Move to Jagran APP

क्या घर पर सिब्लिंग्स के झगड़ों से परेशान हैं- ऐसे सुलझायें उनकी ये आदत

घर पर एक ही उम्र के बच्चों में में लड़ाई झगड़े होना आम बात है। लेकिन किसी किसी अवसर पर ये इतना भयानक रुप ले लेता है कि पेरेंट्स के लिए उन्हें शांत कराना काफी मुश्किल हो जाता है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 13 Feb 2017 02:37 PM (IST)Updated: Mon, 13 Feb 2017 03:18 PM (IST)
क्या घर पर सिब्लिंग्स के झगड़ों से परेशान हैं- ऐसे सुलझायें उनकी ये आदत

अगर आपके घर में एक से ज्यादा बच्चे हैं तो घर पर लड़ाई-झगड़ा और शोर होना आम बात है। ये देखा जाता है कि सिबलिंग्स को आम तौर पर आपस में किसी बात अक्सर झगड़ा करते देखा जा सकता है फिर चाहे वो किसा बात को लेकर कॉम्पटीशन हो या कुछ और। इस सिचुएशन में पेरेंट्स भी उन्हें शांत कराने के लिए परेशान हो जाते हैं और परिणामस्वरुप घर पर क्लेश हो जाता है। अगर ये समय पर शांत नहीं कराया जाता है तो ये भयानक रुप ले लेता है और कभी-कभी तो ये आपस में फिजिकल भी हो जाते हैं जिन्हें शांत कराना बड़ा मुश्किल हो जाता है। ये तब और मुश्किल होता है जब वे सभी हमउम्र के होते हैं। ऐसे झगड़े आमतौर पर उन बच्चों में पाया जाता है जो बीच के होते हैं साथ ही ये उनमें भी पाया जाता है जिनके पेरेंट्स के बीच डायवोर्स हो चुका है।

loksabha election banner

लेकिन उन्हें शांत कराने का कोई तो हल होता होगा। क्या आप उन्हें साथ में समय बिताने के लिए रोक सकते हैं, नहीं। लेकिन आप उन्हें प्यार से शांति से रहने का सलीका जरुर सिखा सकते हैं औऱ ये भी सिखा सकते हैं कि लड़ाई झगड़े, बहस से दूर रहने के क्या फायदे हैं औऱ उन्हें इन सबसे दूर क्यों रहना चाहिए। यहां हम आपको बता रहे हैं कि आप उन्हें अपने सिबलिंग्स के साथ एक हेल्दी रिलेशन रखने के लिए कैसे समझा सकते हैं।
सबसे पहले जानें ये किन अवसरों पर होता है


-जब घर पर नया बेबी आने वाला हो
-उनमें सहनशक्ति की कमी
-व्यक्तिगत विकास
-बराबरी का एहसास ना होना
-किसी बात का दबाव

कैसे सिबलिंग्स के लड़ाई झगड़ों को रोकें
बच्चों के बीच लड़ाई, एक दूसरे को छेड़ना और एक दूसरे से बहस करना आम बात है। उन्हें बार बार ये एहसास दिला कर याद दिलायें कि आपका प्यार और केयर सभी के लिए एक बराबर है। यहां कुछ टिप्स दिये जा रहे हैं जिन्हें आजमा कर आप उनके बीच पनप रहे मतभेदों को रोक सकते हैं।


उन्हें समझाने की कोशिश करें कि सभी बच्चे एक दूसरे से अलग हैं और उनकी जरुरतें भी सबसे अलग हो सकती हैं– उन्हें समझायें कि वे सभी एक समान नहीं हो सकते हैं सभी की जरुरतें अलग हो सकती हैं। उन्हें एहसास दिलायें कि आप किसी का पक्ष नहीं ले रहे हैं बल्कि आप सिर्फ सबके प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

अपना प्यार दिखायें- उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बितायें उन्हें सेफ फील करायें। उनके इंट्रेस्ट को ध्यान में रखकर फन एक्टीविटीज प्लान करें।

उनके लड़ाई में कभी शामिल ना हों- ध्यान रहे कि आप कभी भी उनके बीच चल रहे लड़ाई में किसी भी तरह से शामिल ना हों। उन्हे अपने स्तर पर उनकी लड़ाईयां सुलझाने क मौका दें। आप दोनों तरफ की सुनें लेकिन किसी एक के पक्ष में फैसला सुनाने से बचें वरना वे आक्रामक रुप धारण कर सकते हैं।

एक फिक्स नियम बना दें- आप घर पर एक फिक्स बेसिक रुल बना दें जिनके अंदर में बच्चो को बंधकर रहना है। आपके बच्चों को एक्सेप्टेबल और अनएक्सेप्टेबल बिहेवियर के बीच अंतर को समझना चाहिए। जब उनमें ये समझ आ जाएगी वे मिसबिहेव करने से बचेंगे।

कभी भी एक बच्चे की दूसरे से तुलना ना करें- तुलना बच्चों को एक दूसरे से अलग करता है और उनमें जलन और असुरक्षा की भावना पैदा करता है जो बाद में लड़ाई का रुप भी ले सकता है। कभी भी उनकी क्षमता को लेकर दूसरे से तुलना ना करें

गुड बिहेवियर को प्रोत्साहित करें और इनाम सभी के लिए एक समान रखें- जब देखें कि आपके सभी बच्चे एक दूसरे के साथ काफी अच्छे से रह रहे हैं और एक टीम में सभी अच्छा करके दिखा रहे हैं तो उनकी प्रशंसा जरुर करें। आप उन सभी को एक समान गिफ्ट देकर उन सभी को प्रोत्साहित भी कर सकते हैं।
बच्चों के साथ पेरेंट्स का रोल उनके रिलेशनशिप में काफी अहम भूमिका निभाता है। उन्हें परिवार का महत्व समझायें। उन्हे जानने का मौका दें कि मतभेद होने पर कैसे आप ही सुधारा जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.