वैज्ञानिकों ने विकसित किया आर्टफिशल इन्टेलिजन्स प्रोग्राम, कोरोना वायरस के इलाज में होगा बहुत कारगर

इस प्रोग्राम में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज फेफड़े के एक्स-रे के आधार पर बड़ी तेजी से किया जा सकता है।

By Umanath SinghEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2020 07:40 PM (IST) Updated:Wed, 08 Apr 2020 07:40 PM (IST)
वैज्ञानिकों ने विकसित किया आर्टफिशल इन्टेलिजन्स प्रोग्राम, कोरोना वायरस के इलाज में होगा बहुत कारगर
वैज्ञानिकों ने विकसित किया आर्टफिशल इन्टेलिजन्स प्रोग्राम, कोरोना वायरस के इलाज में होगा बहुत कारगर

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना वायरस को हराने के लिए दुनिया के सभी देशों ने कमर कस ली है। इसके लिए देश और दुनिया में बड़ी प्रभावी और बड़ी तेजी से काम चल रहा है। WHO ने भी जल्द कोरोना वायरस के इलाज के लिए तपेदिक वैक्सीन के इस्तेमाल की बात कही है। वहीं, रूस के डाक्टरों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन का इस्तेमाल जून में 180 वालिटयरों पर किया जाएगा। जबकि ऑक्सफोर्ड स्थित डेटा-विज़ुअलाइज़ेशन कंपनी ज़ैगमे (Zegami) ने एक आर्टफिशल इन्टेलिजन्स प्रोग्राम विकसित की है।

इस प्रोग्राम में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज फेफड़े के एक्स-रे के आधार पर बड़ी तेजी से किया जा सकता है। इस बारे में टीम ने कहा कि आर्टफिशल इन्टेलिजन्स प्रोग्राम डाक्टरों को COVID-19 संक्रमण को एक सप्ताह में दूर कर सकता है। इसके साथ ही यह सामान्य निमोनिया और कोरोना वायरस के बीच अंतर को भी बताने में मदद करेगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने के लिए उन्हें आर्टफिशल इन्टेलिजन्स प्रोग्राम AI को व्यापक स्तर पर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।

टीम ने आगे कहा कि कोरोना वायरस पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती है, और टेक्नोलोजी को इसे हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहिए। हमें विश्वास है कि हमने जो उपकरण विकसित की है इससे एक्स-रे की सही तस्वीर और सुचना से कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को जल्दी पहचानने में मदद मिल सकती है।

आर्टफिशल इन्टेलिजन्स प्रोग्राम के बारे में टीम का मानना है कि इस मॉडल से डॉक्टरों को बीमारी को बेहतर ढंग से समझने में भी सहायता मिलेगी। इस उपकरण की मदद से मरीज को कोरोनो से लड़ने में सहायता मिलेगी। यह तकनीक जानलेवा वायरस से लड़ने में बहुत असरदार हो सकता है। कंपनी ने आर्टफिशल इन्टेलिजन्स प्रोग्राम को विकसित करने के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के सार्वजनिक हुए तस्वीरों का उपयोग किया।

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