वक्त के साथ बदला है सिनेमा

कथ्य और शिल्प दोनों मामलों में अनूठी है विक्रमादित्य मोटवाणी की फिल्म ‘ट्रैप्ड’। फिल्म के अकेले किरदार में हैं राजकुमार राव। विक्रमादित्य साझा कर रहे हैं इस फिल्म के निर्माण की कहानी..

By Srishti VermaEdited By: Publish:Thu, 02 Mar 2017 11:56 AM (IST) Updated:Thu, 02 Mar 2017 12:01 PM (IST)
वक्त के साथ बदला है सिनेमा
वक्त के साथ बदला है सिनेमा

विक्रमादित्य मोटवाणी की ‘लूटेरा’ 2010 में आई थी। प्रशंसित फिल्में ‘उड़ान’ और ‘लूटेरा’ के बाद उम्मीद थी कि विक्रमादित्य मोटवाणी की अगली फिल्में शीघ्र आएंगी। संयोग कुछ ऐसा रहा कि उनकी फिल्में खबरों में तो रहीं, लेकिन फ्लोर पर नहीं जा सकीं। अब ‘ट्रैप्ड’ आ रही है। राजकुमार राव अभिनीत यह फिल्म कई मामलों में अनूठी है। सात सालों के लंबे अंतराल की एक वजह यह भी रही कि विक्रमादित्य मोटवाणी अपने मित्रों अनुराग कश्यप, विकास बहल और मधु मंटेना के साथ प्रोडक्शन कंपनी ‘फैंटम’ की स्थापना और उसके तहत निर्माणाधीन फिल्मों में लगे रहे। विक्रमादित्य मोटवाणी अपना पक्ष रखते हैं, ‘मैं कोशिशों में लगा था।

‘लूटेरा’ के बाद ‘भावेश जोशी’ की तैयारी चल रही थी। लगातार एक्टर बदलते रहे और फिर उसे रोक देना पड़ा। बीच में एक और फिल्म की योजना भी ठप्प पड़ गई। प्रोडक्शन के काम का दबाव रहा। इन सबकी वजह से वक्त निकलता गया और इतना गैप आ गया।’ ‘ट्रैप्ड’ जैसी अपारंपरिक फिल्म का आइडिया कहां से आया? विक्रमादित्य बताते हैं, ‘यह मेरा आइडिया नहीं है। अमित जोशी ने अपनी फिल्मों के एक-दो सिनोप्सिस भेजे थे। यह आइडिया मुझे अच्छा लगा था। दो महीनों के बाद वह 120 पेज की स्क्रिप्ट लेकर आए। मैंने अमित जोशी के साथ हार्दिक मेहता को जोड़ा और उन्हें स्क्रिप्ट डेवलप करने के लिए कहा। मैंने सोचा था कि स्क्रिप्ट तैयार कर लेते हैं। जब 20-25 दिन का समय व कोई एक्टर मिलेगा तो कर लेंगे। जब मैंने राजकुमार से पूछा, तो वह राजी हो गए। ‘मसान’ के समय राजकुमार राव फाइनल हो चुके थे। फिर किसी वजह से वह फिल्म से अलग हो गए। मेरे मन में था कि उनके साथ एक फिल्म करनी है। ‘ट्रैप्ड’ के रोल के लिए वह सही चुनाव हैं।’ ‘ट्रैप्ड’ ऊंची बिल्डिंग में फंसे एक व्यक्ति की कहानी है। फिल्म में अकेले किरदार की भूमिका राजकुमार राव निभा रहे हैं।

इस फिल्म का निर्देशन किसी चुनौती से कम नहीं रहा। एक्टर और डायरेक्टर को मिल कर घटनाएं इतनी तेज और रोचक रखनी थीं कि दर्शकों का इंटरेस्ट बना रहे। विक्रमादित्य बताते हैं, ‘हमने स्क्रिप्ट पर मेहनत की ताकि दर्शकों का इंटरेस्ट हर सीन में बना रहे। मैं इसे किरदार के दिमाग से नहीं बना रहा था। मुझे इंटरेस्टिंग एक्टर मिल गया था। उनकी वजह से थोड़ा काम आसान हो गया।’ विक्रमादित्य ने फिल्म का बजट सीमित रखा। वह ऐसी फिल्मों के लिए इसे जरूरी मानते हैं। वह कहते हैं, ‘इस फिल्म को हम 20 करोड़ में नहीं बना सकते थे। किसी पॉपुलर स्टार के साथ भी बनाते तो फिल्म महंगी हो जाती और दर्शकों की अपेक्षाएं बढ़ जातीं। अभी ऐसी फिल्मों के दर्शक आ गए हैं। ‘दंगल’ जैसी कमर्शियल फिल्में बन रही हैं। अक्षय कुमार ने ‘जॉली एलएलबी 2’ जैसी फिल्म की। पांच-दस साल पहले आप इन स्टार्स के साथ ऐसी फिल्मों की कल्पना नहीं कर सकते थे।

हमने अपने सीमित बजट में ही ‘ट्रैप्ड’ बनायी है।’ विक्रमादित्य मोटवाणी की अगली फिल्म ‘भावेश जोशी’ में हर्षवद्र्धन कपूर हैं। नाम से ऐसा लगता है कि यह कोई बॉयोपिक है। विक्रमादित्य इस अनुमान से इंकार करते हैं। वह कहते हैं, ‘यह एक सजग युवक की कहानी है। यों समझें कि 21वीं सदी के दूसरे दशक का एंग्री यंग मैन है। नाम के प्रति आकर्षण के बारे में सच यह है कि मेरे स्कूल का एक दोस्त था भावेश जोशी। उसके नाम का ऐसा असर था कि सभी उसे पूरा नाम लेकर बुलाते थे। मैंने फिल्म का वही नाम रख दिया।’ विक्रमादित्य मोटवाणी हर तरह की फिल्में करना चाहते हैं। उनके प्रशंसकों को बता दें कि फिल्मों की इंटरनेशनल साइट आईएमडीबी की सूची में उनकी ‘उड़ान’ दुनिया की बेहतरीन 200 फिल्मों में शामिल है।
प्रस्तुति- अजय ब्रह्मात्मज

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