पेड़-पौधों के संरक्षण को बनाया जिंदगी का मिशन

जब भी प्राकृतिक आपदा आती है हम उसके लिए वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को जिम्मेदार बताते हैं, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए काम करने वालों की संख्या काफी कम है। शाहदरा स्थित भोलानाथ नगर में रहने वाले रविंद्र कुमार गुप्ता ऐसे ही कुछ शख्सों में शामिल हैं। वह पिछले

By Sanjay BhardwajEdited By: Publish:Thu, 22 Jan 2015 10:34 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jan 2015 10:50 AM (IST)
पेड़-पौधों के संरक्षण को बनाया जिंदगी का मिशन

पूर्वी दिल्ली [अंकुर शुक्ला]। जब भी प्राकृतिक आपदा आती है हम उसके लिए वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को जिम्मेदार बताते हैं, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए काम करने वालों की संख्या काफी कम है। शाहदरा स्थित भोलानाथ नगर में रहने वाले रविंद्र कुमार गुप्ता ऐसे ही कुछ शख्सों में शामिल हैं। वह पिछले दो दशकों से पेड़-पौधों के संरक्षण में जुटे हैं।

उन्होंने नोएडा में जमीन खरीदकर एक नर्सरी का निर्माण किया है। इस नर्सरी में पौधों की 600 से ज्यादा प्रजातियां है। इनमें से 90 फीसद पौधे औषधीय गुणों वाले हैं। थोड़ी सी जगह में ज्यादा पौधे कैसे लगाए जा सकते हैं, इस दिशा में भी उन्होंने एक नई तरकीब सुझाई है। इसके लिए कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने उन्हें पुरस्कृत भी किया है।

शरणम हाउस में पौधों की बहार

रविंद्र के मुताबिक नोएडा सेक्टर-आठ स्थित शरणम हाउस में उनकी नर्सरी है। इसमें आंवला, मैजिक प्लांट, सूरजमुखी, अजरुन, पत्थरचट, लेमन ग्रास, एलोवेरा जैसे औषधीय गुण वाले पौधे लगाए गए हैं। नर्सरी के अलावा मकान के लगभग हर हिस्से में पौधों की भरमार है।

बेजुबान पौधों को मिला रखवाला

रविंद्र ने अपने प्रयासों को परवान चढ़ाने के लिए हरित मिशन नाम की संस्था का गठन किया और लगतार दो दशकों से पेड़-पौधों के रखवाले और शुभचिंतक बने हुए हैं। इतना ही नहीं उन्हें अगर कोई बेकार और बंजर भूमि की जानकारी मिलती है, तो वह तत्काल वहां हरियाली लाने की जुगत में जुट जाते हैं। जब भी उन्हें सूखते हुए या सूखने के कगार पर पहुंचे पेड़-पौधों की जानकारी मिलती है, वह वहां पहुंचकर उसे बचाने की मुहिम में जुट जाते है। पहले लोग उन्हें जुनूनी और फितूरी की संज्ञा देते थे, लेकिन उनका यही जुनून उन्हें पर्यावरण प्रेमी होने का रूतबा दिला चुका है।

पौधे बांटकर फैला रहे हैं जागरूकता

रविंद्र के मुताबिक जिस तेजी के साथ प्राकृतिक तत्वों का क्षरण हो रहा है, नतीजतन पैदा हुए प्रदूषण की समस्या को काबू में करने के लिए प्रत्येक नागरिक को कम से कम पांच पौधे लगाने चाहिए। इस मकसद को पूरा करने के लिए समय मिलते ही वे अपनी नर्सरी में विकसित पौधों को लेकर लोगों तक पहुंचाते हैं और उनसे पर्यावरण बचाने की अपील करते हैं। वह विद्यालयों में जाकर बच्चों को पर्यावरण के लिहाज से पेड़-पौधों का महत्व समझाते हैं और उन्हें पौधरोपण के लिए जागरूक करते हैं।

पार्कों को गोद लेने की तैयारी

दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से पार्को को गोद लेने की योजना के तहत भी वह सूरजमल विहार स्थित डी ब्लॉक और इंद्रप्रस्थ एक्सटेंशन के कृपाल अपार्टमेंट स्थित डीडीए पार्क को गोद लेने की तैयारी में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि अगर उन्हें पार्को के देखभाल की जिम्मेदारी मिल गई, तो वह इन पार्को को राजधानी के गौरव के रूप में विकसित कर सकते हैं।

बेकार वस्तुओं का करते हैं इस्तेमाल

रविंद्र पौधों को विकसित करने की नित्य नए तरीके विकसित करते रहते हैं। आम तौर पर बेकार पड़ी वस्तुओं को लोग कूड़ेदान में फेंकने में ही यकीन करते हैं, लेकिन वह ऐसी वस्तुओं को पौधों को पोषित करने में इस्तेमाल करते हैं। वह खाली और बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों को गमलों की तरह इस्तेमाल करते हैं।

मल्टीलेवल रैक बना जगाई उम्मीद

रविंद्र ने एक ऐसा रैक तैयार किया है, जिसकी मदद से कम जगह में ज्यादा संख्या में पौधों को तैयार करना संभव हो जाता है। इस रैक की खास बात यह है कि एक के ऊपर दूसरा खाना होने के बावजूद सभी पौधों को समान रूप से धूप मिलता है। उनके इस प्रयास को राजधानी के कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने सराहा है और इसके लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया है।

पर्यावरण संरक्षण पर विशेष नाटक मंचन की तैयारी

पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए वे इन दिनों विशेष नाटक तैयार करने में जुटे हुए हैं। इसके लिए प्रशिक्षित कलाकारों की एक टीम तैयार की गई है। उनका कहना है कि नाटक के मंचन से संबंधित तैयारियों के पूरा होते ही वह सुनियोजित तरीके से चौक-चौराहों, स्कूल-पार्को सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर इसके मंचन का सिलसिला शुरू करेंगे।

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