आखिर क्यों सीबीआइ में छिड़ा संग्राम, दो अफसरों के भिड़ने की इनसाइड स्टोरी

सीबीआइ ने विशेष निदेशक अस्थाना के खिलाफ 15 अक्टूबर को मामला दर्ज किया है। यह मुकदमा सतीश साना की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है।

By Sachin BajpaiEdited By: Publish:Sun, 21 Oct 2018 09:10 PM (IST) Updated:Mon, 22 Oct 2018 07:16 AM (IST)
आखिर क्यों सीबीआइ में छिड़ा संग्राम, दो अफसरों के भिड़ने की इनसाइड स्टोरी
आखिर क्यों सीबीआइ में छिड़ा संग्राम, दो अफसरों के भिड़ने की इनसाइड स्टोरी

 नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस : सीबीआइ ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए अपने उप प्रमुख विशेष निदेशक राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ मांस कारोबारी मोईन खान को क्लीन चिट देने के मामले में रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने रिश्वत लेकर मांस कारोबारी को क्लीन चिट दी। मोईन पर मनी लांड्रिंग (धन को अवैध रूप से देश से बाहर भेजने) और भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। इसी मामले में अस्थाना ने सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए दो महीने पहले कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखा था।

सीबीआइ के प्रवक्ता अभिषेक दयाल के मुताबिक विशेष निदेशक अस्थाना, एजेंसी के अधिकारी देवेंद्र, रिश्वत देने में भूमिका निभाने वाले मनोज प्रसाद और उसके भाई सोमेश के खिलाफ 15 अक्टूबर को मामला दर्ज किया गया है। मामले में खुफिया संगठन रॉ के विशेष निदेशक सामंत कुमार गोयल का नाम भी दर्ज किया गया है लेकिन उन्हें अभियुक्त नहीं बनाया गया है। शनिवार को इस सिलसिले में देवेंद्र के दिल्ली स्थित आवास पर छापेमारी भी की गई। ये मुकदमे सतीश साना की शिकायत के आधार पर दर्ज किए गए हैं। साना मांस कारोबारी मोईन कुरैशी से संबंधित मामले में जांच का सामना कर रहा है।

माना जा रहा है कि साना ही वह मध्यस्थ था जिसने मोईन को क्लीन चिट दिलाने में अहम भूमिका निभाई। सीबीआइ ने मामले के एक अन्य बिचौलिये मनोज प्रसाद को 16 अक्टूबर को तब गिरफ्तार किया जब वह दुबई से लौटा था। मनोज और उसके भाई सोमेश ने रिश्वत में दी गई धनराशि का इंतजाम करने में प्रमुख भूमिका निभाई। सूत्रों के अनुसार मजिस्ट्रेट के सामने मनोज के इकबालिया बयान के बाद अस्थाना के खिलाफ दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज किया गया।

अस्थाना ने कैबिनेट सेक्रेटरी को लिखा था पत्र

गुजरात कैडर के 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना प्रमुख मामलों की जांच करने वाले सीबीआइ के विशेष जांच दल (एसआइटी) के प्रमुख हैं। यह दल अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद में दलाली लेने, विजय माल्या कर्ज घोटाले जैसे प्रमुख मामलों की जांच कर रहा है। इसी दल ने मोईन कुरैशी के मामले की जांच की थी। मोईन पर लगे आरोपों की जांच प्रवर्तन निदेशालय भी कर रहा है। मामले में अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखकर उन दस मामलों की जानकारी दी थी जिसमें उन्हें लगता था कि एजेंसी प्रमुख आलोक वर्मा ने भ्रष्टाचार किया।

अस्थाना ने मोईन खान के मामले में वर्मा पर दो करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया था। यह रुपये सतीश साना के जरिये लिए गए। कैबिनेट सेक्रेटरी ने इस शिकायती पत्र को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के पास जांच के लिए भेजा है। इसके बाद अस्थाना ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को 19 अक्टूबर को पत्र लिखकर कहा कि वह मोईन कुरैशी क्लीन चिट मामले की जांच आगे बढ़ाने के लिए साना को गिरफ्तार करना चाहते हैं। बताया कि उन्होंने इस बाबत सीबीआइ निदेशक वर्मा को 20 सितंबर को पत्र लिखा था लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। सतर्कता आयुक्त को लिखे पत्र में अस्थाना ने उन सारे सुबूतों का भी जिक्र किया जो उन्होंने 24 अगस्त को कैबिनेट सेक्रेटरी को लिखे पत्र में किया था।

साना के जरिये वर्मा को घेरने की कोशिश 
सूत्रों के अनुसार आलोक वर्मा को घेरने के लिए अस्थाना सतीश साना से कड़ाई करना चाहते हैं। एसआइटी ने बीती एक अक्टूबर को साना को तलब कर उससे मामले पर पूछताछ भी की लेकिन उससे वर्मा के खिलाफ कुछ उगलवाने में खास सफलता नहीं मिल पाई। एजेंसी में अस्थाना की टीम ने साना को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी करने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। अस्थाना ने साफ कहा कि मामले में जो भी पत्रावली सीबीआइ निदेशक के पास भेजी गई, उसे किसी फैसले के साथ वापस नहीं किया गया और जान-बूझकर लंबित रखा गया।

मामले में सतीश साना की ओर से प्राप्त शिकायत में कहा गया है कि मनोज ने मोईन कुरैशी से जुड़ा मामला खत्म करवाने के लिए पांच करोड़ रुपये मांगे थे। मनोज दुबई में इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप में कार्य करता है। जबकि मनोज का भाई सोमेश राकेश अस्थाना के धन के निवेश के मामलों को देखता था। सीबीआइ ने मामले में उसे भी अभियुक्त बनाया है। एजेंसी की जांच में पता चला है कि रिश्वतखोरी मामले में दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 के बीच पांच बार धन का लेन-देन हुआ। 16 अक्टूबर को जब मनोज को गिरफ्तार किया गया तब वह रिश्वत की किश्त की वसूली के सिलसिले में ही भारत आया था।

मनोज की गिरफ्तारी के बाद अस्थाना ने किए थे फोन..  
विशेष निदेशक के खिलाफ घूसखोरी का मुकदमा दर्ज करने में सीबीआइ ने उन नौ फोन कॉल्स को भी सुबूत के तौर पर रखा है जो बिचौलिये मनोज प्रसाद की गिरफ्तारी के बाद की गईं। मनोज की गिरफ्तारी के बाद मची अफरातफरी में ये फोन कॉल्स की गईं। 17 अक्टूबर को चार कॉल विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को कीं। इनके अतिरिक्त कई वाट्सएप संदेशों को भी सुबूत के तौर पर रखा गया है। ये संदेश मनोज के मोबाइल फोन से बरामद हुए हैं।

लालू से जुड़ी जांच प्रभावित कर रहे वर्मा 
देश की शीर्ष जांच एजेंसी में शीर्ष स्तर पर छिड़ी जंग का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि कुछ महीने पहले विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से जुड़ी जांच में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था। लालू की रेलवे के आइआरसीटीसी घोटाले से जुड़ी जांच अस्थाना की टीम कर रही है। इस मामले में एजेंसी ने बयान जारी कर निदेशक का बचाव किया और कहा कि विशेष निदेशक खुद आधा दर्जन मामलों में आरोपों का सामना कर रहे हैं, उनके द्वारा लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं।

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