समस्या

अब बताने और समझाने की जरूरत नहीं रह गई है। धरती के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ का नतीजा हम सबको दिख रहा है। उसका खामियाजा हम भुगत रहे हैं। जहां कुछ साल पहले घने जंगल हुआ करते थे, वहां आज कंक्रीट की अट्टालिकाएं खड़ी हो चुकी हैं। जहां कभी पानी से लबालब भरे ताल, पोखर, झीलें और अन्य जल स्रोत हुआ करते थे, आज अमूमन उनका अस्तित्व ही नहीं है। जो हैं भी वे सूखे उजाड़ पड़े हैं। मौसम बदल रहा है। जीव-जंतु गायब हो रहे हैं। फसलों की पैदावार घट रही है। नई-नई बीमारियां लोगों को जकड़ रही हैं। समुद्र उफन रहा है। पर्यावरण के हर क्षेत्र को हम असंतुलित करते जा रहे हैं।

सवाल

इन सभी गड़बड़ियों का एक मात्र कारण है पर्यावरण के कुदरती नियमों से की गई छेड़छाड़। हमने स्वार्थो के लिए प्रकृति का इतना दोहन किया लेकिन बदले में उसे उतना दे नहीं सके। हम प्रकृति से अलग होते चले गए। विकास की अंधी दौड़ हमने गलत रास्ते पर लगा ली। आखिर धरती हमारी है। जल, जंगल और जमीन हमारे हैं। हम ही इनका इस्तेमाल करते हैं। आज अगर इनके अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है तो इसे कौन दूर करेगा? इसका दुष्परिणाम समाज के सभी तबकों पर बराबर पड़ रहा है। अमीर-गरीब, बड़ा-छोटा सभी समान रूप से इससे प्रभावित हैं।

समाधान

आगामी पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। हालांकि ऐसे दिवसों का आयोजन समस्या को दुरुस्त करने के प्रयासों और संकल्पों के लिए किया जाता है, लेकिन हमारे नीति-नियंता कुछ कार्यक्रमों के साथ अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं। चूंकि पर्यावरण नुकसान के दुष्परिणाम के सीधे असर से हम सब प्रभावित हैं। लिहाजा हम सबको ही आगे आना होगा। ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण हम सबके लिए सबसे बड़ा मुद्दा बन जाता है। तो आइए, विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हम अपने प्रयासों से धरती के पर्यावरण को बचाने का संकल्प लें।

जनमत

क्या हमारे आसपास पर्यावरण नुकसान से दिखने वाले असर के लिए हम सभी दोषी हैं?

हां 97 फीसद

नहीं 3 फीसद

क्या पर्यावरण को बचाकर हम सीधे तौर पर अपनी अधिकांश दिक्कतें दूर कर सकते हैं?

हां 94 फीसद

नहीं 6 फीसद

आपकी आवाज

पर्यावरण के साथ हो रहे खिलवाड़ के लिए हम सभी दोषी हैं। -कृष्णा विनय याहू.कॉम

मनुष्य चाहे कितना ही विकास कर ले, कितनी भी तरक्की कर ले परंतु वह प्रकृति के सामने हमेशा बौना ही रहेगा। -एससी मधेशिया 1475 जीमेल.कॉम

पर्यावरण को बचाकर अधिकांश दिक्कतें तो दूर की जा सकती हैं लेकिन इसके लिए सभी को जुटना होगा। -तुषार रंजन सिंह तुषार जीमेल.कॉम

पर्यावरण मानव जीवन की तमाम गतिविधियों से सीधे जुड़ा हुआ है। इस प्रकार पर्यावरण संरक्षण मानव सभ्यता की सुरक्षा के लिए अति आवश्यक है। -नारायण कैरों 39 जीमेल.कॉम

अगर हमारा पर्यावरण साफ और प्रदूषण मुक्त होगा तो हम भी खुशहाल और निरोगी रहेंगे। -एस 91988351 जीमेल.कॉम

पर्यावरण को स्वच्छ रखकर हम जीवन को और सरल बना सकते हैं। -देव पी 704 जीमेल.कॉम

हमारी जिंदगी पर्यावरण पर आश्रित है। पर्यावरण जितना सुरक्षित होगा उतने ही सुरक्षित हम होंगे। -हेमंत.बथनाहा20जीमेल.कॉम

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