार बनाया है। ज्योती ने अपनी जिंदगी में जो कुछ खोया, उसे भूलक वह अब दूसरों की जिंदगी को बेहतर बनाने में जुटी हैं।

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