आजम पर नाराजगी बढ़ी, मुलायम बचाव में

बुधवार तक सब ठीक होने के दावे करने वाले प्रो. रामगोपाल गुरुवार सुबह अचानक मुखर हो गए। सुबह तेवर ऐसे तीखे थे कि उन्होंने सीधे आजम से इस्तीफा मांग डाला। पार्टी ने कुछ और नेताओं ने भी उनके सुर में सुर मिलाए। सियासत गरमाई तो पार्टी नेताओं ने एकाएक चुप्पी साध ली। मीडिया से घंटों दूरी के बाद आखिर पार्टी मुखिया मुलायम सिंह सामने आए और बोले, आजम उनसे कभी अलग नहीं हो सकते। इससे साफ हो गया कि पहले हमले के बाद सपा अब आजम पर धीमा चलेगी।

By Edited By: Publish:Thu, 12 Sep 2013 10:44 AM (IST) Updated:Fri, 13 Sep 2013 01:16 PM (IST)
आजम पर नाराजगी बढ़ी, मुलायम बचाव में

आगरा [जागरण संवाददाता]। लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने को बुलाई गई सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी दिग्गज नेता मोहम्मद आजम खां की गैर मौजूदगी के चक्रव्यूह में उलझ गई। बुधवार तक सब ठीक होने के दावे करने वाले प्रो. रामगोपाल गुरुवार सुबह अचानक मुखर हो गए। सुबह तेवर ऐसे तीखे थे कि उन्होंने सीधे आजम से इस्तीफा मांग डाला। पार्टी ने कुछ और नेताओं ने भी उनके सुर में सुर मिलाए। सियासत गरमाई तो पार्टी नेताओं ने एकाएक चुप्पी साध ली। मीडिया से घंटों दूरी के बाद आखिर पार्टी मुखिया मुलायम सिंह सामने आए और बोले, आजम उनसे कभी अलग नहीं हो सकते। इससे साफ हो गया कि पहले हमले के बाद सपा अब आजम पर धीमा चलेगी।

बुधवार से होटल आइटीसी मुगल में शुरू हुई समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पहले दिन सूबे के नगर विकास मंत्री आजम खां न आए तो स्थिति असहज जो गई थी। पहले दिन डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी ने सब ठीक होने की बात कही। इसके बावजूद कार्यसमिति की बैठक और आजम खां के बीच की दूरी कम नहीं हुई।

सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने कई बड़े चेहरों ने इस पर नाराजगी जताई। तब उम्मीद थी कि आजम खां, पार्टी मुखिया मुलायम सिंह से संपर्क करेंगे। परंतु ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद गुरुवार का सूरज निकलने के साथ साथ ही पार्टी के कई दिग्गजों के तेवर भी धूप की तरह तीखे हो गए। सबसे पहले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता प्रो. रामगोपाल यादव ने मोर्चा खोला।

उन्होंने आजम खां के सवाल पर कह दिया यदि वह दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पा रहे, तो इस्तीफा दे दें। उनका बयान अभी सुर्खियों में आ भी न पाया था कि दूसरे महासचिव नरेश अग्रवाल ने भी आजम को बता दिया कि अब बात बिगड़ चुकी है। उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी से बड़ा नहीं है।

ये दो बयान क्या आए, आगरा से लखनऊ तक सियासी गरमी बढ़ गई। सवाल तीखे और कयास तेज हो गए, यह देख सपा ने चुप्पी साध ली। बैठक में मंथन के बाद कोई नेता मीडिया के सामने नहीं आया। सुबह अचानक तीखे तेवर दिखाने वाले नेता भी यहां तक कि बिना कुछ बोले निकल गए। आखिर पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव आगे आए।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ मीडिया से रूबरू हुए मुलायम सिंह ने सारे बयानों को पूरी तरह खारिज कर दिया। कह दिया कि आजम किसी से नाराज नहीं हैं। न आजम का पार्टी में कोई विरोध है।

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आजम खान के सपा बैठक में न आने के सवाल पर मुलायम ने कहा कि उन्हें कहीं पहले से तय प्रोग्राम में जाना था, जिस वजह से वह यहां नहीं आ सके हैं। सपा प्रमुख इस दौरान आम चुनाव में तीसरे मोर्चे की भी बात करते दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि सपा ने कांग्रेस को कोई समर्थन नहीं दिया है। कुछ मुद्दों पर उनका समर्थन जरूर केंद्र सरकार को होता है, इससे अधिक और कुछ नहीं है। इस पत्रकार वार्ता में उन्होंने मुजफ्फरनगर दंगों में मारे गए लोगों के प्रति अपनी सहानुभूति भी जताई।

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साथ ही मुलायम ने कहा कि दंगा भड़काने वाले दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। आजम को मुस्लिम वोट बैंक के तहत अपने साथ रखने की मजबूरी पर मुलायम सिंह ने कहा कि वह कभी धर्म की राजनीति नहीं करते हैं। पत्रकारवार्ता में कई सवाल आजम खान के इर्द-गिर्द ही घूमते दिखाई दिए, जिन्हें सपा प्रमुख ने नकार दिया। उन्होंने यहां तक कहा कि सपा में किसी ने आजम का विरोध नहीं किया है। हालांकि बाद में उन्होंने यह भी कहा कि सपा लोकतांत्रिक पार्टी है लिहाजा किसी ने अपनी बात रख दी होगी।

गौरतलब है कि आजम के लगातार सपा की बैठकों में न जाने की वजह से सपा में नाराजगी बढ़ रही थी। गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने उन्हें इस्तीफा देने तक को कह दिया। वहीं दूसरी ओर महासचिव नरेश अग्रवाल ने कहा है कि आजम खां मुस्लिमों को लेकर गलतफहमी में हैं।

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प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने आज काफी तल्ख लहजे में कहा कि आजम खां यदि अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकते हैं तो इस्तीफा दे दें। दूसरी ओर नरेश अग्रवाल ने कहा कि यदि कोई यह समझता है कि समाजवादी पार्टी को मुस्लिम वोट उसकी वजह से मिलता है तो यह उसकी गलतफहमी है। नरेश का इशारा आजम खां की तरफ था।

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