जानें, क्यों 16 साल बाद भी अधूरा रहेगा कारगिल युद्ध का इतिहास

कारगिल युद्ध का इतिहास आज तक नहीं लिखा गया है। पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने कारगिल युद्ध के इतिहास को लिखवाना शुरू किया है।

By Manish NegiEdited By: Publish:Tue, 26 Jul 2016 10:38 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jul 2016 11:08 AM (IST)
जानें, क्यों 16 साल बाद भी अधूरा रहेगा कारगिल युद्ध का इतिहास

नई दिल्ली। पूरा देश आज कारगिल युद्ध में हुई जीत की 17वीं वर्षगांठ मना रहा है। लेकिन 1999 में तीन महीने तक चली इस लंबी लड़ाई का लिखित इतिहास नहीं है।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने बीते साल जनवरी में कारगिल युद्ध के इहितास को लिखवाना शुरू किया। इतिहासकार श्रीनाथ राघवन के नेतृत्व में ये यह प्रोजेक्ट दो साल में पूरा होगा। लेकिन, सेना के वो जवान जिन्होंने कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। वो मंत्रालय के इतिहास विभाग को इस जंग से जुड़ी ऑपरेशनल जानकारियां नहीं दे रहे हैं।

हालांकि, सेना की उत्तरी कमांड और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) की एक्शन रिपोर्ट के बाद छह वॉल्युम इतिहास विभाग को भेज दिए। लेकिन अन्य किसी फाइल में हिस्सा लेने से मना कर दिया। इसमें युद्ध में भाग लेने वाली सभी डिवीजन्स और ब्रिगेड की वॉर डायरी भी शामिल है।

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डीजीएमओ ने अपनी वॉर डायरी को भी शेयर करने से मना कर दिया। आर्मी सूत्रों के मुताबिक, इन दस्तावेजों में वर्तमान में होने वाले ऑपरेशन्स की महत्वपूर्ण जानकारियां हैं। जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।

पूर्व डीजीएमओ रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने बताया “कारगिल युद्ध का इतिहास लिखा जाना जरूरी है लेकिन, हर ऑपरेशन की जानकारी को शेयर नहीं किया जा सकता है। कारगिल युद्ध में जो कुछ हुआ उसके आधार पर सेना को कई ठिकानों पर तैनात किया गया है और डीजीएमओ उन्हें सार्वजनिक नहीं कर सकता।”

सूत्रों के मुताबिक वायु और नौसेना मुख्यालय ने कारगिल युद्ध से संबंधित सभी दस्तावेजों को सौंप दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कारगिल युद्ध का इतिहास लिखा जाना अभी जल्दबाजी होगा। उन्होंने कहा “अगर रक्षा मंत्रालय ने प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले हमसे पूछा होता तो हम उन्हें इस काम को 5 से 7 साल बाद शुरू करने के लिए कहते।”

सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने कारगिल युद्ध का इतिहास लिखने के विचार को साल 2014 में आगे बढ़ाया। बता दें अभी तक अन्य युद्ध के इतिहास को आधिकारिक इतिहासकारों द्वारा लिखा गया था लेकिन, कारगिल युद्ध के इतिहास के लिए बाहरी इतिहासकार को भी जोड़ा गया है।

इतिहासकार श्रीनाथ राघवन पूर्व सेना अधिकारी हैं। फिलहाल वो दिल्ली में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में सीनियर फेलो हैं। उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए दिसंबर 2014 में चुना गया था।

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