Type 2 Diabetes Treatment: इस नई प्रक्रिया से डायबिटीज के गंभीर रोगियों को इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी

Type 2 Diabetes Treatment इस नई प्रक्रिया में एक कैथेडर को छोटी आंत में प्रतिरोपित किया जाएगा जिससे म्यूकोसल कोशिकाएं नष्ट हो जाएंगी। म्यूकोसल कोशिकाओं के कारण ही शरीर में अंदरुनी प्रक्रियाओं में परिवर्तन आने लगता है और इंसलिन का उत्पादन कम होने लगता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 12:55 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 07:40 PM (IST)
Type 2 Diabetes Treatment: इस नई प्रक्रिया से डायबिटीज के गंभीर रोगियों को इंसुलिन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी
इस प्रक्रिया के माध्यम से इंसुलिन अपने आप बनने लगेगा।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में कई बीमारियों के लिए अवसर मुहैया कराती है। दुनिया भर के लगभग 10 फीसद लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। टाइप-2 डायबिटीज से गंभीर रूप से ग्रसित रोगियों को रोज इंसुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है जो बहुत ही तकलीफ देने वाला तरीका है। लेकिन वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका इजाद किया है जिसमें अब ज्यादातर डायबिटीज के गंभीर रोगियों को इंसुलिन लेने की आवश्यकता ही खत्म हो जाएगी। उनके शरीर में इस प्रक्रिया के माध्यम से अपने आप इंसुलिन बनने लगेगा। दूसरी ओर लोगों को डायबिटीज के महंगे इलाज से भी छुटकारा मिल सकता है।

इस प्रक्रिया में एक कैथेडर को छोटी आंत में प्रतिरोपित किया जाएगा जिससे म्यूकोसल कोशिकाएं नष्ट हो जाएंगी। म्यूकोसल कोशिकाओं के कारण ही शरीर में अंदरुनी प्रक्रियाओं में परिवर्तन आने लगता है और इंसलिन का उत्पादन कम होने लगता है। इस प्रक्रिया को ड्यूडेनल म्यूकोजल रिसरफेसिंग यानी डीएमआर नाम दिया गया है। म्यूकोजल टिशू के नष्ट होने के बाद नए और स्वस्थ कोशिकाओं का उत्पादन होगा जिससे डायबिटीज में इंसुलिन लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

लाखों रुपये बचेंगे: 

पायलट परियोजना के आधार पर इस प्रक्रिया का परीक्षण नीदरलैंड में हो रहा है। डीएमआर का आविष्कार बायोटेक्नोलॉजी कंपनी फ्रेक्टाइल के सीईओ डॉ हेरीथ राजगोपालन ने किया है। पायलट परियोजना का रिजल्ट बहुत अच्छा रहा है। डीएमआर प्रक्रिया के कारण इंसुलिन पर पूरी तरह निर्भर टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में 75 प्रतिशत को छह महीने बाद इंसुलिन की आवश्यकता से मुक्त कर दिया गया है।

इस प्रक्रिया के तहत भाग लेने वाले बाकी प्रतिभागियों में भी इंसुलिन की मात्रा को आधे तक कम किया गया है। इस अध्ययन में यह भी देखा गया कि जिन लोगों ने डीएमआर प्रक्रिया में भाग लिया, उनके बॉडी मास इंडेक्स बीएमआई में भी आश्चर्यजनक रूप से कमी आई है। डॉ हेरीथ राजगोपालन ने बताया कि डायबिटीज के कारण दुनिया भर में अरबों डॉलर खर्च करना पड़ता है। टाइप 2 डायबिटीज के लिए अकेले अमेरिका में 58 दवाओं को मंजूरी मिल चुकी है जिसकी कीमते सैकड़ों डॉलर में है।

डीएमआर इन सभी समस्याओं का समाधान है। इससे दुनिया में अरबों डॉलर बचाया जा सकता है। यह दुनिया की ऐसी पहली थेरेपी होगी जिसमें इंसुलिन पर निर्भर लोगों को इंसुलिन की आवश्यकता ही खत्म कर दी जाएगी। इस प्रक्रिया के लिए एक छोटी सी सर्जरी करनी पड़ेगी। इसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं। 

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