आशा की स्वर्ण किरण

अभिनेत्री आशा पारेख दो अक्टूबर को अपना 80वां जन्मदिन मनाएंगी। उससे ठीक पहले 30 सितंबर को उन्हें दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। उनके फिल्मी सफर के अहम पड़ावों से जुड़ी बातें साझा कर रही हैं स्मिता श्रीवास्तव...

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Sep 2022 03:28 PM (IST) Updated:Thu, 29 Sep 2022 03:28 PM (IST)
आशा की स्वर्ण किरण
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के साथ दोगुना हुआ जन्मदिन का जश्न

 आशा पारेख ने फिल्म मां से बाल कलाकार के रूप में अभिनय सफर शुरू किया था, पर बतौर नायिका पहली फिल्म दिल देके देखो से उन्होंने दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। फिल्म में उनके हीरो शम्मी कपूर थे। उससे पहले निर्देशक विजय भट्ट ने उन्हें फिल्म गूंज उठी शहनाई में लेने से मना कर दिया था। उन्हें आशा स्टार मटीरियल नहीं लगी थीं। वहीं दिल देके देखो की समीक्षा में लिखा गया ए स्टार इज बार्न यानी एक सितारे का जन्म। नवोदित सितारे के लिए यह चार शब्द आजीवन यादगार होते हैं। इसके बाद उनके पास फिल्मों के ढेर सारे आफर आए थे। उनके पास फिल्मिस्तान स्टूडियो के साथ तीन फिल्मों का अनुबंध था लेकिन उन्हें बाहरी प्रोडक्शन हाउस की फिल्में करने की अनुमति थी।

इस फिल्म के बाद उन्हें हम हिंदुस्तानी में लिया गया। फिल्म की पटकथा गांधी के सिद्धांतों से प्रेरित थी। फिल्म में आशा पारेख के हीरो सुनील दत्त थे। आशा इसमें लंदन से लौटी यळ्वती की भूमिका में थीं। आशा के साथ रोमांटिक सीन करते हुए सुनील दत्त असहज हो जाया करते थे। एक बार उन्होंने आशा के कान में कहा कि मैं आपकी मां के सामने आपको गले नहीं लगा सकता हूं। अगर बुरा न लगे तो उनसे उस समय वहां से जाने का आग्रह करिए। इस बात ने आशा को काफी विस्मित किया था कि कोई हीरो इतना विचारशील भी हो सकता है। यह फिल्म बाक्स आफिस पर औसत रही। उसके बाद आई उनकी फिल्म घूंघट और घराना सुपरहिट रहीं। इन फिल्मों की सफलता की वजह से आशा पारेख की फीस 11 हजार रुपए से बढ़कर 75 हजार रुपए हो गई।

आशा ने अपने फिल्मी सफर के दौरान शम्मी कपूर, मनोज कुमार, जाय मुखर्जी, देवानंद, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र जैसे कई नामचीन नायकों के साथ काम किया था। शुरुआती वर्षों में उन्हें अपने पसंदीदा अभिनेता गुरुदत्त के साथ फिल्म भरोसा में अवसर मिला था। उस समय बतौर अभिनेता और निर्देशक गुरुदत्त की अलग ही आभा थी। फिल्म के पहले दिन की शूटिंग के दौरान गुरुदत्त को उनकी चूड़ियों को प्यार से सहलाना था वहीं आशा को मुग्ध होकर उन्हें देखना था, लेकिन आशा बहुत नर्वस थीं। इस वजह से कई रीटेक के बाद वह शाट ओके हुआ। आखिरकार गुरुदत्त ने उन्हें यह कहकर सहज कराया कि खुद को उनके बराबर की सहयोगी मानें।

दोनों की शास्त्रीय नृत्य में रुचि थी। गुरुदत्त ने उदय शंकर से नृत्य का प्रशिक्षण लिया था। यूं झुके झुके गाने के लिए गुरुदत्त के आग्रह पर तीन दिन तक रिहर्सल चली थी। इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान गुरुदत्त ने आशा को एक फिल्म का प्रस्ताव दिया यह फिल्म पापरिका उपन्यास पर आधारित थी। यह कहानी एक लड़की की थी, जिसका व्यक्तित्व रात में बदल जाता था। फिल्म का आइडिया शानदार था, लेकिन उस समय नायिकाएं ग्रे किरदारों को करने से बचती थीं। आशा को किरदार पसंद आया पर उनकी मां ने इस फिल्म के लिए मोटी फीस मांगी। इससे गुरुदत्त नाराज हुए। उन्होंने राजश्री को यह फिल्म आफर की लेकिन उन्होंने भी इन्कार कर दिया। उसके बाद गुरुदत्त ने उस फिल्म को नहीं बनाया।

इनपळ्ट: दीपेश पांडेय

मूल्यवान है यह मैत्री

अभिनेत्री अरुणा ईरानी ने आशा पारेख के साथ कई फिल्मों में काम किया है। आशा को दादा साहेब फाल्के सम्मान की घोषणा पर वह कहती हैं, ‘यह हम सभी के लिए बहुत खुशी की बात है। उनसे मेरी पहली मुलाकात फिल्म कारवां (1971) की शूटिंग के दौरान हुई थी। हमारे बीच में तब हालचाल जानने के अलावा बातें नहीं होती थीं। उसके बाद हमने फिल्म भाग्यवान में साथ काम किया, तब हमारे बीच अच्छी दोस्ती हुई। हमारी दोस्ती बहळ्त कीमती है। वे स्वभाव और व्यवहार में सरल हैं और निजी जिंदगी में भी बहुत सादगी से रहती हैं।’

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