पहली कामयाबी के बाद दूसरी 'वंदे भारत' को बनाया और बेहतर, जल्द नई रेक पहुंचेगी दिल्ली

Vande Bharat Express की नई रेक में टायलेट के दरवाजों के पीछे कोट टांगने के हुक भी मिलेंगे। इंफोटेनमेंट के लिए नये रेक में सेंट्रलाइज्ड लोडिंग की व्यवस्था की गई है। वॉशबेसिन में दर्

By Nitin AroraEdited By: Publish:Thu, 16 May 2019 09:18 PM (IST) Updated:Thu, 16 May 2019 09:18 PM (IST)
पहली कामयाबी के बाद दूसरी 'वंदे भारत' को बनाया और बेहतर, जल्द नई रेक पहुंचेगी दिल्ली
पहली कामयाबी के बाद दूसरी 'वंदे भारत' को बनाया और बेहतर, जल्द नई रेक पहुंचेगी दिल्ली

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। एक लाख किलोमीटर का सफर पूरा करने के साथ ही देश की पहली स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन 'वंदे भारत एक्सप्रेस' ने अपनी तकनीकी उत्कृष्टता साबित कर दी है। शुरुआती चुनौतियों के बावजूद अब तक इस ट्रेन का एक भी फेरा रद नहीं हुआ है। इससे स्वदेशी तकनीक के प्रति रेलवे भरोसा बढ़ा है और अब वे इस ट्रेन की नई एवं उन्नत रेक तैयार करने तथा उन्हें नए रूटों पर आजमाने की तैयारी में से जुट गए हैं। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने वंदे भारत की जो दूसरी रेक बनाई है उसमें पहली ट्रेन की अनेक खामियों को दूर कर दिया गया है। इसे मई के अंत तक दिल्ली पहुंचा दिया जाएगा। ताकि जून या जुलाई में नए रेलमंत्री द्वारा स्वीकृत रूट पर इसका संचालन किया जा सके।

शुरुआती चुनौतियों के बावजूद दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाई गई पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को लोगों ने बहुत पसंद किया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 17 फरवरी के पहले दिन से आज तक ये ट्रेन खचाखच भरी चल रही है और इसका संचालन रेलवे के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। इससे अफसरों का मनोबल बढ़ा है और वे इसे कई अन्य रूटों पर चलाने की तैयारियों में जुट गए हैं।

इसके लिए उन्होंने कई रूटों का विकल्प तैयार किया है। इनमें वाराणसी-पटना-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई जैसे लंबे रूट शामिल हैं। लेकिन अंतत: ये किस रूट पर चलेगी इसका फैसला नई केंद्र सरकार करेगी। लेकिन अपनी तरफ से अधिकारियों इतना अवश्य सुनिश्चित कर दिया है कि नए रेलमंत्री को ट्रेन में पहली वंदे भारत की खामियों का शिकवा सुनने को न मिले।

इसके लिए नई रेक में अनेक परिवर्तन, संशोधन और संव‌र्द्धन किए गए हैं। उदाहरण के लिए ट्रेन की कांच की खिड़कियों को पत्थरबाजी के नुकसान से बचाने के लिए उन पर विशेष एंट्री-स्पालिंग फिल्म की कोटिंग की गई है। इसके अलावा कोच के भीतर शोर के प्रभाव को कम करने के लिए बेहतर इंसुलेशन के अलावा ट्रेन के हार्न को दूसरी जगह पर लगाया गया है। पहली ट्रेन में पैंट्री के कम स्थान को लेकर बड़ी शिकायत थी। नई रेक में इसे दूर करने के लिए अतिरिक्त जगह प्रदान की गई है।

पशुओं की टक्कर के कारण पहली वंदे भारत को शुरुआती यात्राओं में काफी क्षति उठानी पड़ी थी। इस समस्या से निपटने के लिए नई रेक के कैटल गार्ड की नोज को फाइबर के बजाय मजबूत एल्यूमिनियम से तैयार किया गया है। उच्च तापमान सहने के लिए नई रेक की वायरिंग में एचटी केबल का इस्तेमाल किया गया है। वाटर बॉटल होल्डर भी ज्यादा उन्नत है। इंफोटेनमेंट के लिए नये रेक में सेंट्रलाइज्ड लोडिंग की व्यवस्था की गई है। वॉशबेसिन में दर्पण की स्थिति सुधारी गई है। पानी की बर्बादी रोकने के लिए दबाए जाने वाले मेकेनिकल फिक्स्ड डिस्चार्ज टैप लगाए गए हैं।

नई रेक में टायलेट के दरवाजों के पीछे कोट टांगने के हुक भी मिलेंगे। लेकिन दूसरी रेक में पहली ट्रेन की एक शिकायत कमोबेश बनी रहेगी। वो है सीट का पीछे की ओर कम झुकना। रेलवे अफसर इसे ठीक करने को राजी नहीं हैं। उनका कहना है कि वंदे भारत की मोल्डेड रबर की सीटों को जानबूझकर अपेक्षाकृत सीधा रखा गया है। क्योंकि लंबी दूरी में सीधे बैठने से रीढ़ स्वस्थ रहती है।

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