समलैंगिकता और व्यभिचार को दंडनीय अपराध बनाना चाहती है सेना, रक्षा मंत्रालय के सामने रखा पक्ष

अनुशासन बनाए रखने के लिए सेना समलैंगिक संबंध और व्यभिचार को दंडनीय अपराध बनाए रखना चाहती है। सेना ने रक्षा मंत्रालय के सामने इस बारे में अपना पक्ष रखा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 01 Nov 2019 07:42 AM (IST) Updated:Fri, 01 Nov 2019 07:42 AM (IST)
समलैंगिकता और व्यभिचार को दंडनीय अपराध बनाना चाहती है सेना, रक्षा मंत्रालय के सामने रखा पक्ष
समलैंगिकता और व्यभिचार को दंडनीय अपराध बनाना चाहती है सेना, रक्षा मंत्रालय के सामने रखा पक्ष

नई दिल्ली, पीटीआइ। अनुशासन बनाए रखने के लिए सेना समलैंगिक संबंध और व्यभिचार को दंडनीय अपराध बनाए रखना चाहती है। इसके लिए सेना ने रक्षा मंत्रालय के समक्ष अपना पक्ष रखा है। सेना ने यह मांग सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोनों मामलों को अपराध की श्रेणी से हटाने के फैसले के करीब एक साल बाद की है।सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि सैन्य कानून में समलैंगिक संबंध और व्यभिचार में लिप्त पाए जाने वाले जवानों को सजा देने का प्रावधान है, लेकिन अब उन्हें उसी कानून के अलग प्रावधानों के तहत दंडित किया जाएगा। 

सूत्रों ने बताया कि सेना ने रक्षा मंत्रालय से कहा है कि दोनों संबंधों को दंडनीय बनाए रखने से यह निवारक की तरह काम करेगा, अन्यथा यह गंभीर अनुशासन की समस्या बन जाएगी और इससे कमान एवं नियंत्रण की समस्या आएगी। बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में सेना के एडजुटेंट जनरल अश्विनी कुमार ने कहा था कि कुछ मामले कानूनी रूप से सही हो सकते हैं, लेकिन नैतिक रूप से गलत होते हैं। भारतीय सेना में एडजुटेंट जनरल की शाखा सैनिकों के कल्याण के लिए जिम्मेदार है और सभी स्तरों पर सैनिकों के खिलाफ शिकायतों का निपटारा करती है।

गुरुवार को सेवानिवृत्त हुए अश्विनी कुमार ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट की ओर से कही गई कोई भी बात देश का कानून है और उसे मानना बाध्यकारी है।' जब उनसे पूछा गया कि क्या सेना फैसले की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी, अश्विनी कुमार ने कहा, 'आपको कैसे पता कि हमने पहले ही यह नहीं किया?' उन्होंने कहा, सेना समलैंगिकता और व्यभिचार के मामलों से सेना के संबंधित कानून के आधार पर निपटारा करती है और इसमें अनुचित कार्य करने वाले अधिकारी को सजा देने का प्रावधान है। 

अश्विनी कुमार ने बताया कि सैन्य पुलिस में 100 महिला कर्मियों के पहले बैच का प्रशिक्षण इसी साल के अंत तक शुरू होगा। यह प्रशिक्षण बेंगलुरु स्थित सैन्य पुलिस केंद्र में प्रदान किया जाएगा। इन कर्मियों को 2021 के आखिर तक तैनाती दिए जाने की संभावना है।

अश्विनी कुमार ने कहा, 'जो अधिकारी समलैंगिक संबंध बनाने के आरोपी होंगे अब उनके खिलाफ सेना कानून की धारा-46 के तहत नहीं बल्कि धारा-45 (उम्मीद के विपरीत व्यवहार कर पद का दुरुपयोग करना एवं खराब आचरण) के तहत मामला चलेगा। धारा-46 में क्रूर, अश्लील और अप्राकृतिक कृत्य करने पर सजा का प्रावधान है। अश्विनी कुमार ने कहा, 'नैतिक अधमता और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।' इससे पहले सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा था कि सेना में समलैंगिक संबंध और व्यभिचार की इजाजत नहीं दी जाएगी।

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