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अस्पताल में बढ़े अस्थमा, स्किन व आंखों के मरीज

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गेहूं की थ्रे¨सग से उड़ने वाले धूल कण लोगों को सीओपीडी, अस्

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Apr 2017 01:11 AM (IST)Updated: Tue, 18 Apr 2017 01:11 AM (IST)
अस्पताल में बढ़े अस्थमा, स्किन व आंखों के मरीज

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

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गेहूं की थ्रे¨सग से उड़ने वाले धूल कण लोगों को सीओपीडी, अस्थमा, स्किन व आंखों के मरीज बना रहे हैं। इसकी वजह से अस्पतालों में ओपीडी एकाएक बढ़ गई है। एलएनजेपी अस्पताल में सोमवार को 700 से अधिक मरीज अपनी जांच कराने के लिए पहुंचे, जिनमें से सबसे ज्यादा मरीज अस्थमा व सीओपीडी के थे। वहीं बारीक धूल कणों आंखों को घायल कर रहे हैं। एलएनजेपी अस्पताल में एलर्जी के मरीज बढ़ गए हैं। आईफ्लू और एलर्जी को मिलाकर रोजाना 60 अधिक मरीज नेत्र रोग विभाग में पहुंच रहे हैं, जबकि चर्म रोग विशेषज्ञों पर भी ऐयरबोर्न कांटेक्ट डर्मेडाइटर के मरीज आ रहे हैं।

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60 से 70 मरीज पहुंच रहे आईफ्लू व एलर्जी के

एलएनजेपी अस्पताल के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना 60 से 70 मरीज आइफ्लू व एलर्जी के आ रहे हैं। इनमें से भी आइफ्लू के मरीजों की संख्या ज्यादा है। यह एक संक्रमण का रोग है जिसका वायरस एक से दूसरे को तुरंत अपनी चपेट में ले लेता है। इसमें मरीज की आंखें लाल हो जाती है। इसके अलावा आंखों में सूजन, आंखें चिपचिपी हो जाना, आंखों में जलन, चुभन, खुजली व धुंधला दिखना इसके लक्षण हैं।

डॉ. नीतिका, नेत्र रोग विशेषज्ञ, एलएनजेपी अस्पताल

बचाव

1. हाथों को साबुन से धोने के बाद ही आंखों पर हाथ लगाएं।

2. आंखों में ठंडे पानी के छींटे लगाए।

3. ठंडी चीजों को आंखों पर रखें जैसे खीरा व कटे हुए आलू।

4. यदि घर में किसी को आईफ्लू हो गया हो तो आप घर की सफाई पर ध्यान दें। हाथों को अच्छे से साफ करें।

5. रोगी के रूमाल व तौलिया का प्रयोग न करें।

आईफ्लू के अन्य उपाय

1. आईफ्लू होने पर आंखों पर चश्मा लगाएं।

2. आंखों को नहीं रगड़े।

3. किसी इंसान से हाथ न मिलाएं।

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आपातकालीन विभाग में भी पहुंच रहे दमा रोगी

एलएनजेपी अस्पताल की ओपीडी में तो श्वास के रोगी आ ही रहे हैं आपातकालीन विभाग में भी दमा के रोगी पहुंच रहे हैं। धुआं, धूल, दूषित गैस जब श्वसन तंत्र के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश करता है, तो इसकी वजह से फेफड़ों की छोटी-छोटी पेशियों में इंजरी हो जाती है। फेफड़ों द्वारा वायु को पूरा अंदर पचा पाना मुश्किल हो जाता है, जिससे रोगी को श्वास लेने में ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। इसी के चलते सांस लेने में तकलीफ होती है। इस रोग में कभी-कभी ऐंठन इतनी अधिक हो जाती है, जिसके कारण दम घुटने लगता है। इस रोग में सांस नली में सूजन हो जाती है और कफ जमा हो जाने के कारण सांस लेने में कठिनाई होती है।

डॉ. दिपाली, फिजिशियन, एलएनजेपी अस्पताल

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ऐयरबोर्न कांटेक्ट डर्मेडाइटर बीमारी के मरीज आ रहे सामने

इन दिनों स्कीन की ओपीडी में ऐयरबोर्न कांटेक्ट डर्मेडाइटर बीमारी से पीड़ित मरीज आ रहे हैं। इस दौरान चेहरे, कलाई और शरीर के हर उस हिस्से जिस पर मिट्टी के उड़ते हुए कण बैठ जाते हैं, उनकी वजह से स्किन एलर्जी हो जाती है। इसके बाद उस स्थान पर खारिश होती है और खुजली करने की वजह से शरीर का वह हिस्सा लाल हो जाता है। इससे बचने के लिए शरीर के हर हिस्से को ढक कर चलें। वाहन पर चलते हुए सिर व मुंह को हेलमेट से कवर करें। इसके अलावा पूरी बाजू के कपड़े पहने।

डॉ. विवेक अग्रवाल, चर्म रोग विशेषज्ञ एवं सेवानिवृत्त वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी।


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