लाल आतंक से मिली मुक्ति तो मुस्कुरा उठा अपना लोकतंत्र

सिमडेगा जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी जमकर मतदान हुआ।घने जंगल व पहाड़ के बीच अ

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 11:03 PM (IST) Updated:Sun, 08 Dec 2019 06:17 AM (IST)
लाल आतंक से मिली मुक्ति तो मुस्कुरा उठा अपना लोकतंत्र
लाल आतंक से मिली मुक्ति तो मुस्कुरा उठा अपना लोकतंत्र

सिमडेगा : जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी जमकर मतदान हुआ।घने जंगल व पहाड़ के बीच अवस्थित बूथों में भी लोगों ने निर्भीक होकर अपना मतदाधिकार का प्रयोग किया। सिमडेगा प्रखंड के भेलवाडीह,तामड़ा, क्रूसकेला के साथ-साथ ठेठईटांगर प्रखंड के

बंबलकेरा, कोलेबिरा के बंदरचुआं, बेसराजरा, लेढ़ाटोली आदि क्षेत्रों में बंपर मतदान हुआ। सुरक्षा को लेकर मतदान कर्मी से लेकर वोटर भी आश्वस्त नजर आए। विदित हो कि सिमडेगा जिला में कुल 586 बूथों में 206 बूथ अतिसंवेदनशील चिह्नित किए गए थे। वहीं 301

बूथों को संवेदनशील के रूप में चिह्नित किया गया था। संवेदनशीलता के आधार पर ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। जिससे

मतदाता भी बेफिक्र होकर मतदान किया।विदित हो कि सिमडेगा जिला कुछ वर्ष तक नक्सल गतिविधियों के लिए कुख्यात था। जहां माओवाद से लेकर पीएफएफआइ व पहाड़ी चीता जैसे अपराधिक संगठनों की तूती बोलती थी। रात तो क्या, लोगों को दिन भी ग्रामीण व सुदूरवर्ती क्षेत्र में जाने से पहले सौ बार सोचना पड़ता था। परंतु पुलिस प्रशासन की लगातार सक्रियता व सरकार के आत्मसमर्पण की नीतियां काफी कारगर हुई। कई उग्रवादी मुख्यधारा में लौट कर आज लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा बन चुके हैं। जबकि कई उग्रवादी-अपराधी या तो मारे गए या सरेंडर कर गए। जिला एक बार फिर शांति की ओर चल उठा तो जिलेवासी भी झूम उठे। शांति की बयार हर दिशा में बहने लगी और इसी का परिणाम है कि सिमडेगा जैसे जिले में शांतिपूर्ण मतदान हुआ और अपना लोकतंत्र मुस्कुरा उठा। शांतिपूर्ण मतदान कराने के बाद पुलिस प्रशासन व सुरक्षा बलों के हौसले भी बुलंद हैं। वहीं जिलेवासी भी चैन- सुकून की सांस ले पा रहे हैं। जिले के हर कोने, जंगल, पहाड़, जन, के बीच लोकतंत्र की जयकार होती रही। मतदाता हंसते-गुनगुनाते मतदान केन्द्रों की ओर आते रहे। पुरुष, महिला के साथ-साथ दिव्यांग व वृद्ध मतदाताओं में भी मतदान के प्रति खूब लगन व समर्पण देखने को मिली।

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