महाराष्ट्र गृह विभाग की नौकरियों में ट्रांसजेंडरों की राह आसान नहीं, ट्रिब्युनल के आदेश को HC में चुनौती
महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण का कहना है कि गृह विभाग के तहत सभी भर्तियों के लिए आवेदन पत्र में पुरुष और महिला के दो विकल्पों के बाद ट्रांसजेंडर के लिए तीसरा विकल्प भी होना चाहिए। इसे लेकर महाराष्ट्र सरकार ने बाम्बे हाइकोर्ट का रुख किया है।
मुंबई, एजेंसी। महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बाम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) का रुख किया, जिसमें महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (MAT) द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें उसे गृह विभाग ( Home Department) के तहत पदों के लिए आवेदन पत्र में ट्रांसजेंडरों (Transgenders ) के लिए प्रावधान बनाने का निर्देश दिया गया था।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Chief Justice Dipankar Datt) और न्यायमूर्ति अभय आहूजा (Justice Abhay Ahuj) की खंडपीठ के सामने इस याचिका का उल्लेख करते हुए न्यायाधिकरण के आदेश (Tribunal order) पर रोक लगाने के लिए तत्काल सुनवाई की मांग की गई है।
सुनवाई 30 नवंबर को
पीठ का कहना है कि इस मामले में वह 30 नवंबर को सुनवाई करेगी। एक ट्रांसजेंडर, आर्य पुजारी, जो एक पुलिस कांस्टेबल बनने का इच्छुक था, ने महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Maharashtra Administrative Tribunal) से संपर्क किया था।
पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती (Recruitment of police constables) के लिए विज्ञापन जारी होने के बाद पुजारी ने आनलाइन आवेदन किया। हालांकि, आवेदन में केवल दो लिंगों का उल्लेख किया गया था - पुरुष और महिला - और किसी तीसरे लिंग का उल्लेख नहीं किया गया था, जिसके कारण पुजारी आनलाइन फॉर्म नहीं भर सका।
ट्रांसजेंडर के लिए बनाया जाया तीसरा विकल्प
14 नवंबर को महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (MAT) ने राज्य सरकार को गृह विभाग के तहत सभी भर्तियों के लिए आवेदन पत्र में पुरुष और महिला के दो विकल्पों के बाद ट्रांसजेंडर के लिए तीसरा विकल्प बनाने का निर्देश दिया था। हालांकि ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा था
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