छटेंगे सूखे के बादल, औसत से 109 फीसद बरसात होने का अनुमान

स्काईमेट का अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून इस बार मौसम के उत्तरार्द्ध में देर तक अपना रंग दिखाएगा। जिसके कारण अक्तूबर तक बरसात हो सकती है..

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Wed, 25 May 2016 09:51 PM (IST) Updated:Thu, 26 May 2016 07:12 AM (IST)
छटेंगे सूखे के बादल, औसत से 109 फीसद बरसात होने का अनुमान

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी क्षेत्र की कंपनी स्काईमेट का दावा है कि इस बार बरसात दीर्घावधि औसत का 109 फीसद होने का अनुमान है। 1994 के बाद यह सर्वाधिक बरसात होगी।

1951 से 2000 के बीच निकाले गए वार्षिक बरसात के औसत को दीर्घावधि औसत (एलपीए) कहा जाता है। यह 881 मिलीमीटर रहा है।

स्काईमेट ने ही कुछ सप्ताह पहले एलपीए की 105 फीसद बरसात होने का अनुमान जाहिर किया था। लेकिन अब मौसम के बदलते मिजाज़ को देखते हुए उसके वैज्ञानिकों ने 109 फीसद का नया अनुमान पेश किया है। यदि बरसात 96 से 104 फीसद हो तो इसे सामान्य मानसून माना जाता है। लेकिन इससे अधिक बरसात होने पर इसे सामान्य से अधिक बरसात माना जाता है। स्काईमेट का अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून इस बार मौसम के उत्तरार्द्ध में देर तक अपना रंग दिखाएगा। जिसके कारण अक्तूबर तक बरसात हो सकती है। इसका लाभ खरीफ के साथ-साथ रबी की फसल को भी हो सकता है।

जतिन सिंह के अनुसार मानसून की नमी के कारण खरीफ के क्षेत्रफल में 15 से 20 फीसद की बढ़ोत्तरी हो सकती है और खरीफ का कुल उत्पादन 129 से 130 दसलक्ष टन होने का अनुमान है। बता दें कि देश में खरीफ की बुवाई करीब 103 दसलक्ष हेक्टेयर में होती है और खरीफ के तहत होनेवाले अनाजों का उत्पादन 125 से 130 दसलक्ष टन के बीच होता है। स्काईमेट ने क्षेत्रवार बरसात का अनुमान लगाते हुए बताया है कि मध्य भारत एवं पश्चिमी भारत के सागरतटीय क्षेत्रों में अच्छी बरसात हो सकती है। महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों को अत्यधिक बरसात का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन बिहार एवं पूर्वी उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में बरसात कम रह सकती है।

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