Zika Virus History: पहली बार कब सामने आया था ज़ीका वायरस का मामला, जानें इसका इतिहास

Zika Virus History ज़ीका वायरस का पता तब चला जब पूर्वी अफ्रीकी विषाणु अनुसंधान संस्थान के कुछ वैज्ञानिक शोध कर रहे थे। ये शोध ज़ीका के जंगल में एक तरह के लंगूर पर किया जा रहा था।

By Ruhee ParvezEdited By: Publish:Fri, 26 Jun 2020 04:30 PM (IST) Updated:Sat, 05 Sep 2020 09:39 AM (IST)
Zika Virus History: पहली बार कब सामने आया था ज़ीका वायरस का मामला, जानें इसका इतिहास
Zika Virus History: पहली बार कब सामने आया था ज़ीका वायरस का मामला, जानें इसका इतिहास

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Zika Virus History: मच्छरों से होने वाली बीमारियों में से एक ज़ीका वायरस भी है। जिसे काफी ख़तरनाक माना जाता है। इस बीमारी के लक्षण दिखने में आमतौर पर 3 से 12 दिनों तक का वक्त लग जाता है। ज़ीका वायरस का पता उस वक्त चला जब पूर्वी अफ्रीकी विषाणु अनुसंधान संस्थान के कुछ वैज्ञानिक शोध कर रहे थे। ये शोध ज़ीका के जंगल में रीसस मकाक (एक तरह का लंगूर) को पिंजरे में बंद करके किया जा रहा था। बाद में शोध के दौरान ही उस बंदर को बुखार आया और साल 1952 में उसके संक्रामक घटक को ज़ीका वायरस नाम दिया गया।

इसके बाद साल 1954 में नाइजीरिया में एक इंसान इस वायरस से संक्रमित पाया गया। इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया। फिर अफ्रीका और दक्षिण पूर्वी एशिया में इसके मामले सामने आए, हालांकि मामलों की संख्या काफी कम थी। इसके बाद साल 2007 में इस ख़तरनाक वायरस की ओर ध्यान दिया गया। इस समय इसका प्रभाव पहली बार अफ्रीका पर काफी ज़्यादा देखने को मिला और एशिया के बाहर तक वायरस का ख़तरा बढ़ गया। प्रशांत महासागर में स्थित संघीकृत राज्य माइक्रोनेशिया नाम के देश में याप द्वीप मौजूद है। यहां कुछ लोगों में ज़ीका वायरस के लक्षण दिखे, जिसे डेंगू और चिकनगुनिया समझा जा रहा था।

कुल 86 देशों में फैल चुका है ज़िका वायरस

इन लक्षणों में लाल चकत्ते और जोड़ों में दर्द शामिल था। जब इन लोगों की जांच की गई तो खून में ज़ीका वायरस का RNA मिला। 2013 में फ्रेंच पोलिनेशिया और प्रशांत के अन्य देशों में ज़ीका वायरस संक्रमण का काफी प्रकोप देखने को मिला। इसके बाद साल 2014 में प्रशांत महासागर में फ्रेंच पोलिनेशिया तक और फिर साल 2015 में मेक्सिको, मध्य अफ्रीका में भी ज़ीका वायरस के मामलों की पुष्टि हुई। फिर इसी साल (2015) मार्च महीने में ब्राजील में भी दाने की बीमारी का प्रकोप देखा गया। जिसकी पहचान ज़ीका वायरस संक्रमण के रूप में हुई। इसी साल गुइलेब बैरे सिंड्रोम से इसे जुड़ा पाया गया। आंकड़ों की मानें तो आज तक कुल 86 देशों और क्षेत्रों में ज़ीका संक्रमण फैलने के प्रमाण मिल चुके हैं।

ये भी है मान्यता

यह भी कहा जाता है कि ज़ीका वायरस साल 1940 में सबसे पहले युगांडा में मिला था। जिसके बाद यह तेज़ी से अफ्रीका के बाकी हिस्सों में पैर पसारने लगा। दक्षिण प्रशांत और एशिया के कुछ देशों के बाद ये लातिनी अमेरिका तक पहुंच गया। ब्राजील में वायरस के फैलने पर काफी अध्ययन भी हुआ था। तब वैज्ञानिकों ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि ये वायरस 2014 में हुए फुटबॉल वर्ल्ड कप के समय एशिया और दक्षिण प्रशांत की तरफ से आया हो। हालांकि इस दावे की आज तक पुष्टि नहीं हो पाई है।

ज़िका वायरस के लक्षण

एक ज़रूरी बात यह भी है कि ज़ीका वायरस दुनिया के बाकी देशों की तरह ही भारत में भी दस्तक दे चुका है। बीते साल भी इसके कई मामले सामने आए थे, जिसके बाद राज्य सरकारों ने ज़ीका वायरस के लक्षणों वाले लोगों और इससे संक्रमित मिले लोगों पर खास निगरानी रखने को कहा था। इस वायरस के लक्षण हैं- तेज़ बुखार, सिर दर्द, रैशेज़, लाल चकत्ते, आंख लाल होना और जोड़ों में दर्द। 

इससे कई तरह की बीमारियां भी हो सकती हैं। वहीं ज़ीका वायरस चार तरह से फैलता है, पहला मच्छरों के काटने से, दूसरा गर्भवती महिला से उसके नवजात बच्चे में, तीसरा शारीरिक संबंध बनाने से और चौथा ब्लड ट्रांसफ्यूजन से।

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