देश की सेवा करने के बाद संजीव बच्चों को दे रहे शिक्षा की ‘संजीवनी’

किसी के जीवन में कब कैसा बदलाव आ जाए कोई नहीं जानता। ऐसा ही बदलाव हुआ जिंदादिल भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त कर्नल संजीव झा के साथ।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Thu, 23 Jan 2020 04:18 PM (IST) Updated:Thu, 23 Jan 2020 04:18 PM (IST)
देश की सेवा करने के बाद संजीव बच्चों को दे रहे शिक्षा की ‘संजीवनी’
देश की सेवा करने के बाद संजीव बच्चों को दे रहे शिक्षा की ‘संजीवनी’

नई दिल्ली [पष्पेंद्र कुमार]। किसी के जीवन में कब, कैसा बदलाव आ जाए, कोई नहीं जानता। ऐसा ही बदलाव हुआ जिंदादिल भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त कर्नल संजीव झा के साथ। इन्होंने गरीबों के कुछ बच्चों को गंदगी में खेलते देखा, तो पूछ बैठे कि ये बच्चे स्कूल क्यों नहीं जाते हैं। उनकी बेबसी जानकर इनका दिल ऐसा पसीजा कि इन्होंने उसी समय इन बच्चों को पढ़ाने का संकल्प ले लिया। आज वे वायुसेना में देश सेवा के बाद अब झुग्गियों के वंचित बच्चों में शिक्षा की लौ जला रहे हैं।

बकौल संजीव झा, देश में गरीबी की वजह से अमूमन हर किसी को अपनी ख्वाहिशों को दफन करना पड़ता है। गरीबी से कुछ लोग अपने बच्चों को पढ़ाने की सोच भी नहीं पाते। भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद पटपड़गंज स्थित यमुना खादर की झुग्गियों में ऐसे बच्चों को शिक्षा दे रहा हूं। नौकरी के दौरान छुट्टी पर अक्सर गांव जाता था। उसी दौरान कुछ समय निकालकर गांव के बच्चों को शिक्षा देता था। आज सेवानिवृत्त होने के बाद भी आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को करीब साल भर से नि:शुल्क पढ़ा रहा हूं।

उन्होंने बताया कि बिहार में नेपाल के बोर्ड के पास एक छोटे गांव में परिवार के साथ रहते थे। गांव के लोग शिक्षा के प्रति थोड़ा कम जागरूक थे। गांव के बुजुर्ग प्राय: कहते थे कि स्कूल जाकर क्या मिलेगा। उसकी जगह खेतों काम करोंगे, तो खाने को अनाज मिलेगा। आमदनी भी होगी। खेतों में काम कर कुछ समय पढ़ाई के लिए निकाल लिया करता था। इंटर की परीक्षा के बाद भारतीय वायुसेना में भर्ती हो गया। तब 16 वर्ष उम्र थी। नौकरी के दौरान जिस शहर व राज्य में बदली होती थी, वहीं ड्यूटी के समय के बाद गांव में शिक्षा से वंचित बच्चों को शिक्षा देने में जुट जाता था।

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