आर्ट ऑफ लिविंग ने भरा 25 लाख जुर्माना, किश्तों में जमा होगी बाकी रकम

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में कई घंटे की दलीलों के बाद विश्व संस्कृति महोत्सव ने शुक्रवार को आखिरकार कानूनी बाधाओं को पार कर लिया। एनजीटी ने यमुना खादर में आयोजित हो रहे महोत्सव के आयोजक आर्ट ऑफ लिविंग को पांच करोड़ रुपये जुर्माने में से 25 लाख तुरंत जमा करने को

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 11 Mar 2016 11:12 PM (IST) Updated:Sat, 12 Mar 2016 09:14 AM (IST)
आर्ट ऑफ लिविंग ने भरा 25 लाख जुर्माना, किश्तों में जमा होगी बाकी रकम

नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में कई घंटे की दलीलों के बाद विश्व संस्कृति महोत्सव ने शुक्रवार को आखिरकार कानूनी बाधाओं को पार कर लिया। एनजीटी ने यमुना खादर में आयोजित हो रहे महोत्सव के आयोजक आर्ट ऑफ लिविंग को पांच करोड़ रुपये जुर्माने में से 25 लाख तुरंत जमा करने को कहा। न्यायाधिकरण के आदेश के बाद आयोजकों ने 25 लाख जुर्माना तुरंत भर दिया। शेष 4.75 करोड़ की रकम किश्तों में जमा करने के लिए इसे तीन सप्ताह का समय दिया गया है। उल्लेखनीय है कि एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर पांच करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है।

शुक्रवार की सुनवाई के दौरान आयोजकों ने पांच करोड़ रुपये तत्काल भुगतान करने में असमर्थता जताई और चार सप्ताह का समय मांगा। इसे न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली प्रधान पीठ ने खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि आदेश की गरिमा बनाए रखने के लिए संस्था को कुछ राशि तो जमा करनी पड़ेगी। पीठ ने आयोजकों से पूछा कि वे कितनी राशि कार्यक्रम शुरू होने से पहले जमा करना चाहते हैं? इस पर संस्था के अधिवक्ताओं ने कहा कि वे 25 लाख रुपये जमा कर सकते हैं।

पीठ ने शेष राशि तीन सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया। साथ ही कहा कि अगर आर्ट ऑफ लिविंग 25 लाख रुपये भुगतान नहीं करता है, तो उसे सरकार से मिलने वाले 2.5 करोड़ रुपये के अनुदान को अटैच कर दिया जाएगा। पीठ ने पूछा कि क्या आयोजकों को सरकार से ढाई करोड़ रुपये अनुदान मिला है। इस पर आर्ट ऑफ लिविंग के अधिवक्ता ने बताया कि अब तक सिर्फ 1.68 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई है।

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यमुना में प्रदूषण न फैले

पीठ ने दिल्ली विकास प्राधिकरण सहित संबंधित एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इस आयोजन से यमुना नदी में कोई प्रदूषण न फैले। एनजीटी ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की भी खिंचाई की। पीठ ने कहा कि मंत्रालय के अधिकारियों ने यमुना में प्रदूषण की जांच नहीं की है।

श्री श्री के बयान से नाराज

सुनवाई के दौरान एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग प्रमुख श्री श्री रविशंकर के बयान पर नाखुशी प्रकट की। श्री श्री ने कहा था कि वह जुर्माना नहीं देंगे। इसके बदले जेल चले जाएंगे। पीठ ने कहा कि जब उनके कद का कोई व्यक्ति ऐसा वक्तव्य देता है तो इससे कानून को ठेस पहुंचती है। अगर कोई भी व्यक्ति ट्रिब्यूनल की छवि को ठेस पहुंचाएगा, तो कानून के अनुसार उस पर कार्रवाई होगी।

वकीलों ने दी सफाई

आर्ट ऑफ लिविंग के वकीलों ने श्री श्री के वक्तव्य पर सफाई देते हुए बताया कि उनका बयान अलग संदर्भ में था। ट्रिब्यूनल की शर्त का असम्मान करने का उनका कोई इरादा नहीं था। इस पर पीठ ने कहा कि वह आयोजन के चलते यमुना में होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंतित है। पीठ ने कहा कि कानून का पालन करना सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

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