हिंदी, इंग्लिश के अलावा सिर्फ गुजराती में क्यों होती है JEE Main परीक्षा, NTA ने दिया जवाब

सिर्फ गुजरात राज्य ने ही अनुरोध किया था कि प्रश्न पत्र गुजरात भाषा में भी उपलब्ध हो। बाकी किसी भी राज्य ने हमसे इसके लिए संपर्क नहीं किया है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 10:34 AM (IST) Updated:Mon, 11 Nov 2019 10:34 AM (IST)
हिंदी, इंग्लिश के अलावा सिर्फ गुजराती में क्यों होती है JEE Main परीक्षा, NTA ने दिया जवाब
हिंदी, इंग्लिश के अलावा सिर्फ गुजराती में क्यों होती है JEE Main परीक्षा, NTA ने दिया जवाब

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency- NTA) ने एक नोटिस जारी करके बताया है कि JEE Main परीक्षा का आयोजन हिंदी और इंग्लिश के अलावा गुजराती भाषा में क्यों किया जाता है। दरअसल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 06 नवंबर, 2019 को एक ट्वीट करके सवाल उठाया था कि आइआइटी में दाखिले के लिए होने वाली कंबाइंड परीक्षा का आयोजन हिंदी, इंग्लिश के अलावा सिर्फ गुजराती में ही क्यों किया जाता है। जिस पर अब एनटीए ने जवाब दिया है। एनटीए का कहना है कि सिर्फ गुजरात राज्य ने ही अनुरोध किया था कि प्रश्न पत्र गुजरात भाषा में भी उपलब्ध हो। बाकी किसी भी राज्य ने हमसे इसके लिए संपर्क नहीं किया है।

एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर इस बारे में एक नोटिस जारी किया है। जिसके मुताबिक जेईई (मेन) परीक्षा की शुरूआत 2013 में इस अवधारणा के साथ की गई थी कि सभी राज्यों में स्थित कॉलोजों में इंजीनियरिंग उम्मीदवारों को जेईई मेन के माध्यम से दाखिला दिया जाएगा। 2013 में सभी राज्यों को यह अनुरोध भेजा गया, जिसके लिए सिर्फ गुजरात राज्य तैयार हुआ और इसके साथ एक मांग भी की थी कि प्रश्न पत्र हिंदी और इंग्लिश के अलावा गुजराती भाषा में भी होना चाहिए। इसके बाद 2014 में महाराष्ट्र भी जेईई मेन के जरिए कॉलेजों में इंजीनियरिंग उम्मीदवारों को दाखिला दिलाने के लिए तैयार हुआ और यहां से मांग की गई कि प्रश्नपत्र मराठी और उर्दू भाषा में भी होना चाहिए।

नोटिस में आगे कहा गया है कि 2016 में दोनों राज्यों की तरफ से जेईई (मेन) के माध्यम से इंजीनियरिंग छात्रों को प्रवेश दिलाने का निर्णय रद्द कर दिया गया। जिसके बाद मराठी और उर्दू में प्रश्नपत्र का अनुवाद बंद कर दिया गया लेकिन गुजरात की अपील पर गुजराती में अनुवाद जारी रहा। एजेंसी का कहना है कि गुजरात के अलावा अन्य किसी भी राज्य ने प्रश्नपत्र की किसी और भाषा में अनुवाद की अपील नहीं की है।

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