कहीं आपके बच्चे जरूरत से ज्यादा तो नही देखते टीवी

टीवी पर दिखाए जाने वाले हिंसक कंटेट से बच्चे जल्दी प्रभावित होते हैं और उनका दिमाग भी उसी दिशा में सोचने लगता है।

By Srishti VermaEdited By: Publish:Tue, 18 Apr 2017 02:46 PM (IST) Updated:Tue, 18 Apr 2017 03:53 PM (IST)
कहीं आपके बच्चे जरूरत से ज्यादा तो नही देखते टीवी
कहीं आपके बच्चे जरूरत से ज्यादा तो नही देखते टीवी

बच्चे जितना ज्यादा टीवी देखते हैं उतना ही ज्यादा उनमें दिमागी रुप से बदलाव देखने को मिलते हैं। कभी-कभी उनके सिर के सामने और साइड के हिस्से के डैमेज होने के चांसेस बढ़ जाते हैं और ऐसा करना उन्हें खतरे के निशान की तरफ ले जाता है। बच्चों के जरुरत से ज्यादा टीवी देखने से उनके ब्रेन में गलत प्रभाव पड़ता है और उनमें गलत बदलाव भी आते हैं। 

ज्यादा टीवी देखना बच्चों के खतरनाक साबित हो सकता है ये उन्हें मोटापे की तरफ ढ़केलता है। ये उनके एक्टिव टाइम को खत्म करके उनकी क्रियेटिविटी को भी खत्म करता है,साथ ही उनके स्टडी परफॉर्मेंस को भी खराब करता है।

हालांकि टीवी पर कई ऐसे प्रोग्राम आते हैं जिनमें से कुछ अच्छे होते हैं तो कुछ उन पर गलत प्रभाव डालते हैं।
टीवी पर दिखाए जाने वाले हिंसक कंटेट से बच्चे जल्दी प्रभावित होते हैं और उनका दिमाग भी उसी दिशा सोचने लगता है। वे टीवी पर दिखाए जाने वाले हिंसक कंटेट में वे विक्टिम को लेकर परेशान हो जाते हैं। वे खुद को भी उसी परिस्थिति में सोच कर कर डर जाते हैं। छोटे बच्चे हिंसक प्रोग्राम देखकर अग्रेसिव व्यवहार करना शुरु कर देते हैं। ज्यादा टीवी देखने से उन्हें कैसे रोकें-

अल्टरनेटिव एक्टीविटी

इसके बदले अल्टरनेटिव एक्टीविटी करायें। जब उनका ज्यादा टीवी देखने का मन हो तो उन्हें दूसरे चीजों में हिस्सा लेने को प्रोत्साहित करें। जैसे कि उन्हें स्पोर्ट्स, उनका फेवरेट गेम, उनकी हॉबी की चीजें या म्यूजिक में उन्हें पार्टिसिपेट करने को कहें।

पढ़ाई
वे जैसे-जैसे बड़े हो रहे हैं उन्हें टीवी देखने की बजाए उनमें तरह-तरह की ज्ञानवर्धक किताबें पढ़ने की आदत लगाएं।

टीवी देखने की सीमा बांध दें
उनके लिए एक दिन में अधिक से अधिक 2 घंटे टीवी देखने की सीमा बांध दें। इसके अलावा बचे समय में उन्हें उनके स्टडी के काम पूरे करने पर जोर दें। कभी भी उनके रुम में टीवी ना लगवायें।

डिस्ट्रैक्शन की तरह इस्तेमाल ना करें
पेरेंट्स और घर के बड़ों के लिए टीवी एक डिस्ट्रैक्शन की तरह काम करता है और वे इसके गलत प्रभाव को खुद पर पड़ने नहीं देते। टीवी प्रोग्राम में लिखे भी होते हैं कि वे किस एज ग्रुप के लिए देखे जा सकते हैं, लेकिन कई बार बच्चे छुप-छुप कर ऐसे हिंसक प्रोग्राम देख लेते हैं। कई ऐसे प्रोग्राम हैं जो उनमें डर की भावना पैदा करते हैं। प्रीस्कूल में फैंटेसी और रियलिटी के बीच में अंतर नहीं बताया जाता है।

टीवी प्रोग्राम गाइड का यूज करें
टीवी देखने से पहले बच्चों को समझायें कि वे पहले सर्च करें कि उनके लिए कौन-कौन से प्रोग्राम सही हैं वे उन्हें ही देख सकते हैं।

ऐसे शोज और प्रोग्राम वाले चैनल बंद करके रखें
उन पर एक नजर बनाये रखें कि वे टीवी के सामने बैठ कर क्या देख रहे हैं। ध्यान दें कि वे ऐसे प्रोग्राम तो नहीं देख रहे हैं जिसमें हिंसा, सेक्स, ड्रग्स, अल्कोहल जैसी चीजें दिखाई जा रही हों अगर ऐसा है तो उस शो या चैनल को आप बंद कर दें।

हिंसा के बारे में उन्हें बताएं
अगर शो देखते समय उन्हें बतायें कि किस तरह से वे एक दूसरे को नुक्सान पहुंचा रहे हैं जो गलत है। उन्हें इग्नोर करने के बजाए उन्हें इस बारे में इस तरह स बात करेंगे तो ये ज्यादा बेहतर होगा।

इनके अलावा अच्छे प्रोग्राम देखना उनकी एजुकेशन और अवेयरनेस को बढ़ाता है। ऐसे पेरेंट्स जो खुद भी हेल्दी प्रोग्राम देखते हैं वो भी समय-समय पर तो ऐसे पेरेंट्स का बच्चों की तरफ एक अच्छा संदेश जाता है।

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