सरहद पर जाकर 18 साल से सैनिकों को राखी बांध रही एक बहन

गौरी 1999-2000 से सरहद पर जाकर सैनिकों को राख बांध रही है। गौरी का सैकड़ों जवानों से राखी बहन का पवित्र रिश्ता कायम हो चुका है।

By Arti YadavEdited By: Publish:Sat, 04 Aug 2018 08:27 AM (IST) Updated:Sat, 04 Aug 2018 09:20 AM (IST)
सरहद पर जाकर 18 साल से सैनिकों को राखी बांध रही एक बहन
सरहद पर जाकर 18 साल से सैनिकों को राखी बांध रही एक बहन

भोपाल (भोजराज उच्चसरे)। रक्षाबंधन.. स्नेह और विश्वास का बंधन.. जब डोर एक बार बंध जाए.. तोड़े से भी नहीं टूटती। किसी अनजान से भी स्नेह का बंधन अटूट हो उठता है। बात जब देश पर जान न्यौछावर कर देने वाले सैनिकों की हो तो उन्हें बांधा गया रक्षा व भावना का बंधन जीवनभर का साथ निभाने का वादा दे जाता है। कुछ ऐसे ही देश के सैकड़ों सैनिकों को पिछले 18 साल से सरहद पर जाकर रक्षासूत्र में बांधने वाली मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की निवासी युवती गौरी बालापुरे पदम का जवानों से रिश्ता प्यार, मनुहार और दुलार का बन गया है।

एक राखी बहन सैनिकों की न केवल दुलारी है, बल्कि उसकी देश के कोने-कोने में रहने वाले सैन्य अफसरों व जवानों से भाई-बहन के पवित्र बंधन की रिश्तेदारी भी है। दरअसल, जब देश कारगिल युद्ध की विभीषिका से जूझ रहा था, टाइगर हिल पर कब्जा करने के लिए देश के करीब 600 जवान कुर्बानी दे चुके थे। तब बैतूल के महावीर वार्ड स्थित बारस्कर कॉलोनी की निवासी महज 18 साल की युवती गौरी बालापुरे को प्रेरणा मिली कि वह देश की सीमाओं पर जाकर जवानों के साथ एक त्योहार मनाएगी।

गौरी ने शहर की 10 बेटियों के साथ बैतूल सांस्कृतिक समिति का गठन कर संकल्प लिया कि वे रक्षाबंधन का पर्व सीमा पर जाकर मनाएंगीं। फिर वर्ष 1999-2000 से रक्षा पर्व मनाए जाने का सिलसिला शुरू हो गया। साल दर साल बीतते गए और अब तक 18 साल गुजर चुके हैं। वह प्रतिवर्ष लगातार सरहद पर जाकर सैनिकों को राखी बांधने का पर्व मनाती चली आ रही है। इस बीच गौरी ने देश की चारों दिशाओं में स्थित सरहद पर जाकर सैकड़ों जवानों को राखी बांधी।

रक्षाबंधन के पर्व को सैनिकों के साथ मनाए जाने का असर यह हुआ कि गौरी का सैकड़ों जवानों से राखी बहन का पवित्र रिश्ता कायम हो चुका है। अब आलम यह है कि छुट्टियों पर आने वाले सैनिक बैतूल आकर अपनी राखी बहन गौरी से मिलना नहीं भूलते। उसकी कुशलक्षेम जानते हैं, परिवार के साथ वक्त बिताकर और उपहार देकर लौट जाते हैं। यही नहीं, गौरी को सरहद से भाइयों के पत्र, संदेश, उनके या उनके परिवार के शादी-विवाह आदि के न्योते आते रहते हैं। गौरी की भाइयों की फेहरिश्त में देश के कई बड़े सैन्य अफसर से लेकर सामान्य सैनिक तक शामिल हैं। गौरी अब विवाहित होकर 38 साल की महिला हैं।

chat bot
आपका साथी