कराड सीट पर अपने ही बागी से जूझ रहे चह्वाण

महाराष्ट्र में हो रहे विधान सभा चुनाव में दक्षिण कराड क्षेत्र से अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए चुनाव लड़ रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण को अपने ही पार्टी के बागी का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि सतारा जिले के अंतर्गत आने वाला कराड कांग्रेस का परंपरागत सीट है।

By Prajesh ShankarEdited By: Publish:Mon, 06 Oct 2014 12:00 PM (IST) Updated:Mon, 06 Oct 2014 12:16 PM (IST)
कराड सीट पर अपने ही बागी से जूझ रहे चह्वाण

कराड। महाराष्ट्र में हो रहे विधान सभा चुनाव में दक्षिण कराड क्षेत्र से अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए चुनाव लड़ रहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण को अपने ही पार्टी के बागी का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि सतारा जिले के अंतर्गत आने वाला कराड कांग्रेस का परंपरागत सीट है।

पूर्व मुख्यमंत्री चह्वाण के प्रतिद्वंद्वी 79 वर्षीय विलासराव उनडलकर इस सीट से सात बार जीत दर्ज कराई है और पिछले 35 वर्षो से वह जीतते आ रहे हैं। चह्वाण के यहां से लड़ने की घोषणा के बाद उनडलकर ने पार्टी से बगावत का झंडा बुलंद करके यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में कूद पड़े हैं। इसके पूर्व वे लगातार सात बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पहली बार विधान सभा चुनाव लड़ रहे हैं चौहान 2011 में राज्य की सत्ता संभालने से पहले सांसद और केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं।

आपको बता दें, इस क्षेत्र में उनडलकर को लोग काका कहकर बुलाते हैं। जिससे उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं, पृथ्वीराज चव्हाण की छवि कि विदेश में पढ़ाई करने वाले एक टेक्नोक्रैट की हैं। जबकि साधारण धोती-कुर्ता पहनने वाले काका जो अपने पास मोबाइल फोन भी नहीं रखते हैं और क्षेत्र के हर कार्यकर्ता को उनके नाम से बुलाते हैं। इन सबसे चव्हाण की राह बहुत आसान नहीं नजर आ रही है। हालांकि, मुख्यमंत्री रहते हुए पृथ्वीराज चव्हाण ने अपने क्षेत्र के लिए बहुत काम किया है। जिसमें जिले में एयरपोर्ट और चार लेन की सड़क का निर्माण शामिल है। इसके अलावा चव्हाण के पिता आनंदराव और मां प्रेमला ताई लोकसभा में नेतृत्व कर चुकी हैं। जिसका लाभ मिलता दिखाई दे रहा है।

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