एक मूंगफली नवजात बच्चों में एलर्जी का खतरा कर सकती है दूर
शोध में सामने आया है कि अगर चार महीने की उम्र से ही बच्चों को अंडा और मूंगफली खिलाई जाए तो उन्हें एलर्जी होने का खतरा अन्य बच्चों के मुकाबले कम रहता है।
नवजात शिशु को प्रारंभिक अवस्था के दौरान मूंगफली से बने उत्पाद खिलाने से बच्चे के विकास या उसके पोषण पर कोई खराब असर नहीं होता। एक शोध में इसकी पुष्टि हुई है। शोध में सामने आया है कि अगर चार महीने की उम्र से ही बच्चों को अंडा और मूंगफली खिलाई जाए तो उन्हें एलर्जी होने का खतरा अन्य बच्चों के मुकाबले कम रहता है। अंडा और मूंगफली शिशुओं को दूध के साथ पेस्ट बनाकर खिलाए जा सकते हैं।
इम्पीरियल कॉलेज लंदन के इस शोध के अनुसार जिन शिशुओं को चार से छह माह की उम्र के बीच अंडा खिलाया जाता है, उनमें इसे बाद में खिलाए जाने के मुकाबले अंडे से संबंधित एलर्जी या कई अन्य एलर्जी होने का खतरा 46 प्रतिशत कम होता है। ऐसे ही चार से 11 माह के बीच जिन शिशुओं को मूंगफली खिलाई जाती है उनमें मूंगफली से संबंधित एलर्जी होने की आशंका अन्य के मुकाबले 71 प्रतिशत कम होती है।
कॉलेज में बाल चिकित्सा एलर्जी शोधकर्ता डॉ। रॉबर्ट बॉयले ने कहा कि इस शोध के नतीजे बताते है कि शिशुओं के लिए अंडा और मूंगफली उनका पहला भोजन होना चाहिए। लेकिन ज्यादातर चिकित्सक इसकी सलाह नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि शिशुओं के भोजन की दिशानिर्देश को बदलने की जरुरत है। डॉ। बॉयले और उनके सहकर्मियों ने पिछले 7० वर्षों में प्रकाशित 146 शोध के आंकड़ों का अध्ययन किया ताकि पता लगाया जा सके कि एलर्जी पैदा करने वाले भोजन से शिशुओं में एलर्जी का खतरा कितना रहा।
अध्ययन में सामने आया कि 5।4 प्रतिशत लोगों को अंडे से एलर्जी है लेकिन बचपन में जल्दी अंडा खिलाने से प्रत्येक एक हजार में से 24 मामलों में कमी लाई जा सकती है। मूंगफली से 2।5 प्रतिशत आबादी को एलर्जी है लेकिन जन्म के बाद जल्द ही इसके सेवन से प्रत्येक एक हजार में से 18 मामले कम हो सकते है।
ज्यादातर दिशानिर्देशों में शिशुओं को छह माह तक सिर्फ मां का दूध पिलाने के लिए कहा गया है लेकिन जो महिलाएं ऐसा नहीं कर पाती वे चार माह की उम्र से ही बच्चों को भोजन में ठोस पदार्थ दे सकती है।नवजात शिशु को प्रारंभिक अवस्था के दौरान मूंगफली से बने उत्पाद खिलाने से बच्चे के विकास या उसके पोषण पर कोई खराब असर नहीं होता। एक शोध में इसकी पुष्टि हुई है।
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