आसपास ही है आपका दुश्मन, हर सांस पर मंडरा रहा है खतरा

अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है जो मरीज को सांस लेने में दिक्कत पैदा कर देती है। इस बीमारी के लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत, खांसी, घबराहट और छाती में जकड़न महसूस होती है।

By Digpal SinghEdited By: Publish:Tue, 02 May 2017 10:24 AM (IST) Updated:Tue, 02 May 2017 11:51 AM (IST)
आसपास ही है आपका दुश्मन, हर सांस पर मंडरा रहा है खतरा
आसपास ही है आपका दुश्मन, हर सांस पर मंडरा रहा है खतरा

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, खासतौर पर बड़े शहरों की तेज रफ्तार लाइफ में अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि सांस लेने की भी फुर्सत नहीं है। ऐसे में खुद के लिए वक्त निकालना और अपने शरीर की जरूरतों को समझना और भी मुश्किल हो जाता है। लगातार बढ़ता प्रदूषण और हेल्दी लाइफ स्टाइल की कमी के चलते सांस लेने में दिक्कत, खांसी और सांस फूलना आम बात हो गई है। ऐसे लक्षणों की तरफ हम अक्सर ध्यान नहीं देते, लेकिन बता दें कि यह अस्थमा की निशानी भी हो सकते हैं।

अस्थमा डे क्या है, क्यों मनाया जाता है?

हर साल मई माह के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। दुनियाभर में अस्थमा के प्रति जागरुकता, बचाव और उपाय बताने के लिए ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) इस दिन का आयोजन करता है। पिछले साल यह 3 मई को था, जबकि अगले वर्ष 1 मई और 2019 में 7 मई को मनाया जाएगा। पहला विश्व अस्थमा दिवस 1998 में मनाया गया था।

लक्षण: एक-एक सांस जरूरी है

अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है जो मरीज को सांस लेने में दिक्कत पैदा कर देती है। इस बीमारी के लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत, खांसी, घबराहट और छाती में जकड़न महसूस होती है। लक्षण बार-बार सामने आ सकते हैं और कई बार काफी लंबे वक्त तक लक्षण नजर भी नहीं आते। वैसे तो अस्थमा किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर यह बीमारी बचपन में ही शुरू होती है।

क्यों होता है अस्थमा?

फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाले मार्ग में सूजन के कारण अस्थमा के लक्षण दिखायी देते हैं। हालांकि अलग-अलग लोगों में इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं। इस सूजन के कारण फेफड़ों तक हवा पहुंचाने वाली नलियों में ऐंठन पैदा हो जाती है और इससे स्वास नलियों सिकुड़ जाती है। इससे हवा का फेफड़ों तक पहुंचना और वहां से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। इससे घबराहट और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इस सूजन की वजह से स्वास नलियों में ज्यादा बलगम बनने लगता है और इससे खांसी हो जाती है, जिसके कारण सांस लेने में और भी ज्यादा दिक्कत होने लगती है।

क्या कहते हैं डॉक्टर

फोर्टिस अस्पताल के डॉ ए.के सिंह ने कहा, अस्थमा एक ऐसी बिमारी है जो सांसों की नली में सूजन से होती है, जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है। खांसते-खांसते मरीज की सांस फूल जाती है। अस्थमा की बड़ी वजह प्रदूषण भी है इसके साथ ही धूल, पालतू जानवर भी इसके कारण हैं।


दुनिया की सांसें थाम रहा अस्थमा

दुनियाभर में 30 करोड़ (300 मीलियन) लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। अच्छी बात यह है कि पिछले कुछ दशकों में बच्चों में अस्थमा की लक्षण कम देखने को मिले हैं। GINA के अनुसार पश्चिमी यूरोप में इस बीमारी के मामलों में जहां कमी दखी गई है, वहीं अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, पूर्वी यूरोप और एशिया महाद्वीप में इसके मामले बढ़े हैं। अस्थमा के कारण हर साल दुनियाभर में करीब 3 लाख 46000 लोगों की मौत हो जाती है।

भारत भी पीछे नहीं

साल 2016 में आयी एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में अस्थमा के मरीजों के कुल 10 फीसद मामले अकेले भारत में हैं। इसमें भी डराने वाली बात यह है कि पिछले एक दशक में भारतीय उपमहाद्वीप में बच्चों में यह बीमारी तेजी से बढ़ी है। अस्थमा का अनुवांशिकी से कोई संबंध नहीं है, इसके बावजूद बच्चों में जिस तरह से यह बीमारी पांव पसार रही है वह चिंतनीय है। भारत में वैरिफाइड डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था Curofy के एक सर्वे में 82 फीसद डॉक्टरों का मानना है कि भारत में प्रदूषण के कारण बच्चों में अस्थमा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 

जागरण हेल्थ डेस्क की रश्मी उपाध्याय कहती हैं, अस्थमा आजकल की बढ़ती हुई समस्या है। बच्चे, बूढ़े, जवान हर उम्र के लोगों में अस्थमा के लक्षण देखे जा रहें है। पूरे विश्व में लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं इसके साथ ही ये बच्चों को आसानी से अपनी चपेट में ले रहा है।

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