रीढ़ के रोगियों को राहत पहुंचाने के लिए आ गया यह आधुनिक इलाज

रीढ़ की हड्डी के रोगों या विकारों को दूर करने में रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॅमी तकनीक एक नई उम्मीद के रूप में सामने आयी है...

By Pratibha Kumari Edited By: Publish:Mon, 16 Jan 2017 11:57 AM (IST) Updated:Mon, 16 Jan 2017 02:12 PM (IST)
रीढ़ के रोगियों को राहत पहुंचाने के लिए आ गया यह आधुनिक इलाज
रीढ़ के रोगियों को राहत पहुंचाने के लिए आ गया यह आधुनिक इलाज

रीढ़ (स्पाइन) से जुड़े रोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। इनमें अधिकतर लोग सर्वाइकल व लंबर स्पॉन्डिलाइटिस और स्पाइनल स्टेनोसिस (रीढ़ की नसों के मार्ग की सिकुड़न) से कहीं ज्यादा ग्रस्त हैं। अगर इलाज की बात करें, तो फिजियोथेरेपी और दर्दनिवारक दवाएं ही प्रचलित हैं और अगर इनसे राहत न मिले तो, सर्जरी करायी जाती है, लेकिन रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॅमी की मदद से सर्जरी कराने की जरूरत नहीं है।

यह है आधुनिक इलाज
रेडियो फ्रीक्वेंसी न्यूरोटॅमी एक ऐसी तकनीक है, जो किसी सर्जिकल प्रक्रिया के बगैर की जाती है। इस प्रक्रिया में रेडियो फ्रीक्वेंसी वेव्स की मदद से रीढ़ की हड्डी में पीड़ा उत्पन्न करने वाली नसों को स्थायी रूप से सुन्न कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त या विकारग्रस्त भाग जैसे डिस्क और रीढ़ की हड्डी के फेसेट ज्वाइंट से उत्पन्न होने वाले दर्द का स्थायी रूप से निवारण किया जाता है।

जानें आधुनिक डिवाइस के बारे में
कुछ नए रेडियो फ्रीक्वेंसी प्रोब्स (डिवाइस) प्रचलन में आ चुके हैं। ऐसी डिवाइस की मदद से रीढ़ की हड्डी के जोड़ों से बढ़ी हुई हड्डी का जो भाग बाहर निकलता है (जिसे बोनीस्पर या ऑस्टियोफाइट कहते हैं) उसे ऐसी डिवाइसों की मदद से दूर किया जा सकता है। बोनीस्पर की स्थिति के कारण कमर की रीढ़ की हड्डी की नसों पर दबाव बनता है। इसके परिणामस्वरूप गर्दन और कमर का दर्द, अकड़ाहट और जकड़न के लक्षण सामने आते हैं। यही नहीं, हाथ पैरों की नसों में खिंचाव (जिसे सायटिका दर्द भी कहते हैं) की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है, जिसका निवारण हम रेडियो फ्रीक्वेंसी डिवाइस से कर सकते हैं।

विशेषताएं
- मरीज के रीढ़ की हड्डी और डिस्क का जो मूलभूत ढांचा है, उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहींकी जाती।
- बेड रेस्ट की जरूरत नहीं पड़ती।
- चंद दिनों के बाद कठोर शारीरिक श्रम किया जा सकता है।
- जिन खिलाड़ियों की डिस्क खेल के दौरान क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, उनके लिए यह तकनीक अत्यंत उपयुक्त है।

(डॉ. सुदीप जैन, स्‍पाइन सर्जन, नई दिल्‍ली)

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