आयुष्मान भारत में आयुर्वेद का होगा दखल, आरोग्य केंद्रों में भी उपलब्ध होंगी आयुर्वेदिक दवाएं

बजट में आयुष्मान भारत के तहत 1.5 करोड़ आरोग्य केंद्र खोलने की घोषणा की थी, ताकि आम लोगों के पड़ोस में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 13 Feb 2018 10:06 PM (IST) Updated:Tue, 13 Feb 2018 10:06 PM (IST)
आयुष्मान भारत में आयुर्वेद का होगा दखल, आरोग्य केंद्रों में भी उपलब्ध होंगी आयुर्वेदिक दवाएं
आयुष्मान भारत में आयुर्वेद का होगा दखल, आरोग्य केंद्रों में भी उपलब्ध होंगी आयुर्वेदिक दवाएं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत में आयुर्वेद की अहम भूमिका होगी। देश में खुलने वाले 1.5 करोड़ आरोग्य केंद्रों में आयुर्वेदिक दवाएं भी उपलब्ध होंगी। सामुदायिक चिकित्सा केंद्रों और जिला अस्पतालों में आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज का पायलट प्रोजेक्ट अलग से चल रहा है। आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आरोग्य केंद्रों में आयुर्वेद के साथ-साथ युनानी, सिद्ध, प्राकृतिक चिकित्सा और योग को भी जगह मिलेगी।

ध्यान देने की बात है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट में आयुष्मान भारत के तहत 1.5 करोड़ आरोग्य केंद्र खोलने की घोषणा की थी, ताकि आम लोगों के पड़ोस में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। इन केंद्रों में सामान्य बीमारियों की मुफ्त दवाएं भी उपलब्ध होंगे। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आरोग्य केंद्र में आम आदमी को निरोग रहने के लिए देशी चिकित्सा पद्धति अपनाने पर जोर दिया जाएगा। इन केंद्रों में योग के प्रशिक्षण के साथ-साथ युनानी, आयुर्वेद और सिद्ध से जुड़ी दवाएं भी मौजूद होंगी।

जिला अस्पतालों और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज का पायलट प्रोजेक्ट शुरू

दरअसल देश में जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसी बीमारियों पर नियंत्रण और इलाज में योग और आयुर्वेद काफी हद तक सफल रहा है। कौंसिल फार साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च ने डायबटीज के इलाज के लिए बीजीआर-34 नामक आयुर्वेदिक दवा विकसित की थी। एमिल फार्मासिटिकल्स द्वारा बाजार में बेची जा रही यह दवा दो साल के भीतर डायबटीज के इलाज में 20 बड़े ब्रांड में शामिल हो गया है।

जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं की सफलता को देखते हुए उसे चिकित्सा प्रणाली में औपचारिक रूप से शामिल करने का काम शुरू भी हो चुका है। प्राथमिकता चिकित्सा केंद्रों और जिला अस्पतालों में डायबटीज और उच्च रक्तचाप से जुड़ी बीमारियों के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं को शामिल करने का पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। इसके तहत सेंट्रल कौंसिल फार रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइसेंस (सीसीआरएएस) और डायरेक्टोरेट आफ हेल्थ सर्विसेस (डीजीएसएस) ने साथ मिलकर 49 कम्युनिटी सेंटर और तीन जिला अस्पतालों में आयुर्वेदिक दवाओं से मरीजों का इलाज शुरु किया है। जिसे आगे पूरे देश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है। सरकार की कोशिश आम लोगों को इलाज के लिए एक समग्र चिकित्सा उपलब्ध कराने की है और यह सिर्फ एलोपैथी दवाओं से नहीं हो सकता है।

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