न्यू एज तकनीक संग रहें आगे, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बढ़ रहे मौके

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का फील्ड बेशक अभी नया है लेकिन इसमें संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आने वाले दिनों में खासकर शिक्षा स्किलिंग और कृषि जैसे क्षेत्रों में मौके बढ़ेंगे।

By Neel RajputEdited By: Publish:Wed, 18 Sep 2019 04:54 PM (IST) Updated:Wed, 18 Sep 2019 04:54 PM (IST)
न्यू एज तकनीक संग रहें आगे,  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बढ़ रहे मौके
न्यू एज तकनीक संग रहें आगे, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बढ़ रहे मौके

नई दिल्ली, जेएनएन। चैटबोट्स का आजकल काफी इस्तेमाल देखा जा रहा है। कई कंपनियां अपने ऑनलाइन ग्राहकों से बात करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस चैटबोट का इस्तेमाल करने लगी हैं। कई बैंकों ने भी देश में चैटबोट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। आप जो गूगल असिस्टेंट का इस्तेमाल करते हैं, वह भी एक प्रकार का चैटबोट ही है।

अन्य कंपनियों की वेबसाइट पर चैटबोट जितनी सटीकता के साथ इंसानों की तरह चैट करके सवालों के जवाब मुहैया करा रहे हैं और जितनी तेजी से ये लोकप्रिय होते जा रहे हैं, उसे देखकर शायद ही किसी ने कभी कल्पना की होगी कि कोई मशीन आपसे बिल्कुल इंसानों की तरह चैट करके आपके सवालों के जवाब दे पायेगी? लेकिन एआइ तकनीक ने यह संभव बना दिया है। यह तो सिर्फ एक उदाहरण है। वह दिन भी बहुत दूर नहीं, जब आपके आसपास ड्राइवरलेस कारें सड़कों पर फर्राटा भरती दिखाई देंगी। एक आंकड़े के अनुसार सरकारी इकाइयों सहित करीब 700 प्रतिष्ठान देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉल्यूशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें से करीब 60 फीसदी बड़ी कंपनियां हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का फील्ड बेशक अभी नया है, लेकिन इसमें संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आने वाले दिनों में खासकर शिक्षा, स्किलिंग, हेल्थकेयर और कृषि जैसे क्षेत्रों में ज्यादा तरक्की देखने को मिलेगी।

बढ़ रहा है इस्तेमाल

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) स्किल्स के टॉप तीन देशों में भारत का नाम शुमार हो गया है। इस क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बाद भारत का नंबर आता है। भारत के बाद इजरायल और जर्मनी का नंबर आता है। एक आंकड़े के अनुसार, भारत में 2015 के मुकाबले पिछले तीन साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्किल जानने वालों की संख्या में करीब 200 फीसद की वृद्धि देखी गई है। फिलहाल, यह तकनीक अभी सबसे अधिक गूगल, फेसबुक, ट्विटर, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट व आइबीएम जैसी कंपनियों में इस्तेमाल हो रही है।

इसके अलावा, नामी मोबाइल कंपनियों के स्मार्टफोन्स और ड्राइवरलेस कारों में भी अब यह फीचर आने लगा है। नैसकॉम की मानें, तो देश में इस समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के जानकारों की भारी मांग है। कुछ महीने पहले वल्र्ड इकोनामिक फोरम ने ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स’ (नौकरियों का भविष्य) नाम से एक रिपोर्ट जारी की थी।

इस रिपोर्ट से सामने आया कि आने वाले 6 सालों में यानी 2025 तक इंसान का आधे से ज्यादा काम (करीब 52 फीसदी) मशीनें करने लगेंगी। जाहिर है जैसे-जैसे इस तकनीक का इस्तेमाल हमारे रोजमर्रा की जरूरत के उत्पादों और सेवाओं में बढ़ेगा, इस क्षेत्र में एआइ इंजीनियर, एमएल इंजीनियर और एआइ इंटरैक्शन डिजाइनर के रूप में ज्यादा से ज्यादा नौकरियां देखने को मिलेंगी।

जॉब्स के अवसर

ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में स्पेशलाइजेशन करने के बाद युवाओं के लिए इस क्षेत्र में एआइ इंजीनियर, प्रोग्रामर, रोबोटिक साइंटिस्ट या फेस रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में विभिन्न करियर स्कोप हैं। ऐसे प्रोफेशनल सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्र की कंपनियों में नौकरी पा सकते हैं।

केंद्र सरकार का नीति आयोग भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के इस्तेमाल की दिशा में काम कर रहा है। खासकर हेल्थकेयर, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में इसकी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। जाहिर है इन क्षेत्रों में भी आने वाले दिनों में अवसर तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा, युवा गैजेट्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनीज के साथ ही डीआरडीओ, इसरो और नासा आदि जगहों पर भी एआइ/एमएल स्पेशलिस्ट के रूप में अपने लिए जॉब तलाश सकते हैं।

कोर्स एवं योग्यताएं

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित कोर्स करने के लिए कंप्यूटर साइंस, आइटी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन की डिग्री, डिप्लोमा या इन विषयों की अच्छी जानकारी होना जरूरी है। इसके बाद ही एआइ से जुड़े कुछ स्पेशलाइजेशन कोर्स कर सकते हैं, जैसे-ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, एडवांस्ड रोबोटिक्स सिस्टम आदि।

इंडस्ट्री की जरूरतों को देखते हुए कुछ महीने पहले ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हैदराबाद ने पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में बीटेक डिग्री प्रोग्राम शुरू किया है। इसके अलावा, अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी बीटेक कोर्सेज के तहत इन दिनों यह कोर्स कराया जा रहा है। माइक्रोसॉफ्ट, आइबीएम जैसी कुछ टॉप आइटी कंपनियां भी इन दिनों एआइ की इंडस्ट्री ट्रेनिंग उपलब्ध कराने के लिए आगे आ रही हैं।

अभी हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने इसकी ट्रेनिंग देने के लिए 10 विश्वविद्यालयों के साथ टाइअप किया है, जहां कंपनी द्वारा अपना एआइ लैब खोलकर अगले तीन साल तक युवाओं को इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी। ऑनलाइन माध्यम से भी इन दिनों कोर्सेरा समेत कई एजुकेशनल पोर्टल्स ऑटोमेशन एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में शॉर्ट टर्म कोर्स करा रहे हैं, जहां से इसकी बेसिक जानकारी हासिल की जा सकती है।फिलहाल, आइटी और कंप्यूटर बैकग्राउंड के युवाओं के लिए यह कोर्स ज्यादा उपयुक्त है।

सैलरी

ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन दिनों हाइ पेइंग जॉब में शुमार किया जाता है। इस न्यू एज तकनीक में डिग्री प्राप्त करने के बाद एक प्रोफेशनल के तौर पर शुरुआती वेतन 50 हजार रुपये से लेकर 1 लाख रुपये प्रतिमाह तक हो सकता है।

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