Bilkis Bano Case : सुप्रीम कोर्ट ने दी व्यवस्था, जहां अपराध घटित हुआ था वही राज्य करेगा समयपूर्व रिहाई पर फैसला, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया है कि बिल्किस बानो मामले में 15 साल की सजा काट चुके उम्र कैदी राधेश्याम भगवानदास शाह की समय पूर्व रिहाई पर गुजरात सरकार विचार करेगी या महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 15 May 2022 07:57 PM (IST) Updated:Mon, 16 May 2022 12:34 AM (IST)
Bilkis Bano Case : सुप्रीम कोर्ट ने दी व्यवस्था, जहां अपराध घटित हुआ था वही राज्य करेगा समयपूर्व रिहाई पर फैसला, जानें पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने बताया है बिल्कीस बानो केस में उम्र कैदी राधेश्याम भगवानदास शाह की अर्जी पर कौन विचार करेगा...

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया है कि चर्चित बिल्किस बानो केस में उम्र कैद की सजा काट रहे राधेश्याम भगवानदास शाह उर्फ लाला वकील की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर गुजरात सरकार ही विचार करेगी न कि महाराष्ट्र सरकार। इतना ही नहीं कैदी की समय पूर्व रिहाई के बारे में वही नीति लागू होगी जो उसे सजा सुनाए जाते वक्त गुजरात में लागू थी न कि उसकी अर्जी पर विचार करते समय की नीति। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को दोषी राधेश्याम की समय पूर्व रिहाई की अर्जी दो माह में निपटाने का आदेश दिया है।

13 मई को सुनाया था फैसला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक राज्य से दूसरे राज्य ट्रायल स्थानांतरित होने वाले मुकदमों में दोषियों की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर सुनवाई का क्षेत्राधिकार तय करने वाला यह अहम फैसला न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की पीठ ने 13 मई को सुनाया था। दोषी राधेश्याम 15 साल चार महीने कैद की सजा काट चुका है और उसने समय पूर्व रिहाई की मांग की है।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगे में हुई थी सामूहिक दुष्कर्म की घटना

गोधरा कांड के बाद गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों में बिल्किस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था और उसके परिवार के कई लोगों की हत्या कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का ट्रायल अहमदाबाद से मुंबई स्थानांतरित कर दिया था। मुंबई में ट्रायल चला और अभियुक्तों को सजा हुई जिसमें सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले राधेश्याम को भी दुष्कर्म और हत्या के जुर्म में उम्र कैद की सजा हुई।

गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी दोषी की अर्जी

गुजरात हाई कोर्ट ने राधेश्याम की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि मामले का ट्रायल महाराष्ट्र में हुआ था इसलिए समय पूर्व रिहाई अर्जी महाराष्ट्र राज्य में दी जानी चाहिए न कि गुजरात में। बिल्किस बानो प्रकरण में ही एक अन्य दोषी रमेश रूपाभाई ने बांबे हाई कोर्ट में अर्जी देकर समय पूर्व रिहाई मांगी थी लेकिन बांबे हाई कोर्ट ने उसकी अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि अपराध गुजरात में हुआ था इसलिए समय पूर्व रिहाई अर्जी पर गुजरात में लागू नीति से विचार होगा।

दोषी ने कानूनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी

बांबे हाई कोर्ट के फैसले के बाद राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कानूनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की थी। राधेश्याम के वकील ऋषि मल्होत्रा ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से यह भी कहा था कि समय पूर्व रिहाई पर उस समय की नीति लागू होनी चाहिए जब राधेश्याम को सजा हुई थी न कि उस समय की जब उसकी अर्जी पर विचार किया जाए।

राधेश्याम के मामले में 1992 की नीति से होगा विचार

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि समय पूर्व रिहाई पर वही नीति लागू होगी जो सजा सुनाए जाते वक्त गुजरात राज्य में लागू थी। राधेश्याम के मामले में नौ जुलाई, 1992 की नीति लागू होगी। कोर्ट ने इस बारे में हरियाणा राज्य बनाम जगदीश मामले में दिए पूर्व फैसले में तय की जा चुकी व्यवस्था को आदेश में उल्लिखित किया है।

विशेष परिस्थितियों में हुआ था ट्रायल का स्थानांतरण

पीठ ने कहा है कि अपराध गुजरात में हुआ, परन्तु विशिष्ट परिस्थितियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीमित उद्देश्य से ट्रायल छह अगस्त 2004 को महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया था। ट्रायल पूरा होने और सजा सुनाए जाने के बाद दोषी को गुजरात में ही स्थानांतरित कर दिया गया जहां अपराध हुआ था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ट्रायल पूरा होने और दोषी ठहराए जाने के बाद बाकी सारी कार्यवाहियां जिसमें माफी या समय पूर्व रिहाई भी शामिल है, गुजरात की नीति के मुताबिक ही तय होंगी।

chat bot
आपका साथी