खून के साथ एड्स का अभिशाप देने में महाराष्‍ट्र तीसरे नंबर पर

अामतौर पर एचआइवी संक्रमण के पीछे असुरक्षित यौन संबंधों को कारण माना जाता है पर ब्‍लड ट्रांसफ्यूजन से इस संक्रमण के इजाफा मामले में महाराष्‍ट्र तीसरे नंबर पर है।

By Monika minalEdited By: Publish:Wed, 01 Jun 2016 12:11 PM (IST) Updated:Wed, 01 Jun 2016 12:19 PM (IST)
खून के साथ एड्स का अभिशाप देने में महाराष्‍ट्र तीसरे नंबर पर

मुंबई। पिछले डेढ़ वर्ष के दौरान खून चढ़ाने से महाराष्ट्र में करीब 276 लोग एचआइवी संक्रमित हो गए हैं। इस मामले में राज्य को तीसरा पोजिशन दिया गया है, जो चिंता का विषय है।

आरटीआइ के अनुसार, नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (नाको) ने खुलासा किया है कि डेढ़ वर्षों के दौरान पूरे देश से 2,234 लोग एचआइवी संक्रमित ब्लड चढ़ाने की वजह से इस खतरनाक बीमारी के चपेट में आ गए हैं। इस वजह से सुरक्षित ब्लड के प्रति गंभीरता पर सवाल उठा है।

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ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए एचआइवी के मामले में उत्तर प्रदेश में सबसे आगे है यहां इससे संबंधित 361 मामले सामने आए हैं इसके बाद गुजरात है जिसमें 292 मामले हैं। 264 मामलों के साथ दिल्ली चौथे स्थान पर है। पिछले 6 सालों में महाराष्ट्र में 1,239 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं। जबकि अपने निष्कर्षों के साथ कार्यकर्ताओं ने चेताया था।

एक वरिष्ठ नाको अधिकारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ’यह आंकड़ा पीड़ितों ने स्वयं बताया है। कुल मिलाकर स्थिति पहले से कहीं अधिक बेहतर हुई है। 1999 में ट्रांसफ्यूजन की वजह से एचआवी संक्रमण 15 फीसद थी जो अब कम होकर 1 फीसद हो गयी है।‘

महाराष्ट्र की एड्स कंट्रोल सोसायटी ने कहा कि इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटरों (आइसीटीसी) में अधिकतर क्लाइंट्स ने असुरक्षित सेक्स करने के बावजूद ब्लड ट्रांसफ्यूजन का इतिहास बताया। सोसायटी की ज्वाइंट डायरेक्टर शोभना तेहरा ने कहा,’कम से कम 90 फीसद एचआइवी संक्रमण सेक्स के जरिए ही होते हैं।‘

आरटीआइ कार्यकर्ता चेतन कोठारी ने कहा, ’इस मामले में सबसे अधिक थैलीसिमीया के रोगी शामिल होते हैं।‘ भारत में अक्टूबर 2014 से मार्च 2016 के बीच ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए एचआइवी संक्रमण के 2,234 मामले सामने आए हैं।

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नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (नाको) व स्वास्थ्य विभाग ने कहा 2009-10 के दौरान भारत में 2,711 ऐसे मामले देखे गए थे और पिछले 15 वर्षों में ब्लड ट्रांसफ्यूजन के कारण एचआइवी प्रभावित लोगों की संख्या में काफी कमी आयी है, फिर भी सरकार इसे जीरो स्तर तक लाने में जुटी है।

2015 के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2014 तक नाको का कुल ब्लड संग्रह 30 लाख यूनिट था। भारत में एचआइवी ग्रस्त लोगों की संख्या 2011 में 20.9 लाख के करीब थी। करीब 86 फीसद लोग 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच के थे।

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