मां की छवि दिखाई देती है

आरती सिंह वारिस से पहले ‘मायका’, ‘उतरन’ और देवों के देव महादेव’ में पैरलल किरदार निभा चुकी हैं। वह कहती हैं कि भविष्य में मैं केवल प्रमुख किरदारों को ही तरजीह दूंगी। उनसे हुई बातचीत के खास अंश।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Mon, 30 Jan 2017 01:02 PM (IST) Updated:Mon, 30 Jan 2017 01:56 PM (IST)
मां की छवि दिखाई देती है
मां की छवि दिखाई देती है

मां जैसी है अंबा
आरती कहती हैं, ‘अंबा के किरदार ने मुझे प्रभावित किया है। अंबा का किरदार मेरे निजी जीवन के करीब है। अंबा के किरदार में मुझे मेरी मां की छवि दिखाई देती है। मेरे पिता की मृत्यु के बाद मां ने बहुत संघर्ष से हमारी परवरिश की है। ठीक इसी तरह हार ना मानकर, अपने बच्चों की भलाई के लिए डटकर खड़े रहने का जच्बा अंबा के किरदार में है। मां मेरी प्रेरणा हैं। अंबा का किरदार निभाना मेरे लिए गर्व की बात है। अंबा के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। अब वह अपनी याददाश्त खो बैठी है। अठारह साल की लड़की का जीवन जी रही है। इस किरदार में कई लेयर हैं। एक ही फ्रेम में इस किरदार को सेट नहीं किया गया है। इस वजह हर वक्त मेरे लिए काम में नयापन मौजूद होता है। एंड टीवी के शो ‘वारिस’ ने आरती सिंह को लीड अभिनेत्रियों की फेहरिस्त में शामिल कर दिया है। अब वह अपने नाम के आगे से लीड का तमगा नहीं हटाना चाहती हैं
बदलाव है जरूरी
आरती शो में आए नए बदलाव से बेहद खुश हैं। वह कहती हैं, ‘अंबा की जिंदगी खुशनुमा हो गई है। यह भीतर से मुझे खुशी दे रहा है। इसके साथ अंबा के जीवन में खुशियां आ रही हैं, दर्शकों को यह पसंद आ रहा है। वारिस ने टीआरपी की रेस में हाईजंप लिया है। शुरू से ही इस शो के जरिए हम दुनिया बदलने नहीं निकले थे। हमारा मकसद एंटरटेनमेंट के माध्यम से एक नजरिए को पेश करना था। मेरा मानना है कि लड़का और लड़की एक समान हैं। यह हमारी परवरिश पर निर्भर करता है। हम किस तरह अपने लड़के या लड़की की परवरिश करते हैं। अक्सर यह कहा जाता है कि लड़की घर बना भी सकती है और बर्बाद भी कर सकती है। यह कहावत लड़कों पर भी जंचती है। लड़का या लड़की होने से घर बनता या बिगड़ता नहीं है। यह हमारी परवरिश और शिक्षा पर निर्भर है कि किस तरह हम अपने बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं। यही वजह है कि इस शो ने दर्शकों के बीच अपनी अलग जगह बनाई है।’
कहानी से बदलता है गेम
आरती कहती हैं, ‘अठारह साल की अंबा का जीवन कैसा होगा। यह हम दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। सारा खेल कहानी का है, मसलन अंबा को कभी किसी से प्यार करते हुए नहीं देखा गया है। वह सतत खुद की राहों से कांटे निकालती रही है। रहा सवाल दूसरे शो का। मुझे दूसरे टीवी देखने का समय नहीं मिलतासहै। अधिकतर समय मैं शूटिंग में व्यस्त रहती हूं। घर और सेट के बीच खुद के लिए समय निकाल पाना मेरे लिए मुश्किल होता है। मेरे लिए इन दिनों टीवी का मतलब केवल ‘वारिस’ है। दर्शकों के लिहाज से सोचने पर यह शो बोरियत नहीं फैलाता है। इस शो के हर किरदार में अलग फ्लेवर है। अंबा को भी नई खूबियों के साथ हर बार पेश करने की कोशिश की गई है। मेरे लिए खुद अठारह साल की अंबा का किरदार निभाना चैलेंजिंग है। अठारह साल की अंबा कैसा व्यवहार करेगी, इस पर मुझे काम करना था। अंबा स्वभाव से शांत है। हम अंबा को चंचल नहीं दिखा सकते हैं। हमने अंबा की मासूमियत पर फोकस रखा है। हालांकि मैं कई बार ओवरएक्टिंग भी कर जाती हूं।
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