होली के रंग सेहत के संग...अगर इन बातों का रखेंगे ध्‍यान तो नहीं पड़ेंगे बीमार

जब आपकी सेहत बेहतरीन होती है, तो आप जिंदगी का लुत्फ उठाते हुए किसी भी त्योहार को मौज-मस्ती के साथ मनाते हैं... और फिर होली तो मौज-मस्ती, हुल्लास और खुशियों का त्योहार है।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Mon, 06 Mar 2017 01:59 PM (IST) Updated:Thu, 09 Mar 2017 10:42 AM (IST)
होली के रंग सेहत के संग...अगर इन बातों का रखेंगे ध्‍यान तो नहीं पड़ेंगे बीमार
होली के रंग सेहत के संग...अगर इन बातों का रखेंगे ध्‍यान तो नहीं पड़ेंगे बीमार

अगर आप कुछ भी खाने से पहले कीटाणुनाशक साबुन से हाथ धोने की आदत डाल लेते हैं, तो आप कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं... आप भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ होली को मस्ती के साथ मनाना चाहते हैं, लेकिन होली की मस्ती में भंग यानी बाधा न पड़े, तो फिर आपको और परिवार के सदस्यों को अपनी सेहत का भी ध्यान रखना होगा। अक्सर ऐसा देखने व सुनने में आया है कि होली और इसके बाद लोगों का पेट खराब हो जाता है। कोई डायरिया का शिकार हो गया तो कोई गैस्ट्राइटिस का, तो कोई एसीडिटी और गैस का।

क्यों पड़ते हैं लोग बीमार
होली के बाद लोगों के बीमार होने के कई कारण हैं। होली पर महिलाएं परिवार के लिए गुझियां, नमकीन और विविध प्रकार के पकवान बनाती हैं। इन पकवानों को बनाते समय और बाद में इनकी पैकिंग करते समय हाथों को स्वच्छ रखने की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अस्वच्छ हाथ जीवाणुओं के वाहक होते हैं। अब होली का दिन है, कोई न कोई तो मिलने आएगा ही अगर रंगों से होली न खेली जाए, तो अबीर और गुलाल (जिनमें लेड और केमिकल का अंश होता है,जो शरीर के लिए नुकसानदेह होते हैं ) तो लगाना पड़ता है।

जीवाणुरहित हों हाथ

अगर बच्चों की मां के हाथ स्वच्छ और जीवाणुरहित नहीं होंगे, तो उनके द्वारा बनायी गयी वस्तुएं भी अस्वच्छ हो सकती हैं। इसलिए बेहतर यही रहेगा कि महिलाएं कोई भी वस्तु तैयार करने से पहले जीवाणुनाशक साबुन से हाथ जरूर धो लें।

केमिकल कलर्स से बचें
केमिकल कलर में नुकसानदेह तत्व पाए जाते हैं। अब अगर रंग लगे हाथों से किसी वयस्क या बच्चे ने गुझिया या कोई अन्य खाद्य वस्तु खा ली, तो फिर केमिकल कलर का अंश पेट के अंदर चला जाता है, जो कालांतर में पेट की
समस्या का कारण बन सकता है। अगर केमिकल कलर के बजाय हर्बल कलर का इस्तेमाल करें, तो यह सेहत के लिए अच्छा रहेगा।

संभव है बचाव
मेदांत दि मेडिसिटी, गुडग़ांव की सीनियर फिजीशियन डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि अगर हम हाथों की सफाई (हैंड हाईजीन) पर ध्यान दें, तो डायरिया, गैस्ट्राइटिस, एसीडिटी, गैस, गैस्ट्रोइसोफेगियल रीफ्लक्स डिजीज (जी ई आर डी) और कोलाइटिस आदि रोगों से बच सकते हैं। जरूरत इस बात पर अमल करने की है कि कोई भी खाद्य पदार्थ खाने से पहले हम जीवाणुनाशक साबुन से हाथ जरूर धोएं।

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