सेना प्रमुख एमएम नरवाने ने कहा, विरासत में मिली सैन्य चुनौतियां वक्त के साथ हुई गंभीर

जनरल नरवाने ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर चल रहे घटनाक्रमों को लेकर सशस्त्र बलों को देश की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा करने के साथ अनसुलझे सीमा विवाद और उसके परिणामस्वरूप पैदा हुई चुनौतियों की प्रकृति से अवगत रहना चाहिए।

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 08:09 PM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 08:09 PM (IST)
सेना प्रमुख एमएम नरवाने ने कहा, विरासत में मिली सैन्य चुनौतियां वक्त के साथ हुई गंभीर
थल सेना प्रमुख एमएम नरवाने ने गुरुवार को कहा

नई दिल्ली, प्रेट्र। थल सेना प्रमुख एमएम नरवाने ने गुरुवार को कहा कि उत्तरी मोर्चे पर हाल में पैदा हुई स्थिति ने क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने में देश के समक्ष पेश आ रही हमारी चुनौतियों की प्रकृति को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि विरासत में मिली चुनौतियों में समय के साथ गंभीरता बढ़ी है। भारतीय सेना जहां भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हो रही है वहीं देश की संवेदनशील सीमाओं पर चुनौतियां कहीं अधिक वास्तविक और खतरनाक होती जा रही हैं। इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सेना प्रमुख ने यह बात एक शीर्ष सैन्य थिंक टैंक सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज द्वारा आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कही।

गौरतलब है कि पिछले नौ महीनों से हजारों की संख्या में भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं। इस गतिरोध ने दोनों देशों के संबंधों में काफी तनाव पैदा कर दिया है। जनरल नरवाने ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर चल रहे घटनाक्रमों को लेकर सशस्त्र बलों को देश की क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा करने के साथ अनसुलझे सीमा विवाद और उसके परिणामस्वरूप पैदा हुई चुनौतियों की प्रकृति से अवगत रहना चाहिए। उन्होंने कहा, नि:संदेह नए खतरे भी हैं, लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि विरासत में मिली चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। बल्कि उनके स्वरूप और गंभीरता में वृद्धि ही हुई है।

भविष्य के युद्ध जीतने के लिए पारंपरिक तरीकों के साथ नए उपाय भी करने होंगे

उन्होंने चीन से लगी 3,500 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का जाहिरा तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय सेना तैयारी करना और भविष्य के लिहाज से खुद को अनुकूल बनाना जारी रखेगी। भारतीय सेना भविष्य में भी युद्ध जीतने के लिए क्रमिक रूप से अपनी ताकत बढ़ा रही है। भविष्य के खतरों पर विचार करते हुए सेना मल्टी डोमेन ऑपरेशंस पर भी ध्यान दे रही है। उन्होंने सुरक्षा चुनौतियों के बदलते परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने अब तक जल, थल और नभ में अपनी ताकत बढ़ाने पर ध्यान दिया। वहीं हमारे दुश्मनों ने अंतरिक्ष, साइबर दुनिया और सूचना के क्षेत्र में जंग का दायरा बढ़ा दिया है। 

भविष्य के युद्ध जीतने के लिए हमारे लिए जल, थल और नभ (आकाश) के पारंपरिक क्षेत्रों में महारथ पर्याप्त नहीं होगी। हमारे दुश्मन जब नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं तो हमें भी अपनी सेना को साम‌र्थ्यवान बनाने के लिए नए उपाय अपनाने होंगे। सेना प्रमुख ने यह भी बताया कि भविष्य के युद्ध में किस तरह मानव रहित विमानों, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम तकनीक, ड्रोन और सेटेलाइट का प्रयोग होगा। 

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