किसानों का कर्ज माफ नहीं करेगी केंद्र सरकार: अरुण जेटली

वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही पंजाब ने 10 लाख किसानों का कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Tue, 20 Jun 2017 10:25 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jun 2017 10:25 PM (IST)
किसानों का कर्ज माफ नहीं करेगी केंद्र सरकार: अरुण जेटली
किसानों का कर्ज माफ नहीं करेगी केंद्र सरकार: अरुण जेटली

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार देशभर में किसानों का कर्ज माफ नहीं करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि केंद्र कृषि ऋण माफ करने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार कर्ज माफ करने के बजाय राजकोषीय घाटे को काबू रखने पर जोर देगी।

वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही पंजाब ने 10 लाख किसानों का कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की है। इससे पहले उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र भी किसानों का कृषि ऋण माफ करने की घोषणा कर चुके हैं। जेटली ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कृषि ऋण माफ करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार के समक्ष राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजटीय प्रबंधन कानून के लक्ष्य हैं और उनको हासिल करना है।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय आम बजट 2017-18 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर रखा गया है जो बीते वित्त वर्ष में 3.5 प्रतिशत से कम है। पूर्व राजस्व सचिव एन के सिंह की अध्यक्षता वाली एफआरबीएम समिति ने अगले तीन वर्षो में मार्च 2020 तक राजकोषीय घाटा नियंत्रित रखकर जीडीपी के तीन प्रतिशत पर काबू रखने को कहा है। साथ ही इसने इसे लगातार घटाते हुए वर्ष 2022-23 तक 2.5 प्रतिशत के स्तर पर लाने को भी कहा है।

गौरतलब है कि रबी मौसम में शानदार फसल उत्पादन के बावजूद देश के कई हिस्सों में किसान कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। दरअसल किसानों की कठिनाइयों की वजह घरेलू और वैश्रि्वक बाजार में कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट आना है। यही वजह है कि देश के अलग-अलग भागों में किसान कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं। हालांकि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने आगाह किया है कि अगर राज्य इसी तरह कर्ज माफी पर खजाना लुटाते रहे तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है और इससे आने वाले दिनों में महंगाई दर भी बढ़ सकती है।

दरअसल 'उदय' योजना से पहले ही राज्यों पर 4.5 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ चुका है। ऐसे में अगर सभी राज्य 2019 तक कर्ज माफ करते हैं तो उनके खजाने पर लगभग 2.47 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है। वर्ष 2017-18 में राज्यों ने राजकोषीय घाटे को संयुक्त तौर पर 1.53 फीसद पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है जो किसानों के कर्ज माफी के बोझ की वजह से बढ़ कर 2.71 फीसद हो सकती है। राज्यांे पर कर्ज का बोझ भी 16.2 फीसद के बजाय बढ़ कर 17.44 फीसद हो सकते हैं।

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