क्या है फ़ेज थेरेपी और कैसे यह कोरोना वायरस से बचाव में कारगर है
खबरों की मानें तो कई वैक्सीन अंतिम चरण में हैं। ऐसे में संभावना है कि अगले वर्ष के शुरुआत में आमलोगों को टीका उपलब्ध होगी। साथ ही वायरस को हराने के लिए पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को भी अपनाया जा रहा है। इनमें एक चिकित्सा पद्धति फ़ेज थेरेपी है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना वायरस महामारी के चलते पूरी दुनिया संकट की स्थिति से गुजर रही है। इस वायरस से आम जनजीवन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इससे बचने के लिए लोग आवश्यक सावधानियां बरत रहे हैं। इसके बावजूद संक्रमितों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। दूसरी ओर, कोरोना वायरस को मात देने के लिए कई शोध किए जा रहे हैं, जिनमें कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। खबरों की मानें तो कई वैक्सीन अंतिम चरण में हैं। ऐसे में संभावना है कि अगले वर्ष के शुरुआत में आमलोगों को टीका उपलब्ध होगी। साथ ही वायरस को हराने के लिए पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को भी अपनाया जा रहा है। इनमें एक चिकित्सा पद्धति फ़ेज थेरेपी है। दशकों से फ़ेज थेरेपी का उपयोग चिकित्सा रूप में किया जाता रहा है। अगर आपको फ़ेज थेरेपी के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं कि क्या है फ़ेज थेरेपी और कैसे यह कोरोना वायरस से बचाव में कारगर है-
क्या है फ़ेज थेरेपी
विशेषज्ञों की मानें तो फ़ेज थेरेपी चिकित्सा की एक ऐसी पद्धति है, जिसमें वायरस के समूह को प्रतिजैविक के रूप में उपयोग किया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो वायरस के समूह को फ़ेज कहा जाता है जो चिकित्सा के जरिए संक्रमित बैक्टीरिया को शरीर में ही नष्ट कर देते हैं। इस थेरेपी में संक्रमण से बचने के लिए बैक्टीरियोफेज का इस्तेमाल किया जाता है।
कैसे यह कोरोना वायरस से बचाव में कारगर है
इस चिकित्सा पद्धति यानी थेरेपी में वायरस के समूह बैक्टीरियोफेज को संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कराया जाता है। इसके बाद बैक्टीरियोफेज शरीर में मौजूद वायरल संक्रमण के प्रसार को रोकने में मदद करता है। साथ ही जीवाणुओं को मार देता है। इससे संक्रमित व्यक्ति के स्वस्थ होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इस थेरेपी का कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होता है। इसके लिए इसे कारगर बताया जाता है।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।