नहीं मिले शानदार किरदार
‘सावित्री’ फेम रिद्धि डोगरा ने एक अंतरालके बाद फिक्शन शो में वापसी की है। वह जीटीवी पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक ‘वो... अपना सा’ में पहली बार नकारात्मक किरदार में दिख रही हैं...
नहीं करना था नकारात्मक किरदार
रिद्धि कहती हैं, शुरुआत में मैं इस शो को लेकर बेहद नर्वस थी। दरअसल, मैंने अभी तक सशक्त और पॉजिटिव किरदार ही निभाए हैं। मैं पहली बार नकारात्मक किरदार निभा रही हूं। पिछले कुछ अर्से से मैं छोटे पर्दे पर सक्रिय नहीं थी। मेरे पास प्रस्ताव आ रहे थे, लेकिन मेरी अपेक्षाओं पर खरे नहीं थे। उनसे बेहतर किरदार मैं धारावाहिक ‘मर्यादा’ और ‘सावित्री’ में निभा चुकी थी। मैं उन लोगों में शुमार नहीं हूं जिन्हें लगातार शानदार रोल मिले। कॅरियर की शुरुआत से मैं बहुत चूजी रही हूं। मैं कुछ वर्ष पहले एक शो के ऑडिशन के लिए गई थी। उसमें मुझे सिर पर हमेशा पल्लू रखना था। मैंने उसे निभाने से इन्कार कर दिया था, जबकि उस समय मेरी कोई पहचान नहीं थी। मैं सिर्फ अच्छा काम करने की ख्वाहिशमंद थी। इसमें अभी भी तब्दीली नहीं आई है। शो के निर्माता सिद्धार्थ मल्होत्रा ऐसी अभिनेत्री चाहते थे जिसने सकारात्मक किरदार निभाए हों। उन्होंने मुझे ‘वो... अपना सा’ के बारे में बताया। मैंने कहा कि मैं नकारात्मक और मां की भूमिका नहीं निभाना चाहती हूं। उन्होंने मुझे किरदार की गहराई बताई और कहा कि तुम खलनायिका की भूमिका में नहीं होगी। उसके बर्ताव से नफरत होगी, मगर उसके पीछे कुछ वजहें हैं। वही कहानी को रोचक बनाते हैं। मैं मेरिल स्ट्रीप, शाहरुख खान और प्रियंका चोपड़ा की मुरीद हूं। इन सभी ने वैरायटी किरदार निभाए हैं और अपना खास मुकाम बनाया है। यह उनकी अलग करने की चाहत से संभव हो सका। मैंने उनसे प्रेरणा लेते हुए यह रिस्क लिया है। हालांकि मैं किरदार को पूरी शिद्दत के साथ निभा रही हूं। अब उसे करने में आनंद भी आ रहा है।
योग से मिली मदद
हर इंसान में अच्छाई और बुराई होती है। अगर आपकी सोच सकारात्मक है तो आप निगेटिविटी को बाहर नहीं आने देंगे। मैं भी ऐसी हूं। मेरे लिए शुरुआत में यह किरदार निभाना कठिन रहा। मुझे अपने डायलाग याद करने में वक्त लग जाता था। सकारात्मक किरदार में आप अपने मन की भावनाएं उड़ेल देते हैं। नकारात्मक में झूठ बोलना, साजिश और षड्यंत्र में संलग्न होना पड़ता है। मैं इन बुराइयों से कोसों दूर हूं। इन स्थिति में हम कलाकार अपनी ट्रिक्स का इस्तेमाल करते हैं, जैसे मैंने लेंस लगाए हैं। हालांकि मुझे ऐसा करने से मना किया गया। मैंने तर्क दिया कि लेंस लगाने से मैं थोड़ा अलग दिखूंगी। मैंने कई ग्रे किरदारों का काम देखा। वेब सीरीज ‘क्राउन’ देखी। उसमें क्वीन की बहन अच्छी इंसान है। उनके साथ बुरा हो रहा है। लिहाजा वह निगेटिव दिखती हैं। समझ नहीं आता है कि वह इतनी जिद्दी क्यों हैं। उनके तौर-तरीकों को समझा। फिल्म में आप अपने किरदार में अपनी निगेटिविटी बाहर ला सकते हैं। उसमें रोजाना शूट नहीं होता है। धारावाहिक लगातार शूट होता है। हमारे पास ब्रेक नहीं होता। मैं पिछले साल बिपश्यना के लिए गई थी। वहां मैंने मेडिटेशन करना सीखा। मैं उसे फॉलो करती हूं। अगर मैंने वह नहीं किया होता तो किरदार को स्वीकृति नहीं देती। मैं कुछ कलाकारों को जानती हूं जो नकारात्मक किरदार निभाकर थोड़ा डिस्टर्ब हुए। मेरे साथ ऐसा नहीं हो रहा, क्योंकि मैं सकारात्मक सोच वाली हूं।
खामियां को स्वीकारना जरूरी
‘वो... अपना सा’ शादी, प्यार और सच्चे जीवनसाथी की तलाश से जुड़ी प्रचलित मानसिकताओं, पुरानी धारणाओं और इसके प्रति बेहद आम नजरिया रखे जाने पर सवाल उठाता है। सच्चे जीवनसाथी के बाबत रिद्धि कहती हैं, मेरे मुताबिक सच्चा जीवनसाथी वह है जो आपको आपकी खूबियों और खामियों के साथ स्वीकार करे। कई बार हम रोजमर्रा की जिंदगी में भागमभाग में रह जाते हैं। अपनी खूबियों की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। आपका सच्चा हमसफर आपकी खूबियों को उभारता है। मेरी शादी को पांच साल हो चुके हैं। मैं और मेरे पति राकेश बापत दोनों खुलकर विचार व्यक्त करते हैं। हमारे रिश्ते की खासियत यह है कि हम अच्छे दोस्त हैं।