शहीदों के गांव-घर में हो रही शौर्य की चर्चा

साहिबगंज बीते दो माह में साहिबगंज जिले के तीन जवानों ने देश के लिए शहादत दी है। 11 मई को

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 07:46 PM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:13 AM (IST)
शहीदों के गांव-घर में हो रही शौर्य की चर्चा
शहीदों के गांव-घर में हो रही शौर्य की चर्चा

साहिबगंज : बीते दो माह में साहिबगंज जिले के तीन जवानों ने देश के लिए शहादत दी है। 11 मई को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से मुठभेड़ में साहिबगंज स्थित महादेवगंज के सीआरपीएफ जवान मुन्ना यादव शहीद हो गये। 17 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में चीन सीमा पर चीनी सैनिकों से हिसक झड़प में साहिबगंज के डीहारी गांव के कुंदन कुमार ओझा शहीद हुए तो 2 जुलाई को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए साहिबगंज के आजाद नगर निवासी कुलदीप उरांव शहीद हो गए। जवानों की शहादत के बाद उनके गांव में अब भी शहीद की वीरता की चर्चा हो रही है।

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शहादत पर गर्व, अब परिवार की करनी है परवरिश

महादेवगंज के शहीद मुन्ना यादव के पिता भुवनेश्वर यादव घर पर नहीं थे। वह बाहर गए थे। उनसे मोबाइल पर बात हुई। उन्होंने बताया कि उन्हें गर्व है कि बेटा देश की रक्षा के लिए शहीद हो गया। अब उनके परिवार व बच्चों की परवरिश का जिम्मा है। बच्चों को भी लायक बनाना है। मुन्ना पूरे परिवार का सहारा था। उसकी कमी तो हमेशा महसूस होती रहेगी। अब वह चाहते हैं कि उसके परिवार को नौकरी मिले। मुन्ना की पत्नी पढ़ी लिखी है। मुन्ना का छोटा भाई भी पढ़ा लिखा है। उसे और पत्नी को नौकरी मिल जाए तो परिवार संभल जाएगा।

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भारत माता की रक्षा में शहीद हो गया बेटा

डीहारी के शहीद कुंदन ओझा के पिता रविशंकर ओझा ने बताया कि पुत्र की शहादत पर गर्व है। उनका बेटा भारत माता की रक्षा करते हुए चीन बार्डर पर शहीद हो गया है। देश के लिए बेटा के शहीद होने पर पिता ने कहा कि कुंदन बहुत बहादुर था। परंतु अब उसके परिवार को संभालने एवं बच्ची के लालन पालन की जिम्मेदारी है। केंद्र एवं राज्य सरकार ने जो घोषणा की है उसे पूरा करे। कुंदन की याद हमेशा आती रहेगी। अब उसके बिना ही परिवार को जीना होगा। 16 बिहार रेजीमेंट से कुंदन की मौत के बाद जवान आए थे। उसके कागजात लेकर गए हैं और कहा है कि जल्द ही सुविधाएं मिलेंगी। राज्य सरकार की ओर से 10 लाख रुपये एवं पेट्रोल पंप व जमीन की घोषणा की गई है। सरकारी नौकरी भी मिलनी है वह सुविधा जल्द मिले तो राहत होगी।

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कुलदीप के पिता घनश्याम में भरा है देशभक्ति का जज्बा

दो जुलाई को जम्मू कश्मीर श्रीनगर में शहीद हुए सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल कुलदीप के पिता घनश्याम उरांव खुद सीआरपीएफ में रह चुके हैं। बेटे की शहादत पर कहते हैं कि गर्व है कि बेटा आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया। एक आतंकवादी भी ऑरपेशन में मारा गया। पिता बताते हैं कि कुलदीप की याद हमेशा साथ रहेगी। जो भी सुविधा सीआरपीएफ से मिलनी है मिलेगी। आइजी राज कुमार ने बताया कि सीआरपीएफ की तरफ से उसके परिवार व बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सीआरपीएफ पूरी करेगी। घनश्याम बताते हैं कि देश के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हैं। अगर अब भी जरूरत होगी तो बार्डर पर जाने को तैयार हैं।

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