मुंडे के निधन ने रोकी कांग्रेस-राकांपा में भगदड़

By Edited By: Publish:Fri, 06 Jun 2014 02:27 AM (IST) Updated:Fri, 06 Jun 2014 02:06 AM (IST)
मुंडे के निधन ने रोकी कांग्रेस-राकांपा में भगदड़

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के निधन से अगले कुछ महीनों में महाराष्ट्र में कांग्रेस एवं राकांपा में मचने वाली भगदड़ पर फिलहाल विराम लगा दिया है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दो और शरद पवार की राकांपा चार सीटों तक सिमट गई। लोकसभा चुनाव में दोनों दलों की दुर्दशा का सीधा परिणाम विधानसभा चुनावों पर पड़ने वाला था। यही वजह थी कि कांग्रेस-राकांपा के कई नेता अपनी पार्टियां छोड़ने का मन चुके थे। राकांपा की चार सीटों में एक पर जीत दर्ज करने वाले छतपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले तो विजय जुलूस के रथ पर ही शरद पवार की बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाकर घूमते दिखे थे। भोसले पहले भी भाजपा में रह चुके हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण राणे भी गोपीनाथ मुंडे के संपर्क में थे। राज्य में एक बार बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में छह महीने मुख्यमंत्री रहे नारायण राणे खुद को पर्याप्त महत्व न मिलने के कारण कांग्रेस से नाराज हैं। 2005 में कांग्रेस में आए राणे का कहना है कि उन्हें छह माह के अंदर मुख्यमंत्री बनाने का वादा करके कांग्रेस में लाया गया था। तब से महाराष्ट्र में कई मुख्यमंती बदल गए, लेकिन उनका नंबर नहीं आया। हाल ही में लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद राणे ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। पिछले दिनों कुछ असंतुष्ट नेताओं के साथ राणे मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण को हटाने की मांग करने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास भी गए थे, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई। बताया जाता है कि कांग्रेस आलाकमान के रवैये क्षुब्ध राणे को भाजपा में लाने की तैयारी मुंडे कर चुके थे। संभवत: एक-दो दिन में ही इसकी घोषणा होनी थी, लेकिन मुंडे के अचानक निधन से यह योजना धरी रही गई।

chat bot
आपका साथी