समोसे हों या तरी वाला पोहा, नागपुर के इन जायकों में मिलेगा अलग ही स्वाद और अंदाज

अगर आप खाने-पीने का शौक रखते हैं तो नागपुर शहर आपको जरूर पसंद आएगा। यहां का कांदा पोहा हो या तरी वाला पोहा या फिर परम दाल। हर एक स्वाद इतना अलग है जिसे चखे बिना आपका सफर अधूरा है।

By Priyanka SinghEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 02:14 PM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 08:00 AM (IST)
समोसे हों या तरी वाला पोहा, नागपुर के इन जायकों में मिलेगा अलग ही स्वाद और अंदाज
समोसे हों या तरी वाला पोहा, नागपुर के इन जायकों में मिलेगा अलग ही स्वाद और अंदाज

नागपुर के खानपान में महाराष्ट्र के स्वाद का खास अंदाज और व्यंजनों में एक प्रकार की विविधता देखने को मिलती है जिसे समझने के लिए तरह-तरह के जायकों का लुत्फ उठाना पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर व्यंजन बनाने के लिए मूंगफली यहां का मुख्य तेल है। पर दक्षिण के अंदाज में नारियल के तेल से बने व्यंजन भी दिखेंगे तो ठेठ उत्तर-भारतीय सरसों के तेल में बने व्यंजन भी मिल जाएंगे।

मशहूर हैं ये स्ट्रीट फूड्स

कांदा पोहा, पॉव भाजी और शीरा जो कि मेवे और शुद्ध घी से तैयार होता है काफी पसंद किया जाता है। आप यहां नाश्ते में साबुदाना बड़ा भी ट्राई कर सकते हैं। समोसा तो यहां के हर गली में मिल जाता है। यहां आएं तो बिरयानी और कबाब भी आपको जरूर चखना चाहिए। यह मोमिनपुरा इलाके का खास होता है, जो मुस्लिम बहुल इलाका है। पुराने भंडारा रोड का स्थित परम दाल भी नागपुर में चर्चित है। इस दाल की खासियत है कि यह कोयले पर बनता है। इसे फ्रायड राइस के साथ परोसा जाता है। मुंबई की भेलपूरी नागपुर में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला स्ट्रीट फूड है। अंबाझरी और फुटौला लेक के किनारे पर यहां मरीन-लाइन्स बना है जहां आप स्ट्रीट-वेंडर्स से बम्बे-भेलपूरी का आनन्द ले सकते हैं।

सावजी का खाना नहीं चखा तो क्या चखा

क्या आपको पता है कि बीकानेर के एक छोटे से भूजियेवाले को हल्दीराम जैसे ग्लोबल-ब्रांड में बदलने की यह सक्सेस-स्टोरी मूलत: नागपुर (महाराष्ट्र) से आरम्भ हुई? शायद आपको पता होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावजी और नागपुर का आपस में क्या संबंध है? यदि आप नॉनवेज के शौकीन हैं तो संभवत: आपको पता हो कि फूड-लवर्स में यह एक जाना-पहचाना नाम है। कभी पुराने नागपुर के गंजाखेत चौक इलाके में 50 साल पहले युवराज सावजी ने जो सावजी रेस्ट्रोरेंट खोला था जो आज शहर की पहचान है। इनके मांसाहारी व्यंजनों में सावजी चिकन, सावजी मटन, सावजी अंडाकरी इत्यादि प्रमुख है।

कौन हैं सावजी?

मूलत : सावजी हिन्दू धर्म की एक जाति है जिसे हल्बा कोष्टीस भी कहते है। यह जाति सदियों से हस्तकरघा उद्योग में लगकर बुनकरी का काम करते थे। पर पारंपरिक हस्तकरघा उद्योग कमजोर पड़ गया तो यह जाति खानपान के धंधे में लग गए। इस जाति को नागपुर के अपने स्वाद के अनुसार मांसाहारी व्यंजन बनाने की कला को ईजाद करने का श्रेय दिया जा सकता है।

क्या खास है इनके मसाले में?

सावजी व्यंजन को बनाने में 4 तरह के मसाला-समूह का उपयोग किया जाता है-दो सूखे और दो गीले। सूखे मसाले में पहला पाउडर 20 मसालों का मिश्रण (काला) होता है तो दूसरा 12 मसालों (भूखरी) का। गीले मसालों में पहला मिश्रण 'बाटलो' होता है जो अदरक, प्याज, लहसुन और जीरा से मिल कर बनता है। दूसरा गीला मसाला धनिया, काजू, बादाम, सूरजमुखी के बीज को पीसकर बनाया जाता है।

तरी पोहा खाया क्या?

अगर आप शाकाहारी हैं तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं, यह शहर आपका स्वागत भी खास तरीके से करता है। आप यहां नागपुर का स्पेशल तरी पोहा चख सकते हैं। पोहा मध्य भारत विशेषकर मालवा और विदर्भ में नाश्ते का एक मुख्य डिश है। पर नागपुर का तरी पोहा उन से अलग है। यह आपने नहीं चखा तो समझ लीजिए नागपुर की यात्रा अधूरी रह गई। इस पोहे में चिवड़ा, चने वाली तरी और उसके ऊपर से उबला हुआ टमाटर इसे देता है बिल्कुल यूनीक टेस्ट। यहां के पोहे में पड़ने वाली तरी इसे ड्राई नहीं होने देती और उस पर उबले हुए टमाटर का स्वाद आपका जायके को और भी ज्यादा बढ़ा देगा। रामजी-श्यामजी पोहा वाला, केशव का पोहा, आंटी के पोहे जैसे कुछ दुकान तो ऐसे हैं कि यहां खाना चाहें तो आपको लंबी लाइन होने की वजह से थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। इनका पोहा सबको नहीं मिल पाता।

नागपुरिया समोसे

यूपी से कुश्ती लड़ने आए थे यहां स्वर्गीय द्वारका प्रसाद और उनकी कुश्ती से यहां के राजा भोंसले इतने खुश हो गए कि उन्हें रहने के लिए जगह दे दी। इसके बाद द्वारका प्रसाद जी ने जो समोसे यहां बनाए, वो नागपुर की पहचान बन गए। दरअसल, इस समोसे में पालक मिलाई जाती है।

chat bot
आपका साथी